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समय हमेशा एक जैसा नहीं रहता….. ‘बदलता है’

हम जिस समय से गुजर रहे हैं व समय भी बदलेगा क्योंकि हमेशा समय एक जैसा नहीं रहता हमेशा बदलता है। अक्सर हम अपने बड़ों को यही कहते-सुनते हैं कि वो समय नहीं रहा तो यह समय भी नहीं रहेगा।

हम जिस समय से गुजर रहे हैं व समय भी बदलेगा क्योंकि हमेशा समय एक जैसा नहीं रहता हमेशा बदलता है। अक्सर हम अपने बड़ों को यही कहते-सुनते हैं कि वो समय नहीं रहा तो यह समय भी नहीं रहेगा। सच है इस जिंदगी के पड़ाव में बहुत उतार-चढ़ाव देखे हैं और अपने अनुभव से भी यही जाना है कि हमेशा समय बदलता है। मैं यह इसलिए कह रही हूं कि बहुत से संदेश आ रहे हैं कि हम घर बैठे बोर हो गए अब तो ब्रांच्स खोल दो, लॉकडाउन भी खुल गया है।
यही नहीं कल सभी वरिष्ठ नागरिक केसरी क्लब की शाखाओं के हेड के साथ मीटिंग थी। सभी की यही फरमाईश थी, हैदराबाद के हर्ष भनोट जी कहते हैं कि लॉकडाउन खुल गया तो हम सोचते हैं जुलाई के फर्स्ट वीक में एक छोटी सी मीटिंग कर ली जाए, तो मैंने उन्हें कहा कि यह लॉकडाउन खुला है उनके लिए जिनको अपनी रोजी-रोटी के लिए बाहर जाना है या जरूरी 
काम है। 
अभी कोरोना का खतरा गया नहीं सिर पे मंडरा रहा है।
 ऐसे ही रोहिणी ब्रांच के कमल अरोड़ा जी कहते हैं कि मैडम जी एक-आधी मीटिंग तो कर लें। यही नहीं कतलूपुर गांव के मास्टर जी भी कहते हैं बस अब तो एक बार गांव वासियों को मिलने के लिए आ जाओ। गुरुग्राम की पूनम भटनागर और कवात्रा जी का भी यही कहना है कि एक मीटिंग की कोशिश की जाए।
इन सबको और सभी शाखाओं के सदस्यों को हाथ जोडक़र प्रार्थना है कि मैंने अपनी बहुत कोशिश की है कि आप सब बोर न हों आपको अकेलापन महसूस न हो तो समय-समय पर बहुत से प्रोग्राम, कम्पीटिशन आयोजित किए हैं, कुछ समय और इंतजार कीजिए समय जरूर बदलेगा जैसे सूर्योदय और सूर्यास्त हमें बताता है कि जीवन में कुछ भी स्थायी नहीं है।
 हमने इस समय का भी सद्पयोग किया है क्योंकि समय एक ऐसी ‘‘चीज’’ है जो गिनते रहेंगे तो ‘‘कम’’ पड़ेगा, उपयोग करेंगे तो वृद्धि होगी। ‘‘संग्रह’’ करें तो हाथों से निकल जाएगा पर संभाल लेंगे तो यह आपका हो जाएगा। 
क्योंकि यह जिंदगी और समय और अपना अनुभव यही सिखाता है कभी उदासी की आग है जिंदगी, कभी खुशियों का बाग है जिंदगी, हंसना और रुलाना राग है, जिंदगी कड़वे-मीठे अनुभवों का स्वाद है जिंदगी, इसलिए हमारा दिल चाहता कुछ और है और होता कुछ और है परंतु एक बात तो निश्चित है समय जरूर बदलता है और जिंदगी में उतार-चढ़ाव, सुख-दु:ख दो पहलू हैं जो हर एक की जिंदगी में आते ही हैं।
 समय का पहिया हमेशा घूमता है, कभी धूप है, कभी छांव, कभी सुख कभी दु:ख। सो हमें यह समय अच्छे से निकालना है। 80त्न समय निकल चुका है अब 20त्न समय को बिताने के लिए हमें बहुत संयम बरतना है और यह भी मन में सोच लो कि हमारे जीवन में यह घड़ी तभी आई जब ईश्वर को मालूम है कि हम इसको सहने और इसका मुकाबला करने की शक्ति रखते हैं। क्योंकि हमने अपने अनुभव से जाना है। परीक्षाएं भी अक्सर उन्हीं लोगों के जीवन में आती हैं जो परीक्षा दे सकते हैं। इस समय सारे विश्व, सारे भारत के लोगों का दर्द एक सा है मगर हौंसले सबके अलग-अलग हैं। जो इस समय हताश होगा वो बिखर जाएगा जो संघर्ष करेगा वो निखर जाएगा। हम सब जानते हैं यह समय आसान नहीं मगर मुस्कराकर बोलेंगे तो कोई नुक्सान भी नहीं, इस समय हम सबको संयम से रहना है। खुश रहने की कोशिश करनी है तो सबसे यही आशा करनी है। सुखी रहें, सभी रोगमुक्त रहें। 
नोएडा और जी.के. ब्रांच की अंजू कश्यप और वीरेन्द्र मेहता जी और अभी जी  कहते हैं, अभी इन्तजार करना चाहिए।
 पंजाबी बाग की किरण मदान का भी यही कहना है कि सभी कहते हैं अभी  इंतजार करने में ही बेहतरी है, पश्चिम विहार की रमा जी कहती हैं कि कभी-कभी थोड़ी सी मीटिंग कर लें तो सबको चैन पड़  जाएगा। हैदराबाद की मीना जी, सीमा जी, सेठी जी कहती हैं जैसा आप कहेंगे वैसे होगा। गुजरांवाला टाउन की नीतू जी और माडल टाउन की मीना जी कहती हैं कि अभी इंतजार करना ही बेहतर होगा। नरेला के दहिया जी जो बहुत तजुर्बेकार हैं वो कहते हैं समय का इंतजार ही बेहतर है। गुरुग्राम के धर्म सागर जी कहते हैं जो कर रहे हो उसी से हम और सदस्य खुश हैं। यही नहीं पंजाबी बाग की सदस्य राज ग्रोवर और 90 वर्षीय शांति वोहरा कहती हैं बस दरवाजे खोल दो हम तो आएंगे। जी.के. की अनिता भाटिया और नोएडा की शारदा सुशील भी कहती हैं जैसे चल रहा है हम खुश हैं।

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