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बुलडोजर से कांपता आतंक

जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 के खत्म होने के बाद हालात तेजी से बदले हैं। एक ओर यहां आतंकी घटनाओं में कमी आई है वहीं आतंकियों के खिलाफ सुरक्षा बलों ने निर्णायक कार्रवाई की है।

जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 के खत्म होने के बाद हालात तेजी से बदले हैं। एक ओर यहां आतंकी घटनाओं में कमी आई है वहीं आतंकियों के खिलाफ सुरक्षा बलों ने निर्णायक कार्रवाई की है। सीमापार से घुसपैठ की घटनाओं में भी कमी आई है। हालांकि पाकिस्तान यह प्रयास करता रहा है कि आतंकियों की घुसपैठ कराकर जम्मू-कश्मीर में अशांति फैलाई जा सके। हालांकि स्थितियां अब ऐसी हो गई हैं कि पाकिस्तान की नापाक कोशिशें एक के बाद एक विफल हो रही हैं। उत्तर प्रदेश में जिस तरह से अपराधियों, गैंगस्टरों की संपत्ति पर योगी सरकार ने बुलडोजर चलवाए उससे बड़े-बड़े अपराधी भी खौफ में आ चुके हैं। अब जम्मू-कश्मीर में आतंकवादियों के घरों पर योगी स्टाइल बुलडोजर चलाकर प्रशासन ने अपने इरादे स्पष्ट कर दिए हैं। बुलडोजर के एक्शन में आने के बाद आतंकवादी कांपने लगे हैं। इससे पाकिस्तान में बैठे आतंकवादियों के आका तपिश महसूस कर रहे हैं। यूपी में बुल्डोजर हिट होने के बाद अब जम्मू-कश्मीर में बुलडोजर गरजा है। इस कार्रवाई से यह संदेश भी गया है कि अब आतंकवादियों से डरने की जरूरत नहीं है और घाटी को आतंक मुक्त बनाने के लिए गृह मंत्रालय और जम्मू-कश्मीर प्रशासन प्रतिबद्ध है। एक खूंखार आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के आतंकी कमांडर आशिक नेंगरू का सरकारी जमीन पर बना हुआ मकान बुलडोजर से नेस्तनाबूद कर दिया गया। पहलगांव जिले के लेवार गांव में हिजबुल कमांडर आमिर खान के घर बुलडोजर चला दिया गया है। आतंकवादियों को शरण देने वाले शफीक की सम्पत्ति जब्त कर ली गई है। इससे साफ है कि इस वर्ष आतंक का सफाया होना तय है। आतंकी खाते भारत का अन्न हैं लेकिन गुणगान पाकिस्तान का करते हैं। जिस आशिक अहमद नेंगरू का घर बुलडोजर से ध्वस्त किया गया वह पिछले 10 वर्षों से आतंकी गतिविधियों में सक्रिय है।
शुरू में वह पुलवामा, अवंतीपोरा और त्राल में सक्रिय जैश और लश्कर-ए-तैयबा के विदेशी आतंकियों के लिए बतौर ओवरग्राउंड वर्कर काम करता था। वर्ष 2013 में पुलवामा में एक पुलिसकर्मी की हत्या में भी वह शामिल रहा। वह पकड़ा भी गया था, लेकिन बाद में छूट गया और आतंकियों के लिए काम करने लगा। नेंगरू का एक भाई अब्बास अहमद नेंगरू भी सक्रिय आतंकी था, जो वर्ष 2013 में सुरक्षाबलों के साथ मुठभेड़ में मारा गया था। उसके एक अन्य भाई की हिजबुल मुजाहिदीन के आतंकियों ने करीब दो माह पहले ही हत्या कर दी थी।
दिसंबर 2017 में श्रीनगर इंटरनेशनल एयरपोर्ट के पास मुठभेड़ में जैश कमांडर नूरा त्रालीय के मारे जाने के बाद नेंगरू दक्षिण कश्मीर में जैश का सबसे भरोसेमंद ओवर ग्राउंड वर्कर बन गया। उसने दक्षिण कश्मीर में जैश का नेटवर्क नए सिरे से तैयार करने के अलावा जम्मू में अंतर्राष्ट्रीय सीमा पार कर भारतीय सीमा में दाखिल होने वाले जैश के पाक कमांडरों को कश्मीर पहुचाने का जिम्मा वह खुद संभालता था। उसने ट्रक भी खरीदा था। नेंगरू एक आतंकवादी सिंडीकेट चला रहा है और पाकिस्तान के इशारे पर जम्मू-कश्मीर में आतंक फैलाने के खतरनाक अभियान में लगा हुआ है। आतंकवादी संगठन द रेसिसटैंस फोर्स ने आतंकवादियों के घर गिराने का विरोध किया है।
बीते वर्ष सुरक्षा बलों को घाटी में आतंकवाद पर अंकुश लगाने में काफी सफलता मिली है। सुर​क्षा बलों ने 172 आतंकी मारे जिनमें 42 विदेशी थे। आतंकवादियों ने पिछले वर्ष 29 लोगों की हत्या की। बीते वर्ष में कोई हड़ताल नहीं हुई। पत्थरबाजी की कोई घटना सामने नहीं आई। कश्मीर में इंटरनेट बंद नहीं हुआ और न ही किसी आतंकवादी के अंतिम संस्कार से जुड़ा कोई मामला सामने आया। दो-तीन को छोड़कर आतंकी संगठनों के सभी प्रमुख और शीर्ष कमांडर मार दिए गए हैं। कुल मिलाकर 2022 में 2021 की तुलना में आतंकवादियों की भर्ती में 37 प्रतिशत की गिरावट आई। फिलहाल नई भर्ती में लगभग डेढ़ दर्जन आतंकवादी ही घाटी में सक्रिय हैं। आतंकवाद का मुकाबला करते जम्मू-कश्मीर के 14 जवानों सहित 26 सुरक्षा बलों के जवान शहीद हुए। शहादतों के बावजूद सुरक्षाबलों का मनोबल पूरी तरह कायम है और वे मुठभेड़ों में आतंकवादियों को मार गिरा रहे हैं। सुरक्षा बल पूरी मुस्तैदी से काम कर रहे हैं लेकिन आतंकवादी ताकतें अभी भी कश्मीरी पंडितों को निशाना बनाने और उन्हें धमकियां देने से बाज नहीं आ रही। जम्मू-कश्मीर में सुरक्षावलों का आपरेशन आल आउट जोरदार तरीके से चलाया जा रहा है और घाटी में आतंकवादियों की नई भर्ती अब सिर्फ कुछ इलाकों में ही हो रही है। हालांकि लोकल युवाओं और युवतियों को बड़े आतंकी कमांडर सूचना देने और मदद पहुचाने के बदले पैसे दे रहे हैं। इसलिए सुरक्षा बल आपरेशन लेडी ओवर ग्राउंड वर्कर अभियान भी सजगता से चला रहे हैं। फिलहाल घाटी में आतंक थर-थर कांप रहा है और वह दिन दूर नहीं कि जम्मू-कश्मीर में चुनाव प्रक्रिया शुरू होने से पहले आतंकवाद पूरी तरह से शांत हो जाए। 
आदित्य नारायण चोपड़ा
Adityachopra@punjabkesari.com

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