‘‘राष्ट्र रक्षासमं पुण्यं,
राष्ट्र रक्षासमं व्रतम,
राष्ट्र रक्षासमं यज्ञो। ’’
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने राफेल विमानों का स्वागत संस्कृत में श्लोक ट्वीट कर किया। देश भर में टीवी चैनलों पर राफेल विमानों की लैंडिंग के दृश्य देखकर लोगों में उत्साह पैदा हो गया। प्रधानमंत्री द्वारा संस्कृत के इस ट्वीट का अर्थ है कि राष्ट्र रक्षा के समान कोई पुण्य नहीं, राष्ट्र रक्षा के समान कोई व्रत नहीं है, राष्ट्र रक्षा के समान कोई यज्ञ नहीं है।
राष्ट्र और शास्त्र की रक्षा के लिए शस्त्र होने बहुत जरूरी हैं। मध्यकालीन इतिहास में श्री गुरु अर्जुन देव जी की शहादत से ऐसा मोड़ आया जिसने सिख गुरुओं की परम्परा को एक नया आयाम दिया। उनके सुपुत्र श्री हरगोबिन्द सिंह सिखों के छठे गुरु हुए जिन्होंने दो तलवारें धारण कीं।
-एक तलवार थी मीरी यानी राजसत्ता की प्रतीक
-दूसरी तलवार थी पीरी यानी आध्यात्मिक सत्ता की प्रतीक
गुरु जी ने ऐलान कर दिया-शास्त्र की रक्षा के लिए शस्त्र जरूरी है। हम अध्यात्म से पीछे नहीं हटेंगे। अध्यात्म यानी आत्मा, हमारी प्यास, हमारा मार्गदर्शक है, इस पर हम कोई जुल्म नहीं सहेंगे।
तलवार के जवाब में तलवार उठेगी और पूरी ऊर्जा से उठेगी। कुछ लोग शंकाग्रस्त भी हो गए। गुरु जी ने िसखों को संदेश दिया-
‘‘गुरु घर में अब परम्परागत तरीके से भेंट न लाई जाए। हमें आज उन सिखों की जरूरत है जो मूल्य के िलए अपनी जान तक कुर्बान कर सकें। अच्छे से अच्छे हथियार, अच्छी नस्ल के घोड़े और युद्ध के काम आने वाले रक्षक उपकरण लाए जाएं। हम दुश्मन की ईंट से ईंट बजा देंगे। सही अर्थों में संत और सिपाही के चरित्र को एक ही व्यक्तित्व में ढालने का श्रेय श्री गुरु हरगोबिन्द सिंह जी को ही जाता है। गुरु जी की फौजों ने मुगलों के छक्के छुड़ा दिए।
किसी भी राष्ट्र की सुरक्षा के लिए मजबूत सेना का होना बहुत जरूरी है। सेना अध्यक्ष नरवणे बार-बार दोहरा रहे हैं कि देश के भू-भाग की रक्षा के लिए सेना के पास समुचित योजना है और देश की सीमाएं पूरी तरह सुरक्षित हैं। भारत चीन को 1962 फिर दोहराने नहीं देगा। डोकलाम के बाद यह दूसरा मौका है जब गलवान घाटी में भारत ने चीन की आंख से आंख मिला कर बात की है। चीन ने भारतीय क्षेत्र में अप्रत्याशित तरीके से अतिक्रमण किया और इसके बाद 20 भारतीय सैनिकों को शहादत देनी पड़ी। भारतीय सैनिकों ने लड़ते हुए अपनी जान दे दी लेकिन चीन के कई सैनिकों को गर्दन मरोड़ कर मार डाला। पाकिस्तान भी भारत के खिलाफ लम्बे समय से साजिशें करता आ रहा है। चीन और पाकिस्तान के रुख को देखते हुए भारत के लिए जरूरी है कि वह पड़ोसी देशों से संबंधों में सुधार के िलए कूटनीतिक सम्पर्क बनाए रखे लेकिन सैन्य मोर्चे की मजबूती के हरसम्भव प्रयास करे।
