फिर गुलजार होने लगी वादी - Latest News In Hindi, Breaking News In Hindi, ताजा ख़बरें, Daily News In Hindi

लोकसभा चुनाव 2024

पहला चरण - 19 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

102 सीट

दूसरा चरण - 26 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

89 सीट

तीसरा चरण - 7 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

94 सीट

चौथा चरण - 13 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

96 सीट

पांचवां चरण - 20 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

49 सीट

छठा चरण - 25 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

57 सीट

सातवां चरण - 1 जून

Days
Hours
Minutes
Seconds

57 सीट

दूसरा चरण - 26 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

89 सीट

फिर गुलजार होने लगी वादी

पिछले वर्ष अगस्त महीने में जम्मू-कश्मीर में आर्टिकल 370 हटाने आैर राज्य को दो केन्द्र शासित प्रदेशों में बांटे जाने के बाद लगाए गए प्रतिबंध खत्म किए जाने लगे हैं और स्थिति अब सामान्य होती जा रही है।

पिछले  वर्ष अगस्त महीने में जम्मू-कश्मीर में आर्टिकल 370 हटाने और राज्य को दो केन्द्र शासित प्रदेशों में बांटे जाने के बाद लगाए गए प्रतिबंध खत्म किए जाने लगे हैं और स्थिति अब सामान्य होती जा रही है। अब एसएमएस सेवाएं और सरकारी अस्पतालों में ब्राडबैंड सेवाओं को फिर से शुरू कर दिया गया। घाटी में नजरबंद नेताओं को भी धीरे-धीरे छोड़ा जा रहा है। जम्मू-कश्मीर के स्कूलों, कालेजों और अस्पतालों में भी इंटरनेट सेवाओं की शुरूआत की गई है।जम्मू-कश्मीर के लोगों के लिए सरकार का यह कदम किसी नव वर्ष उपहार से कम नहीं है। बीते दिनों  कई चरणों में लैंडलाइन सेवा और पोस्ट पेड सेवा बहाल की गई थी। अब केवल मोबाइल, इंटरनेट और  प्रीपेड सेवा दोबारा से बहाल होना ही कश्मीर के लिए बाकी रह गया है। 
आज के दौर में लोगों को लम्बे अर्से तक इन सेवाओं से वंचित नहीं रखा जा सकता। जम्मू-कश्मीर में मोबाइल और इंटरनेट बंद होने की वजह से नुक्सान भी हुआ है। इसका सीधा असर कारोबारियों पर पड़ा है। हालात को देखते हुए हस्तशिल्प के उत्पादों के आर्डर नहीं मिल रहे थे। दूरसंचार सेवाओं से जुड़े लोगों का रोजगार छिना था लेकिन इन सबकी कीमत नागरिकों की जान से ज्यादा नहीं हो सकती। इंटरनेट बंद होने से उससे जुड़ी हर चीज फिर चाहे वो फिल्में हों या गेम, सब बंद हो गए थे। इसका फायदा भी साफ नजर आया। ये फायदे व्यक्तिगत, पारिवारिक और सामाजिक तीनों तरह के हैं। कई लोगों ने वैकल्पिक धंधे अपना लिए । कई लोग पेन ड्राइव या हार्डडिस्क में फिल्में, सीरियल या गाने भर कर पैसे कमाने लगे।
एयर टिकट बेचने वाले ट्रैवल एजैंटों ने भी दिल्ली या अन्य जगहों पर अपने लोग ​बैठा रखे हैं जो फोन के जरिये एयर टिकट बुक करते थे। इंटरनेट सेवाएं बंद होने से परिवार के लोग जो हाथ में मोबाइल लेकर बैठे रहते थे और आपस में बात नहीं करते थे, उन्होंने भी आपस में बातें करनी शुरू कर दी थीं। व्यक्तिगत, पारिवारिक फायदों के अलावा एक बड़ा सामाजिक फायदा यह भी रहा कि जम्मू-कश्मीर में अफवाहों पर लगाम लगी। इसमें कोई संदेह नहीं कि अफवाहों का बाजार पिछले कई वर्षों से सोशल मीडिया की वजह से गर्म रहा। कश्मीर घाटी में सोशल मीडिया पर फैली अफवाहें आग में घी की तरह काम करती आई हैं। 
