तीसरी लहर का वार - Latest News In Hindi, Breaking News In Hindi, ताजा ख़बरें, Daily News In Hindi

लोकसभा चुनाव 2024

पहला चरण - 19 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

102 सीट

दूसरा चरण - 26 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

89 सीट

तीसरा चरण - 7 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

94 सीट

चौथा चरण - 13 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

96 सीट

पांचवां चरण - 20 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

49 सीट

छठा चरण - 25 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

57 सीट

सातवां चरण - 1 जून

Days
Hours
Minutes
Seconds

57 सीट

दूसरा चरण - 26 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

89 सीट

तीसरी लहर का वार

इसमें कोई संदेह नहीं कि कोरोना महामारी की तीसरी लहर आ चुकी है। कोरोना के नए वैरियर ओमीक्रॉन से पूरी दुनिया त्रस्त है।

इसमें कोई संदेह नहीं कि कोरोना महामारी की तीसरी लहर आ चुकी है। कोरोना के नए वैरियर ओमीक्रॉन से पूरी दुनिया त्रस्त है। महामारी ने वैश्विक शक्ति अमेरिका में औसतन हर दिन तीन लाख से अधिक मामले सामने आ रहे हैं। ब्रिटेन और कनाडा में भी बुरा हाल है। अस्पतालों में बैड कम पड़ रहे हैं। तीसरी लहर में सबसे अधिक कठिनाई डेल्टा और ओमीक्रॉन को स्ट्रेन की पहचान को लेकर हो रही है, जिसके कारण इलाज कैसे किया जाए, यह सवाल बड़ा हो जाता है। मुश्किल यह है कि फिलहाल कोई ऐसा टेस्ट नहीं है, जिससे इन दोनों वैरियंट की अलग-अलग पहचान हो सके। एक टेस्ट के जरिये ओमीक्रॉन की पहचान तो हो जाती है, लेकिन अगर मरीजों की संख्या अधिक है तो यह तरीका भी असफल हो जाता है। अब फ्रांस में वैज्ञानिकों ने कोरोना का नया वैरियंट आईएचपीबी 1640.2 ढूंढ निकाला है। इस वैरियंट में 46 म्यूटेेशन देखे गए हैं। यानी यह ओमीक्रॉन से भी कहीं ज्यादा संक्रामक है। भारत में जिस ढंग से तीसरी लहर ने वार किया है, उससे साफ है कि अब जिन्दगी सहज बनने की उम्मीद दूर-दूर तक नजर नहीं आती। सबसे बड़ी समस्या तो भारत में है क्योंकि आजीविका बचाने की चुनौती आ खड़ी हुई है।
पूर्ण लॉकडाउन की स्थितियां बन चुकी हैं और कोरोना संक्रमण का चक्र तोड़ने के ​लिए यही अंतिम विकल्प है। बहुत सारे सवाल सामने हैं कि अगर आर्थिक गतिविधियां ठप्प होती हैं, बाजार, शा​पिंग काम्पलैक्स और निर्माण गतिविधियां दो या तीन महीने बंद रहती हैं तो दिहाड़ीदार मजदूरों की रोजी-रोटी का क्या होगा? क्या फैक्ट्रियों में लौटे श्रमिकों को फिर छंटनी का शिकार होना पड़ेगा? क्या पलायन का भयंकर दौर फिर देखने को ​मिलेगा? आटोरिक्शा चालकों और रिक्शा चालकों को सवारी नहीं मिलेगी तो कमाई कैसे होगी। कोरोना ने युवाओं को बर्बाद करके रख दिया है। बेरोजगारी दर बढ़कर दिसम्बर में रिकार्ड 7.91 प्रतिशत बढ़ गई है। अगर पाबंदियां बढ़ीं तो बेरोजगारी दर और बढ़ जाएगी।