यह भी आश्चर्य है कि भारत को लगभग 23 वर्ष बाद नई पीढ़ी के महाविनाशक विमान राफेल मिले हैं। 23 वर्ष पहले रूस से सुखोई विमानों की खरीद की थी। मनमोहन सिंह शासनकाल में तो रक्षा मंत्री ए.के. एंटनी रक्षा सौदों में घोटालों से इतने भयभीत हो चुके थे कि उनके रहते कोई सौदा सिरे ही नही चढ़ा। देश में रक्षा सौदों में दलाली के कई घोटाले उजागर हो चुके हैं, जिन्होंने काफी सियासी उथल-पुथल मचाई है। 1962 का वक्त ऐसा था जब भारत दो धड़ों में बंटे विश्व की खेमेबाजी से अलग रहते हुए देश में औद्योगिक क्रांति लाने की कोशिशों में जुटा हुआ था। दूसरी तरफ विस्तारवादी चीन तिब्बत को हड़पने की कोशिश में लगा हुआ था। उसने 1959 में सैन्य कार्रवाई कर तिब्बत पर कब्जा कर लिया था। दलाई लामा को भारत ने शरण दी तो चीन भड़क उठा था। दूसरी तरफ अमेरिका इसलिए परेशान था कि भारत उसके खेमे में नहीं बल्कि कम्युनिस्ट सोवियत संघ की तरफ था। चीन ने पंडित जवाहर लाल नेहरू के पंचशील सिद्धांत की धज्जियां उड़ाते हुए भारत पर हमला कर दिया। उत्तर में लद्दाख, हिमाचल, गढ़वाल आैर पूर्व में नेफा में उसने जंग छेड़ दी। भारत के पास न हथियार थे, न साधन, न युद्ध का बुनियादी ढांचा। परिणामस्वरूप भारत जंग हार गया। इस पराजय ने देशवासियों में देशभक्ति की भावना पैदा कर दी।
मेरे पिता स्वर्गीय अश्विनी कुमार लगातार चीन और पाकिस्तान की साजिशों से सत्ता को आगाह करते रहे। उन्होंने एक सम्पादकीय में इस बात का उल्लेख किया था कि चीन के भारत पर हमले के बाद देश भक्ति का ऐसा ज्वार पैदा हुआ कि लोगों ने भारत को हथियार खरीदने के लिए अपने गहने तक दान कर दिए। श्रीमती इंदिरा गांधी ने भी देशवासियों के साथ अपने गहने दान कर दिए थे। तब पहली बार राजनीतिक नेतृत्व को समझ आया कि देश की सशस्त्र सेनाओं का आधुनिकीकरण बहुत जरूरी है। इसके बाद सशस्त्र सेनाओंं के लिए रक्षा बजट में लगातार बढ़ौतरी होती गई। उसके बाद से भारत ने तमाम घावों के बावजूद सभी युद्ध जीते। भारत अब विश्व की एक अग्रणी सैन्य शक्ति बन चुका है। आज भारत के पास आधुनिक हथियार हैं। चीनी सीमा से सटे इलाकों में राडार और मिसाइलें तैनात हैं। सैन्य दृष्टि से उत्तर-पूर्व में बुनियादी ढांचा स्थापित कर दिया गया है। सड़क और पुलों का निर्माण किया गया है, जिससे सेना की पहुंच चीन की सीमा तक सहज हो गई है। चीन लगातार भारत के निर्माण कार्यों पर आपत्ति जताता है और गतिरोध पैदा करता है। अब रूस से भी भारत को अति आधुनिक सुरक्षा प्रणाली मिलने वाली है। रक्षा सौदे पारदर्शितापूर्ण हो रहे हैं, जिससे सेना की ताकत बढ़ी है आैर लोगों का भरोसा भी बढ़ा है। युद्धों का स्वरूप बदल गया है। हम कई वर्षों से छद्म आतंक का सामना कर रहे हैं, षड्यंत्र जारी है। ऐसी स्थिति में भारत को हर नवीनतम प्रौद्योगिकी से लैस करना जरूरी है। राफेल के आगमन से बिना कुछ कहे चीन और पाकिस्तान को कड़ा संदेश पहुंच चुका है कि भारत किसी से कम नहीं।
मैं भारतीय सेना के जवानों और शस्त्रों को नमन करता हुआ यही कहना चाहता हूं-
‘‘जहां शस्त्र बल नहीं
वहां शास्त्र पछताते और रोते हैं
ऋषियों को भी तप में सिद्धि तभी मिलती है
जब पहरे में स्वयं धनुर्धर राम खड़े होते हैं।’’