इंटरनेट बंद होने की वजह से अफवाहों का बाजार लगता जरूर है लेकिन बहुत ठंडा होता है। पहले जबकि आतंकवादियों से मुठभेड़ होती थी तो कश्मीर में अशांति फैलाने वाले तत्व एसएमएस का इस्तेमाल कर लोगों को जानकारी देते थे। अलगाववादियों ने ऐसा वातावरण सृजित कर दिया था कि लोग मुठभेड़ स्थल पर इकट्ठे होकर सुरक्षा बलों पर पथराव करना शुरू कर देते थे। पत्थरबाजों ने कश्मीर के अवाम को एक तरह से बंधक बना रखा था।आजकल के दौर में इंटरनेट बंद होने का मतलब शायद वही लोग समझ पाते हैं जिनके साथ ऐसा होता है। अब जबकि धीरे-धीरे पाबंदियां खत्म हो रही हैं और अवाम को सांस लेने के लिए खुली हवा मिल रही है, लेकिन प्रशासन के सामने बड़ी चुनौती राज्य में शांति स्थापना की है।
पिछले वर्ष राज्य में सुरक्षा बलों ने 160 आतंकवादी मार गिराए और 102 को गिरफ्तार किया है। अभी भी 250 आतंकवादी सक्रिय हैं। 2018 की तुलना में 2019 में आतंकवादी घटनाओं में 30 फीसदी कमी आई, कम नागरिकों की जान गई और कानून व्यवस्था से जुड़ी घटनाओं में 36 फीसद गिरावट आई। इस दौरान सीमा पार से बड़ी संख्या में घुसपैठ की कोशिश और  संघर्ष विराम उल्लंघन की घटनाएं हुईं लेकिन सुरक्षा बलों ने इन कोशिशों को नाकाम कर दिया।जम्मू-कश्मीर में सभी प्रतिबं​धों को  हटाए जाने के बाद देखना यह है कि आतंकवादी ताकतें फिर से सिर न उठा सकें। नेशनल कांफ्रैंस नेता फारूक अब्दुल्ला, उमर अब्दुल्ला, पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती और अन्य नेताओं की नजरबंदी खत्म होने के बाद उनकी भूमिका भी महत्वपूर्ण होगी। जम्मू-कश्मीर में इन नेताओं को लम्बे अर्से तक नजरबंद भी नहीं रखा जा सकता। 
कश्मीरी अवाम को समझना होगा कि अनुच्छेद 370 खत्म होने से राज्य को केन्द्र की योजनाओं का पूरा लाभ मिलेगा। जिन केन्द्रीय योजनाओं और नीतियों का लाभ उन्हें नहीं मिल रहा था, अब उन्हें मिलने लगेगा। बड़ी केन्द्रीय परियोजनाएं शुरू होंगी तो राज्य में रोजगार के अवसर मिलेंगे। युवाओं के हाथ में रोजगार होगा तो वादी फिर से गुलजार होगी। राज्य में शांति स्थापना होगी तो देशभर के पर्यटक फिर राज्य की ओर आकर्षित होंगे। अगर जम्मू-कश्मीर में पर्यटन उद्योग का विस्तार होगा तो राज्य की अर्थव्यवस्था भी मजबूत होगी  और लो॒ग भी खुशहाल होंगे। पाकिस्तान में बैठी आतंकवादी ताकतें फिर  से वादी में जहर न फैला सकें, इसलिए सुरक्षा बलों को अधिक चौकस रहना होगा। अब राज्य का फिर  से दर्जा बहाल करने की आवाजें उठने लगी हैं लेकिन यह सब राज्य की स्थिति सामान्य होने पर निर्भर करता है।   

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

three × three =

पंजाब केसरी एक हिंदी भाषा का समाचार पत्र है जो भारत में पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश और दिल्ली के कई केंद्रों से प्रकाशित होता है।