पिछले महीने से विद्यार्थियों के अभिभावक (माता-पिता) बहुत ही टैंशन में थे। मुझे कईयों के फोन आ रहे थे। क्या होगा 12वीं की परीक्षा बहुत महत्वपूर्ण है। एग्जाम के लिए भेजेंगे तो खतरा है, नहीं भेजेंगे तो आगे का भविष्य खतरे में है। मुझे मेरी गुजरांवाला ब्रांच की हैड विधू का फोन आया कि दीदी आप बताओ क्या होगा। तो मैंने उसे कहा विधू सच पूछो तो मुझे अधिक ज्ञान नहीं, क्योंकि मेरे बच्चे इस स्टेज से निकल गए हैं, इसलिए इस ओर ध्यान भी ज्यादा नहीं गया परन्तु उसकी बात सुनने के बाद और बहुत सी माओं के फोन सुनने के बाद यह समझ में आ रहा था कि बच्चे तो परेशान हैं ही, मां-बाप उनसे भी ज्यादा परेशान हैं। मेरे आफिस के कर्मचारी ने भी यही बात मेरे सामने रखी। यही नहीं जिस दिन पीएम ने मीटिंग रखी उस दिन तो मैंने सुना, बहुत से अभिभावक, छात्र-छात्राएं अपने-अपने टीवी खोलकर उससे चिपक कर बैठे थे। कइयों ने तो मन्नतें मांग रखी थीं कि एग्जाम न हों क्योंकि हर मां-बाप को अपने बच्चों का भविष्य तो प्यारा है ही उससे भी ज्यादा पहले जान प्यारी है। क्योंकि अभी विद्यार्थियों को, कई युवा अध्यापकों को भी वैक्सीन नहीं लगी। जैसे ही पीएम की ओर से घोषणा हुई बच्चों का जीवन ज्यादा प्यार है इसलिए परीक्षाएं नहीं होंगी, न जाने कितने करोड़ लोगों, माता-पिता, बच्चों, टीचरों ने सुख की सांस ली होगी और दिल से पीएम को धन्यवाद दिया होगा। अब यह तो हो गया, आगे कैसे होगा, कैसे उनका किस आधार पर एडमिशन होगा, यह बहुत बड़ी चुनौती होगी।
अब जबकि देश में कोरोना की दूसरी लहर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी और उनके शानदार प्रबंधन के चलते काबू पा लिया गया है तो उम्मीद की जानी चाहिए कि तीसरी लहर (अगर आती है तो) के लिए भारत तैयार है। हालांकि एक बड़ी चुनौती पिछले कई महीनों से दसवीं और बारहवीं की बोर्ड परीक्षाओं को लेकर थी और इस मामले में देश भर में छाए तनाव को प्रधानमंत्री मोदी की दूरदर्शिता ने समाप्त कर दिया। चरणबद्ध तरीके से पहले सीबीएसई की दसवीं की परीक्षाएं रद्द की गयी और इसके बाद अब सीबीएसई की बारहवीं की परीक्षा जब रद्द की गई तो सुप्रीम कोर्ट ने भी पीएम के इस ऐलान को एक उदाहरण के रूप में इसकी प्रशंसा की है। अब इसके साथ ही अगली चुनौती यह होगी कि कॉलेजों में एडमिशन का कराइटेरिया क्या होगा। विशेषज्ञों की कमेटी गठित हो गयी है और स्टूडेंट्स के अंक सैट करने के लिए विशेषज्ञ सक्रिय हो गए हैं।
बारहवीं परीक्षा को लेकर ग्रेड के तहत अंक सैट करना एक बहुत कठिन काम होगा क्योंकि आपकी इसी बारहवीं की परीक्षा के आधार पर कॉलेज में दाखिला मिलता है। यहां एक बात स्पष्ट करना चाहूंगी कि देश के आधे से ज्यादा राज्य भी सीबीएसई की बारहवीं परीक्षा रद्द हो जाने के बाद अपने यहां बारहवीं की परीक्षा रद्द कर चुके हैं। परीक्षा पास करने के बाद छात्र-छात्राओं ने किस स्ट्रीम में दाखिला लेना है यह एक बहुत ही तनाव वाला काम होता है जिसमें न केवल स्टूडेंट्स बल्कि उसके माता-पिता और अन्य शुभचिंतक भी दवाब में रहते हैं। बीए प्रोग्रामिंग में जाना है, ऑनर्स मिलेगा, कॉमर्स मिलेगी या फिर साइंस जैसे पसंदीदा विषय में एडमिशन मिलेगा, यह सवाल स्टूडेंट्स को तब डराते थे जब वह 90 प्रतिशत से ज्यादा अंक लाते थे।
