”एक सत्ता थी,
एक राजनेता थे
एक गुंडा था
और एक हुस्न की मलिका थी।”
सियासत की सीडी काफी चर्चित रही। रंगीन मिजाज नेताओं के किस्सों की सीडी जब भी खुली सत्ता पक्ष का सिंहासन डोला और सत्ता के गलियारों में हलचल हुई। ऐसा ही हंगामा एक समय राजस्थान में देखने को मिला था। एक नर्स ने दावा किया कि उसके पास एक सीडी है जिसमें कुछ नेताओं की काली करतूतें कैद हैं। अगर सीडी सामने आई तो सरकार तीन दिन में गिर जाएगी लेकिन हैरानी की बात यह हुई कि सीडी सामने आने से पहले वह नर्स लापता हो गई, यह नर्स थी भंवरी देवी। भंवरी देवी जोधपुर के सरकारी अस्पताल में नर्स थी। शादीशुदा थी लेकिन उसकी इच्छाएं आसमान तक पहुंच चुकी थीं। वह माडलिंग और एक्टिंग में करियर बनाना चाहती थी। अपनी इच्छाओं को पूरा करने के लिए वह ड्यूटी से गायब रहती थी। जिसकी वजह से उसे नौकरी से निलम्बित कर दिया गया था। जब उसने नौकरी बचाने के लिए हाथ-पांव मारने शुरू किए तो नौकरी के लिए तत्कालीन स्थानीय विधायक मलखान से मिली। मलखान सिंह ने उसका परिचय तत्कालीन जल संसाधन मंत्री महिपाल मदेरणा से कराया। उनकी सिफारिश पर भंवरी को नौकरी मिल गई और उसकी घर के नजदीक एक अस्पताल में नियुक्ति कर दी गई। सियासत के करीब जाते ही भंवरी के दिन बदल गए। उसे सत्ता के रसूख का अहसास हुआ तो देखते ही देखते कई नेताओं से जान-पहचान ऌहो गई। सत्ता के गलियारे जानते थे कि क्या हो रहा है लेकिन कोई बोलने को तैयार नहीं था।
भंवरी देवी खुद विधायक बनने के सपने देखने लगी और उसने मलखान सिंह और महिपाल मदेरणा से संबंधों का हवाला देकर विधानसभा चुनाव में टिकट की मांग की। टिकट नहीं मिला तो भंवरी बगावत पर उतर आई और उसने दोनों को ब्लैकमेल करने की साजिश रच डाली। फिर शुरू हुआ सियासत, सैक्स और सीडी का खेल। सियासतदानों ने भंवरी से समझौते की कोशिश की। सीडी के बदले लाखों रुपए देने की बात भी कही। एक सितम्बर, 2011 को वह पैसा लेने पहुंची लेकिन कभी वापस नहीं लौटी। भंवरी सीडी प्रकरण का पर्दाफाश पंजाब केसरी के जयपुर संस्करण में किया गया तो तूफान खड़ा हो गया था। कुछ माह बाद पता चला कि भंवरी देवी की हत्या कर दी गई। तब से कई खुलासे हुए। आरोपियों से पूछताछ के बाद पता लगा कि उसकी हत्या कर नहर के किनारे उसे जला दिया गया। उसकी राख को बहा दिया गया। पुलिस को मौके पर जो साक्ष्य मिले उनकी जांच एफएसएल से कराई गई लेकिन हड्डियों की राख से उसके डीएनए की पहचान नहीं हुई। फिर राख डीएनए की जांच के लिए एफबीआई को अमेरिका भेजी गई। अभी उसकी रिपोर्ट आनी है। कहानी बहुत लम्बी है लेकिन कानून के हाथ भी बहुत लम्बे हैं। यह साबित हुआ इस केस की मास्टर माइंड इंदिरा बिश्नोई की गिरफ्तारी से। कहानी की मानें तो इंदिरा ही उस सीडी की मास्टर माइंड थी। गिरफ्तारी के बाद तो उसने यह बयान देकर चौंका दिया कि भंवरी देवी जिंदा है और बेंगलुरु में रह रही है।
वैसे तो अति महत्वाकांक्षाओं से ग्रस्त महिलाएं सियासत की साजिश का शिकार होती रही हैं इसलिए भंवरी देवी की कहानी कोई अलग नहीं। नैना साहनी भी दिल्ली के सत्ता के गलियारों में जाना-पहचाना नाम था लेकिन उसके शव के टुकड़े-टुकड़े कर युवा कांग्रेस नेता सुशील शर्मा ने उसे तंदूर में जलाने का प्रयास किया था। कवयित्री मधुमिता की हत्या में उत्तर प्रदेश के राजनेता अमरमणि त्रिपाठी सजा भुगत रहे हैं। सियासत की अंधी सुरंग में फंसी शशि हत्याकांड, कविता हत्याकांड को कौन भुला सकता है। 16 अगस्त, 2011 को भोपाल में शहला मसूद की हत्या के कारण भी लोग जानते हैं। एक महत्वाकांक्षी आरटीआई कार्यकर्ता, एक आशिक मिजाज ताकतवर नेता और एक प्रेम दीवानी। इस घातक प्रेम त्रिकोण के कारण शहला मसूद को अपनी जान गंवानी पड़ी। इस देश की विडम्बना यह है कि यहां इंसानियत बार-बार शर्मसार हुई और इंसाफ सहमा रहा। सत्ता और सैक्स का रिश्ता बरसों पुराना है, नई कहानियां सामने आती रहती हैं, पुरानी कहानियों पर मिट्टी की परत जम जाती है।
सवाल यह है कि क्या इंदिरा बिश्रोई सच बोल रही है कि भंवरी देवी जिंदा है। इंदिरा की बात पर कौन यकीन करेगा, प्रथम दृष्टया उसका बयान पूरी जांच को भटकाने वाला और केस को उलझाने वाला है। करोड़ों की जायदाद की मालकिन जोधपुर की आलीशान हवेली छोड़कर सीबीआई की आंखों में धूल झोंकने के लिए मध्य प्रदेश के देवास में नर्मदा नदी के किनारे संन्यासिन बनकर झूठ की जिन्दगी जीने वाली इंदिरा कितनी शातिर है कि कई वर्ष तक वह कानून की गिरफ्त से बाहर रही। भंवरी देवी का सच सामने आना ही चाहिए। अब तो सुनने में कुछ अजीब नहीं लगता लेकिन हकीकत यही है कि सत्ता के नशे में चूर नेताओं पर जब-जब दाग लगता है तो हर बार किसी ऐसे ही रिश्ते की हकीकत एक नई कहानी के साथ सामने आती है।