थैंक्यू पापा थैंक्यू - Latest News In Hindi, Breaking News In Hindi, ताजा ख़बरें, Daily News In Hindi

लोकसभा चुनाव 2024

पहला चरण - 19 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

102 सीट

दूसरा चरण - 26 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

89 सीट

तीसरा चरण - 7 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

94 सीट

चौथा चरण - 13 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

96 सीट

पांचवां चरण - 20 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

49 सीट

छठा चरण - 25 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

57 सीट

सातवां चरण - 1 जून

Days
Hours
Minutes
Seconds

57 सीट

दूसरा चरण - 26 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

89 सीट

थैंक्यू पापा थैंक्यू

पिता एक शब्द नहीं संसार है, जिन्होंने हमें समाज और परम्पराओं के दायरे में चलना सिखाया, हमें मजबूत बनाया। पिता पूरी कायनात में वो पहला व्यक्ति है जो बच्चों को दुलार देना भी जानता है

‘‘पिता जीवन है,
सम्बल है, शक्ति है
पिता सृष्टि में निर्माण
की अभिव्यक्ति है।’’
पिता एक शब्द नहीं संसार है, जिन्होंने हमें समाज और परम्पराओं के दायरे में चलना सिखाया, हमें मजबूत बनाया। पिता पूरी कायनात में वो पहला व्यक्ति है जो बच्चों को दुलार देना भी जानता है, दोस्त जैसा साथ देना भी जानता है और शिक्षक की तरह गलतियां भी गीनता है। पिता एक ऐसा सुरक्षा कवच होता है जिसकी सुरक्षा में रहते हुए हम अपने जीवन को सार्थक दिशा देने में कामयाब होते हैं। बहुत सारी चीजें मिलकर एक रिश्ता बनता है। प्यार, सुरक्षा, विश्वास, शक्ति, बल ये शब्द मिलकर बनाते हैं एक और शब्द पिता। 
आज मेरे पापा स्वर्गीय अश्विनी कुमार का जन्म दिवस है। उनके निधन के बाद मुझे अहसास हो गया कि वक्त और नियति ने मेरा सुरक्षा कवच मुझसे छीन लिया है। मेरे छोटे भाई आकाश, अर्जुन और मेरी मां भी ऐसा ही महसूस करते हैं। मेरे पापा हम सबका जन्मदिवस धूमधाम से मनाते रहे और वे अपना जन्म दिवस भी दोस्तों और रिश्तेदारों के संग रहकर मनाते थे। आज वे हमारे बीच नहीं हैं लेकिन उनके हम सबके लिए किये गए त्याग के प्रति आभार व्यक्त करने का समय उनके जन्म दिवस से बेहतर कोई और नहीं हो सकता। पत्रकारिता जीवन में उन्होंने एक के बाद एक आघात सहन किये। पहले मेरे परदादा लाला जगत नारायण जी आतंकवादियों की गोली का निशाना बने। उसके बाद से ही परिवार को धमकियां मिलनी शुरू हो गई थी। उसके बाद 12 मई, 1984 को मेरे दादा रमेश चन्द्र जी को आतंकवादियों ने गोलियो का निशाना बनाया। मेरे पिता अश्विनी कुमार ने किन तूफानों को झेला, वे अक्सर मुझे बताया करते थे। उस वक्त पंजाब आतंकवाद की तपश झेल रहा था, हिन्दुओं का पलायन शुरू हो चुका था। परिवार ने सोचा था कि जालंधर से प्रैस बंद कर किसी दूसरे राज्य में लगाई जाए तब मेरे पिता ने ही यह संकल्प लिया कि जालंधर में प्रैस चलती रहेगी, हमारे परिवार का पलायन आतंकवाद के आगे हथियार डालना होगा। हिन्द समाचार पत्र समूह के पुरोधाओं ने अपना बहुमूल्य जीवन होम कर दिया परन्तु उन्होंने कभी झुकना स्वीकार नहीं किया, उनके पलायन का अर्थ अपने स्वाभिमान से समझौता करना होगा। मेरे पापा ने अपने पूर्वजों की तरह यही कहा-