यद्यपि 15 से 18 वर्ष की आयु के किशोरों के ​लिए टीकाकरण अभियान शुरू हो चुका है और किशोरों में इसे लेकर उत्साह भी है। भारत में किशोरों की अच्छी खासी संख्या है। उनका टीकाकरण न हो पाने की वजह से स्कूल-कालेज खोलने को लेकर बाधाएं खड़ी थीं। अभिभावक बच्चों को लेकर कोई जोखिम उठाने को तैयार नहीं थे। कई राज्यों में जगहों पर स्कूल-कालेज खोले भी गए, लेकिन जिस तरह से कोरोना के विस्फोट हो रहे हैं उससे स्कूल-कालेज फिर से बंद करना पड़ा है। नतीजा यह हुआ है कि बच्चों के सीखने की क्षमता पर भी बुरा प्रभाव पड़ा है। पहली लहर में देखा गया था कि बच्चों और किशोरों पर कोरोना का बहुत असर नहीं पड़ा था, मगर दूसरी लहर में बच्चे भी भारी संख्या में चपेट में आए थे। तीसरी लहर को लेकर भय का माहौल है। शिक्षा संस्थानों में भारी संख्या में छात्र संक्रमित पाए गए हैं। और तो और अस्पतालों के डाक्टर भी काफी संख्या में संक्रमित हो रहे हैं। कोरोना का विषाणु जिस तरह से अपने रूप बदल रहा है, उससे उसके असर को लेकर कोई दावा करना आसान नहीं होगा। अब यह आशंका व्यक्त की जा रही है, हमें आगे का जीवन कोरोना वैरियंट के बीच ही गुजरेगा। जीवन में​ विभिन्न क्षेत्रों को कोरोना महामारी ने गम्भीर रूप से प्रभावित किया है। दो साल से चली आ रही महामारी से पूरी तरह निजात मिलने की कोई किरण नजर नहीं आ रही। पिछले वर्ष जिन छात्रों ने स्नातक कक्षाओं में प्रवेश लिया था, उन्हें कालेज कैम्पस में पढ़ने का मौका ही नहीं मिला है और अब वे दूसरे वर्ष के छात्र हो गए हैं। कोराेना के दौर में तीन तरह के शिक्षण संस्थान उभर कर सामने आए। पहले वह जिन संस्थानों के पास डिजिटल ढांचा था, उन्होंने कक्षाओं को आनलाइन माध्यम से बदल दिया। दूसरी तरह के संस्थान तकनीकी रूप से उभरे, जिन्होंने ऑनलाइन और ऑफ लाइन शिक्षण का मिला-जुला रूप पेश किया।
तीसरी तरह के ऐसे स्कूल-कालेज जिनके पास तकनीकी रूप से कुछ नहीं था। अब भी यह सवाल गहरा गया है ​कि कोरोना के दौर में शिक्षा का स्वरूप क्या होगा? अभी तो पहले लाकडाउन और दूसरी लहर से उपजे हालात की कड़वी यादें मिटी नहीं हैं। यह याद रखने की जरूरत है कि अगर अर्थव्यवस्था फिर चरमरा गई तो फिर से खड़े होने में बहुत समय लगेगा। क्या हम फिर से लगे झटके को सहज कर पाएंगे। क्या हमारी अर्थव्यवस्था फिर से सभी क्षेत्रों को आर्थिक पैकेज देने में सक्षम है? अब तो राजनीतिज्ञ भी संक्रमित हो रहे हैं ले​किन यह कितना हास्यास्पद है कि रैलियों में लाखों लोग और शादियों और श्मशान में 20-20 लोगों की पाबंदी। समय आ गया है कि हर कोई व्यक्तिगत स्तर पर कोविड उचित व्यवहार का पालन करे। समय आ गया है कि उच्च जोखिम वाले लोग अपनी रक्षा स्वयं करें। अब जबकि अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने की जद्दोजहद जारी है, लेकिन महामारी पूर्व की स्थितियों में लौटने की राह अभी आसान नहीं है। सबसे बड़ी चुनौती अर्थव्यवस्था को बचाने और लोगों की रोजी-रोटी के साधन बचाने की है।
आदित्य नारायण चोपड़ा
Adityachopra@punjabkesari.com

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

seventeen − four =

पंजाब केसरी एक हिंदी भाषा का समाचार पत्र है जो भारत में पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश और दिल्ली के कई केंद्रों से प्रकाशित होता है।