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कब होगा अगला सर्जिकल स्ट्राइक

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यह सच है कि जब दुश्मन का खात्मा करना हो तो एक नाग की तरह उसका अंत कर देना चाहिए। फन जरा सा भी बाकी नहीं छोड़ना चाहिए। आतंकवादी हो या पाकिस्तान जैसा दुश्मन पड़ोसी हो, हमें इन्हें निपटाना तो जड़ से ही होगा तभी बात बनेगी। भारतीय सेना के जवानों ने देश की आजादी से लेकर आज की तारीख तक जो बलिदान दिए हैं हमें उस पर नाज है। देश को महफूज रखने के लिए सेना, अर्द्ध सैन्य बल या पुलिस के जवान आज जम्मू-कश्मीर में आतंकवादियों से जिस तरह से लोहा ले रहे हैं हम उस जज्बे को सलाम करते हैं। दु:ख इस बात का है कि एक बड़े लोकतंत्र में महबूबा मुफ्ती जैसे राजनीतिज्ञ हर चीज को जब राजनीतिक तराजू पर तौलते हैं तो फिर दांव पर हमेशा राष्ट्र हित ही लगते हैं। देश को खामियाजा भुगतना पड़ता है। हमें खुशी इस बात की है कि प्रधानमंत्री के रूप में हमें नरेंद्र मोदी जैसा कर्त्तव्यपरायण, निर्भीक तथा राष्ट्रभक्त व्यक्ति मिला है, जो भारतीय सेनाओं का सम्मान करना जानता है। तभी तो उन्होंने पाकिस्तान के आतंकवादियों को अपनी सेनाओं के माध्यम से सर्जिकल स्ट्राइक के तहत 2016 में करारा जवाब दिया था।

दरअसल, सेना के उड़ी स्थित कैम्प पर हमला करने और लगभग दर्जनभर जवानों की शहादत के बाद देशवासियों का खून खौल उठा तो इस भावना को मोदी जी ने समझा और उन्होंने पाकिस्तान का बॉर्डर पार करके पीओके में सेनाओं को जाने की इजाजत दे दी। लिहाजा 40 आतंकवादियों को मार गिराने के बाद सेना लौट आई थी। पाकिस्तान इस मार से अभी सुधरा नहीं और पिछले दो वर्षों से घुसपैठ करवाकर आए दिन अकारण गोलीबारी करवा रहा है। ये गोलीबारी उन भारतीय गांवों में की जा रही है जिनका कोई सरोकार पाकिस्तान से नहीं है। कम से कम 25 ग्रामीण नापाक फायरिंग का शिकार हो चुके हैं। अब तक 40 से ज्यादा जवान शहीद हो चुके हैं। सेना और बीएसएफ ने जब-जब पाकिस्तान पर पलटवार किया तो पाकिस्तान की ओर से ‘रहम करो, रहम करो’ की आवाजें गूंज उठती हैं। पिछले दिनों रमजान पर महबूबा सईद जब सीएम थीं तो उन्होंने केंद्र सरकार के समक्ष गुहार लगाई कि सेना को संघर्ष विराम के लिए कहा जाए। उनकी बात मान ली गई परंतु आतंकवादी सक्रिय रहे और सब जानते हैं कि भाजपा के समर्थन वापिस लेते ही महबूबा की सरकार गिर गई। उन्हें सबक सिखा दिया गया परंतु पाकिस्तान के आतंकवादियों और उनके शरणदाताओं को अगर पूरा सबक सिखाना है तो फिर एक और सर्जिकल स्ट्राइक करना ही होगा, इस बात का इंतजार राष्ट्र कर रहा है।

हमारा मानना है कि चोर पकड़ने के साथ-साथ चोर की मां को काबू कर लिया जाए तो ज्यादा बढि़या काम रहेगा। कश्मीर घाटी में जिस तरह से पत्थरबाजों ने पिछले दिनों अपने पाकिस्तानी आकाओं के दम पर जो हरकतें की हैं, तो उसका जवाब अब घाटी में ज्यादा जोरदार तरीके से राष्ट्रपति शासन के दौरान दिया जा सकता है। सेना का मनोबल बढ़ाना होगा। जो आतंकवादी पकड़े गए हैं या जो पत्थरबाजों के खिलाफ केस दर्ज किए गए थे और जिन्हें छोड़ दिया गया था, दोबारा से कार्रवाई की जद में लाये जाएं तो सचमुच भारतीय सिस्टम का एक वह पलटवार होगा कि एक पत्थरबाज दोबारा पत्थर उठाने से पहले सौ बार सोचेगा। जब 2016 में सर्जिकल स्ट्राइक किया गया तो राजनीतिक रूप से सब कुछ मोदी सरकार के पक्ष में चला गया था। आज की तारीख में राजनीतिक माहौल को लेकर पक्ष और विपक्ष में टकराव चलते रहते हैं। हमारा यह मानना है कि सेना की शहादत को किसी राजनीतिक बहस का मुद्दा न बनाकर आतंक और आतंकियों के पनाहगारों का खात्मा जरूरी है। यद्यपि मोदी सरकार में गृहमंत्री के रूप में राजनाथ, विदेश मंत्री के रूप में सुषमा स्वराज अपनी-अपनी ड्यूटी निभाकर पाकिस्तान को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर एक आतंकवादी के रूप में बेनकाब कर चुके हैं। साथ ही एनएसए अजीत डोभाल भी पूरे योजनाबद्ध तरीके से और सही दिशा में अपना फीडबैक सरकार तक पहुंचा रहे हैं। सब कुछ सही हो रहा है लेकिन आतंकवादियों के संपूर्ण सफाए के लिए हमें वह सब करना होगा जो अमेरिका ने एबटाबाद में छिपे बैठे ओसामा बिन लादेन को मार गिराने के लिए किया था। यह सर्जिकल स्ट्राइक कमाल का था।

अमेरिका ने किसी से इसकी इजाजत नहीं ली थी। अब हमें पाकिस्तान को बेनकाब करने वाली बातें छोड़कर पीओके में एक बार फिर सर्जिकल स्ट्राइक करनी होगी। आतंकियों के ट्रेनिंग कैम्प कहां-कहां हैं यह जानकारी हमारी सेना के पास है और सब कुछ तबाह करने में सेना को महज तीन मिनट लगेंगे। पिछला 2016 का सर्जिकल स्ट्राइक का वीडियो जारी हो चुका है। पाकिस्तानी हुक्मरानों के छक्के छूट चुके हैं। अब ज्यादा वक्त न गंवाकर मोदी सरकार अगर सर्जिकल स्ट्राइक कर देती है तो सारी फिजां फिर से सरकार के पक्ष में चली जाएगी। दुश्मन का खात्मा होने की सूरत में पूरा देश सरकार के भरोसे और कर्त्तव्यपरायणता के प्रति नतमस्तक हो जाएगा। तो फिर देरी किस बात की है। पाकिस्तान लड़खड़ा चुका है। आज की तारीख में राजनीतिक और सामरिक रूप से कोई उसके साथ नहीं खड़ा। यहां तक कि चीन भी अब उसका साथ इसलिए नहीं दे पाएगा, क्योंकि भारतीय फौज उसे भी जलवा दिखा चुकी है। सारे देश को एक और सर्जिकल स्ट्राइक का इंतजार है। अब देखना यह है कि सर्जिकल स्ट्राइक की गाज पाकिस्तान के आतंकियों पर कब गिरती है?

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