‘‘लेखनी सत्य के मार्ग पर चले, लेखनी कभी रुके नहीं, लेखनी कभी झुके नहीं और यह अनैतिक समझौता भी न करे, यह राष्ट्र की अस्मिता की संवाहक है और राष्ट्र को ही समर्पित है।’’
नियति ने ऐसा खेल खेला कि मेरे पापा को क्रिकेट छाेड़ कलम पकड़नी पड़ी। उनके सामने कलम की विरासत को सम्भालने की चुनौती थी। कठिन से कठिन परिस्थितियों में भी उन्होंने सत्य का मार्ग चुना और अपनी लेखनी से अपनी बौद्धिक क्षमता का परिचय दिया। उनकी कलम की धार इतनी पैनी थी कि सत्ता के गलियारों में भी हलचल हो जाती थी। उन्होंने अपने पैने सम्पादकीयों के माध्यम से लाखों पाठकों को अपना दीवाना बना लिया। उनकी प्रतिष्ठा कोई रात ही रात में नहीं बनी थी, बल्कि उनके कड़े परिश्रम से ही बनी थी। वह बताते थे कि जब 1983 में दिल्ली में पंजाब केसरी का प्रकाशन शुरू किया तो कुछ रिश्तेदारों ने संदेह पाल रखा था कि अश्विनी कुमार क्या अखबार चला पाएंगे, अंततः उसे हमारे पास आना ही पड़ेगा। मेरे पिता ने इस चुनौती को स्वीकारा और पंजाब केसरी को लोकप्रिय और प्रतिष्ठित समाचार पत्र बनाया। उनका कठिन परिस्थितियों में हार नहीं मानना, कभी हम भी परेशान हो उठते तो हमारे कंधे पर हाथ रखकर कहते-‘‘परेशान न हो, मैं तुम्हारे साथ हूं’’ हर मुश्किल जंग को फतह करने वाला होता है।
कभी-कभी बचपन में मुझे लगता था ​मेरे पापा कुछ ज्यादा ही सख्त हैं। अब मुझे अहसास हो रहा है कि मेरे पापा ऊपर से सख्त थे लेकिन भीतर से वह मोम की तरह थे। वे सख्ती इसलिए करते थे क्योकि वह सोचते थे कि कहीं उनकी नरमी उनके बच्चों को दुनिया की तपिश सहने की क्षमता न कम कर दे। एक पिता के लिए आसान नहीं होता सारी व्यवस्थाओं को इतनी सहजा से सहन करना। करनाल से सांसद निर्वाचित होने के बाद भी उनका कलम से मोह नहीं छूटा। जो भी लिखा बेखौफ हो कर ​लिखा। एक तरफ सत्ता सुख था तो दूसरी तरफ बतौर सम्पादक व्यक्तिगत संतुष्टि। कोई और होता तो वह सत्ता सुख को प्राथमिकता देता। उनके जाने के बाद आंसूओं को थामना मेरी  मां किरण चोपड़ा के लिए बहुत कठिन है लेकिन कभी-कभी ऐसा कुछ घटता है जब लगता है कि मेरे पापा का अदृश्य हाथ हमें पकड़ कर सही रास्ता दिखा देता है। आज हम उनके जन्म दिवस को प्रेरणा दिवस के तौर पर मना रहे हैं। हम तो उनके अंश मात्र हैं, हम अपने पिता का आभार व्यक्त कर रहे हैं, जिन्होंने हमें जिंदगी में तूफानों काे झेलने की क्षमता प्रदान की। इसलिए आज हम उनका धन्यवाद करते हैं, जिन्होंने हमें काबिल बनाया। थैंक्यू पापा थैंक्यू।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

twelve + 7 =

पंजाब केसरी एक हिंदी भाषा का समाचार पत्र है जो भारत में पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश और दिल्ली के कई केंद्रों से प्रकाशित होता है।