लोकतंत्र में हर किसी को बोलने, कहने और कुछ भी कर डालने का अगर संवैधानिक अधिकार है तो भी नियमों का हनन नहीं किया जा सकता। यह बात सही है कि जिसकी लाठी उसी की भैंस लेकिन अगर आपके हाथ में सत्ता है तो आप बेलगाम होकर किसी खास को चुनकर निशाने पर नहीं ले सकते। राजनीतिक पार्टियों को मिलने वाले चंदे की जानकारी इनकम टैक्स विभाग को दिए जाने को लेकर इस देश में विवाद उठते रहे हैं। दिल्ली में सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी को आयकर विभाग ने 31 करोड़ रुपया चुकाने का ताजा नोटिस देकर अब तक की सबसे बड़ी कार्यवाही की है। आम आदमी पार्टी ने इस नोटिस के मिलने पर मामले को राजनीतिक रूप से बदले की कार्यवाही बताते हुए केंद्र सरकार पर जबर्दस्त पलटवार किया है। क्योंकि केंद्र में अब मोदी सरकार है तो जाहिर है कि राज्यों में अगर भाजपा की सरकार नहीं है तो आरोप-प्रत्यारोपों का लगना स्वाभाविक है।
आखिरकार सच्चाई क्या है इस बात का जवाब समय देगा लेकिन हम यहां स्पष्ट कर देना चाहते हैं कि भारत के लोकतंत्र पर दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी सबसे ज्यादा जमीनी है और सबसे ज्यादा इस पार्टी की लोकप्रियता है। इतना ही नहीं इस पार्टी की सफलता भी 70 में 67 सीट वाली है और इतनी बड़ी स्वीकार्यता अब तक देश में विधानसभा चुनावों में किसी राजनीतिक दल को नहीं मिली। सीधा सा सवाल है कि अगर किसी अकेली पार्टी के खिलाफ चंदे के मामले में टारगेट किया जाएगा तो सत्तारूढ़ सरकारों के खिलाफ गलत संदेश जाएगा। सीधी नजर में यह बात दिखाई दे रही है कि इस देश में और भी तो राजनीतिक पार्टियां हैं, जिनके खिलाफ राजनीतिक चंदे को लेकर इतनी बड़ी कार्यवाही इनकम टैक्स विभाग द्वारा नहीं की गई है। कांग्रेस, सपा, बसपा, राकांपा, टीएमसी, डीएमके, अन्नाडीएमके या भाकपा और माकपा तथा जदयू जैसी पार्टियों के खिलाफ भी इतना बड़ा एक्शन नहीं लिया गया, जितना आम आदमी पार्टी के खिलाफ लिया गया। उस दिन एक टीवी चैनल पर चर्चा के दौरान आम आदमी पार्टी के प्रवक्ता के अलावा अन्य विशेषज्ञों की राय भी एकदम सही और सटीक नजर आ रही थी। इस राय का निष्कर्ष यही था कि अगर इनकम टैक्स विभाग ने राजनीतिक चंदे को लेकर नोटिस वगैरह भेजने का काम करना है तो फिर सभी पार्टियों के खिलाफ एक्शन लो।
अकेले आम आदमी पार्टी को ही निशाने पर क्यों लिया जाता है? सब जानते हैं कि सरकारी विभाग या केंद्रीय एजेंसियां सत्तारूढ़ सरकार की देखरेख में कार्य करती हैं। संविधान कितना भी कहे कि अन्य राज्य सरकारों के साथ भेदभाव नहीं किया जाना चाहिए, परंतु भारत का लोकतंत्र गवाह है कि केंद्र सरकारें राज्यों में अन्य सरकारों को टारगेट करती रही हैं। पिछली सरकारों से लेकर आज तक यह होता रहा है और कब तक चलता रहेगा हम यह जानना चाहते हैं। यहां हम राजद सुप्रीमो लालू यादव के खिलाफ सीबीआई, ईडी या फिर इनकम टैक्स विभाग की कार्यवाही का उल्लेख करते हुए कहना चाहेंगे कि इन सबको राजनीतिक बदले की कार्यवाही के रूप में सोशल साइट्स पर बहुत ज्यादा हाईलाइट किया जा रहा है। खुद लालू यादव ने इसे राजनीतिक हमला बताते हुए विपक्ष की एकजुटता का आह्वन किया है। हमारा मानना है कि अगर गैर भाजपाई सरकारों के खिलाफ केंद्रीय एजेंसियां इस तरह का एक्शन लेंगी तो लोकतंत्र में इसका परिणाम अच्छा नहीं होगा। जब सरकारें विकास के दावे करते हुए जमीन पर इसके उलट काम करेंगी तो बात बिगड़ जाएगी।
इनकम टैक्स विभाग ने कहा है कि आम आदमी पार्टी ने चंदे के रूप में मिली 13 करोड़ 16 लाख रुपए की रकम की जानकारी नहीं दी और यह ब्लैक मनी है। लिहाजा 31 करोड़ का उसे जुर्माना ठोका गया है। अब कुल मिलाकर बकाया टैक्स की रकम 68.44 करोड़ रुपए तय कर दी गई है। फिर से यही सवाल खड़ा होता है कि जिस तरीके से आम आदमी पार्टी की इस रकम को कालेधन की कैटेगरी में रखा गया है तो लोग सोशल साइट्स पर पूछने लगे हैं कि क्या भाजपा ने उसे कितना राजनीतिक चंदा मिला, इसकी जानकारी किसी को दी है? अगर आम आदमी पार्टी की यह हेराफेरी है तो फिर भाजपा को भी यह सिद्ध करना होगा कि उसने एक-एक पैसे का हिसाब-किताब सरकारी विभागों को दे रखा है। आम आदमी पार्टी की गहराई और खास वर्ग की पसंदीदा नेचर को देखते हुए यह कहा जा सकता है कि उसने केंद्र के खिलाफ सोशल साइट्स पर एक युद्ध सा छेड़ दिया है। लोग इस मामले पर केंद्र सरकार पर प्रहार करने लगे हैं।
जमीनी मुद्दों पर आम आदमी पार्टी की पकड़ जबर्दस्त है और अब अगर वह इस मामले को राजनीतिक मुद्दा बना लेती है तो चुनावों की पृष्ठभूमि में यह भाजपा को महंगा पड़ सकता है। यह बात हम नहीं सोशल साइट्स पर लोग एक-दूसरे से जमकर शेयर कर रहे हैं। हम एक बात साफ कर देना चाहते हैं कि जब लोकतंत्र में वोटतंत्र की बात चलती है तो यही कहा जाता है कि यह पब्लिक है सब जानती है। सोशल साइट्स पर ही लोग कह रहे हैं कि भाजपा पर दिल्ली की सरकार से एलजी को केंद्र बिन्दु बनाकर विवाद पैदा करने के आरोप लग रहे हैं। समय जवाब देगा कि भविष्य में क्या होगा? लेकिन एक बात चौंकाने वाली है कि इस समय आम आदमी पार्टी के अलावा सपा, बसपा, भाकपा, माकपा, टीएमसी और जदयू तथा लालू की पार्टी खुलेआम राजनीतिक बदलों के लिए केंद्र सरकार को सूत्रधार मानकर पलटवार कर रहे हैं। इस मामले में भाजपा को अपना चरित्र और आचरण पारदर्शी और शुद्ध रखना होगा तभी बात बनेगी वरना लोग यही कहेंगे कि केजरीवाल की बात में दम है।