आज की तारीख में दसवीं, ग्यारहवीं, बारहवीं के अंक यकीनी तौर पर उस इंटरनल असेसमेंट वाले अंकों से मिलकर आगे बढ़ेंगे जो अंदरूनी तौर पर स्कूल वाले प्रैक्टिकल पीरियड के बाद सैट करते हैं। यहां चौंकाने वाली बात यह है कि अब उसका नया कराइटेरिया तय करना होगा हालांकि यह मार्क्स तीस ही होंगे बल्कि सत्तर प्रतिशत संबंध विषय में निर्धारित होते हैं उसमें से एक छात्र को कितने मार्क्स मिलने हैं इसे लेकर काफी जटीलताएं सामने आ रही हैं। इसमें कोई शक नहीं है कि कोरोना ने हमारे सामने चुनौितयां ही रखी हैं और यह भी सच है कि इन चुनौतियों पर हमने विजय भी पाई है लेकिन करियर सैट करने वाली असली चुनौती हमारे सामने अब आई है। बारहवीं की परीक्षा के बाद ग्रेजुएशन का आधार इन्हीं अंकों के आधार पर चलता है इसलिए एक्सपर्ट्स कह रहे हैं कि केवल बारहवीं के अंक सैट करना ही चैलेंज नहीं बल्कि उनके आधार पर कालेजों में दाखिला और पसंदीदा विषय चुनने के लिए भी कई और रास्ते तय किये जा रहे हैं। हालांकि यह काफी कठिन काम है क्योंकि जब स्टूडेंट्स को अपनी पसंद का विषय नहीं मिलेगा और उसमें अगर उसके अंकों को लेकर महज एक अंक से भी अंतर रह जाता है तो वे कोर्ट तक जाने के लिए स्वतंत्र रहते हैं। इतना ही नहीं स्कूल लेवल पर असेसमेंट को लेकर अब सब कुछ पारदर्शी होना चाहिए। इस दृष्टिकोण से यूनिवर्सिटी और कालेज प्रबंधन पर दोगुना दवाब पड़ेगा।
कोरोना काल के चलते जब लॉकडाउन एक परंपरा बन गया हो और वर्क फ्रोम होम चल रहा हो तो सब कुछ ऑनलाइन करना इतना आसान नहीं होगा जितना समझा जा रहा है। दाखिले के काम के लिए यूनिवर्सिटी लेवल पर बहुत कुछ करना होगा ताकि प्रबंधन न केवल सुचारू बल्कि पारदर्शी हो सके। इसके लिए शिक्षा मंत्रालय के तहत न केवल यूजीसी बल्कि अन्य विशेषज्ञों की भी सेवाएं ली जानी चाहिए जो अपने-अपने विषय से जुड़े रहे हो। इस वक्त कुशल प्रबंधन एक बार फिर चुनौती के रूप में सरकार के सामने है। कमोबेश यह स्थिति केवल दिल्ली में नहीं बल्कि देश के हर राज्य में होगी। सरकारी यूनिवर्सिटीज के अलावा तकनीकी शिक्षा वाली यूनिवर्सिटीज के सामने भी बड़ी चुनौतीयां आ रही हैं। उम्मीद की जानी चाहिए कि सब कुछ सहजता से होगा और सुप्रीम कोर्ट बराबर सीबीएसई को लेकर सब कुछ संज्ञान में ले रही है। आने वाले पंद्रह-बीस दिन अहम होंगे जब एक्सपर्ट कमेटी कराइटेरिया तय करेगी। माता-पिता की अपनी इच्छाएं हैं तो बच्चे कुछ और चाहते हैं। इस लिहाज से कोरोना काल में उम्मीद की जानी चाहिए कि शिक्षा को लेकर एक उदाहरण सैट करना होगा क्योंकि कई बड़े राष्ट्रों ने परीक्षाएं स्थगित न करते हुए गैप देकर अपने फॉरमेट को न बदलते हुए उदाहरण सैट किये हैं। भारत इस दृष्टिकोण से बहुत अहम स्थान रखता है और उम्मीद की जानी चाहिए कि वह शिक्षा के क्षेत्र में एक और बड़ी बाधा पार कर लेगा। सभी स्टूडेंट्स बधाई के पात्र हैं और उम्मीद की जानी चाहिए कि आगे भी सब अच्छा ही होगा।