उत्तर प्रदेश सरकार ने इतिहास का सबसे मेगा बजट पेश किया है। इस वर्ष उत्तर प्रदेश के वित्त मंत्री सुरेश खन्ना ने 6.90 लाख करोड़ का बजट प्रस्तुत करते हुए राज्य के सभी क्षेत्रों के साथ समाज के हर वर्ग काे ध्यान में रखा है। पिछले वर्ष 2022 में योगी सरकार का 6.15 लाख करोड़ का बजट पेश हुआ था। जब भी बजट पेश होता है तो उस पर प्रतिक्रियाएं आती हैं। आम आदमी अपने लिए कुछ न कुछ तलाशता है। औद्योगिक क्षेत्र अपने लिए कुछ तलाशता है। राज्य सरकारों के बजट में आजकल वेतन वृद्धि, टैक्स में कमी या वृद्धि, वस्तुओं के सस्ता और महंगा होने जैसा कुछ नहीं होता। इसलिए आम आदमी खुद को उससे जोड़ नहीं पाता। इसके बावजूद बजट राज्य की व्यवस्था के संचालन के लिए होता है। इसमें किस क्षेत्र के लिए कितना धन दिया गया है इसका ब्यौरा होता है। आम आदमी की खुशी इस बात पर देखी जाती है कि उसके गांव या शहर अथवा आसपास के होने वाले विकास कार्यों के लिए कितना धन आवंटित किया गया है। उद्योगपति अपने लिए यह देखते हैं कि विकास कार्यों और निवेश से जुड़ी योजनाओं से उन्हें कितना लाभ होता है। छात्र, महिलाएं, व्यापारी, किसान और अन्य वर्ग अपने लिए बजट में ऐलान ढूंढते हैं। अगर इस दृष्टि से योगी सरकार के मेगा बजट का विश्लेषण किया जाए तो जो तस्वीर सामने आती है कि इस बजट में समाज के हर वर्ग के लिए कुछ न कुछ जरूर है। बजट उत्तर प्रदेश के सर्व समावेशी और समग्र विकास के साथ ही आत्मनिर्भर भारत की तर्ज पर आत्मनिर्भर उत्तर प्रदेश की नींव को प्रस्तुत करता है। विपक्ष आलोचना करने के लिए स्वतंत्र है और उसने हमेशा की तरह बजट को दिशाहीन बताया है। बजट पर एक समग्र दृष्टि डाली जाए ताे यह राज्य के आर्थिक, औद्योगिक एवं सांस्कृतिक उत्थान का ब्लूप्रिंट नजर आता है। इससे निवेश, रोजगार और औद्योगिक प्रगति में तेजी आने की उम्मीद है। बजट में विजन भी है और वजन भी है। प्रत्येक सैक्टर के लिए पर्याप्त धन का प्रावधान किया गया है। अगले पांच वर्षों में उत्तर प्रदेश को देश की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के रूप में स्थापित करने के लिए यह बजट नींव का पत्थर बन सकता है।
उल्लेखनीय है कि यूपी की विकास दर देश की विकास दर से अधिक है। देश की जीडीपी में उत्तर प्रदेश का योगदान आठ प्रतिशत का है। वर्ष 2021-22 में प्रदेश के सकल घरेलू उत्पाद में 16.8 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है जो देश की विकास दर से अधिक रही है। सरकार ने पहली बार मतदाता बन रहे युवाओं को साधने के लिए स्वामी विवेकानंद युवा सशक्तिकरण योजना के तहत बजट में छात्र-छात्राओं को स्मार्टफोन और टेबलेट के लिए 3600 करोड़ का प्रावधान किया है। स्टार्टअप्स के लिए सीड फंड हेतु 100 करोड़ रुपए की व्यवस्था की गई है। उत्तर प्रदेश सूचना प्रौद्योगिकी एवं स्टार्टअप्स नीति हेतु 60 करोड़ रुपए की व्यवस्था प्रस्तावित है।
ग्रामीण क्षेत्रों में युवा उद्यमियों को एग्रीटेक स्टार्टअप्स की स्थापना के लिए प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से एग्रीकल्चर एक्सीलरेटर फंड के लिए 20 करोड़ रुपए प्रस्तावित हैं। यानि बजट से स्टार्टअप को बढ़ावा मिलेगा। राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन के अन्तर्गत विभिन्न कार्यक्रमों के संचालन हेतु 12,631 करोड़ रुपए की व्यवस्था प्रस्तावित है। इसके अलावा बजट में सड़क और सेतु निर्माण के लिए 21.159 करोड़ रुपए और इनके रखरखाव के लिए लगभग 6209 करोड़ रुपए की व्यवस्था प्रस्तावित की गई है। बुंदेलखंड एक्सप्रैस-वे के साथ डिफैंस गलियारा परियोजना के लिए 550 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है, साथ ही गोरखपुर लिंक एक्सप्रैस-वे के दोनों तरफ गोरखपुर में औद्योगिक गलियारा विकसित करने के लिए 200 करोड़ की व्यवस्था प्रस्तावित की गई है। कहा जा सकता है कि योजनाओं पर काम होने से रोजगार के नए अवसर बनेंगे और इससे मजदूरों की आय बढ़ेगी। कई योजनाओं के जरिये किसानों को फायदा पहुंचाने के प्रयास किए गए।
बजट में जो घोषणाएं की गई हैं उसमें मुख्य रूप से एक बड़ा भाग पूंजीगत व्यय के लिए है। इसका अर्थ यही है कि राज्य के बुनियादी ढांचे के विकास पर धनराशि खर्च होगी वह रोजगार सृजन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। उत्तर प्रदेश में विकास की बहुत सम्भावनाएं हैं और योगी सरकार ने अपने कार्यकाल में उन सम्भावनाओं पर तेजी से काम किया है। विशेषज्ञों का कहना है कि अगर उत्तर प्रदेश के बंद पड़े या बीमार पड़े उद्योगों को दुबारा चालू कर दिया जाए तो राज्य के युवाओं को अन्य राज्यों में रोजगार की तलाश में जाने की जरूरत ही नहीं पड़ेगी। बजट में महिलाओं से लेकर छात्राओं और नौकरियों से लेकर बुनियादी ढांचे तक पूरा फोकस किया गया है। हाल ही में उत्तर प्रदेश निवेशक सम्मेलन हुआ था। इस सम्मेलन में भारी-भरकम निवेश का वादा किया। उससे स्पष्ट है कि योगी सरकार ने राज्य में गैंगस्टरों, माफियाओं और अपराधियों पर लगाम कस कर जिस ढंग से कानून व्यवस्था कायम की है उससे देशभर के निवेशक उत्तर प्रदेश की ओर आकर्षित हुए हैं। कौन नहीं जानता कि पूर्व की सरकारों में भाई-भतीजावाद और जमकर भ्रष्टाचार फैला हुआ था। पारिवारिक गढ़ों में बड़े महोत्सवों का आयोजन और आइटम डांस करवाने के लिए सरकारी खजाने का अनाप-शनाप खर्च किया जाता था। पूर्व में राजनीतिक दलों को तो निवेश प्राप्त हो जाता था लेकिन राज्य के विकास के लिए कोई पैसा नहीं आता था। इसमें कोई संदेह नहीं कि योगी आदित्यनाथ ने उत्तर प्रदेश की काया पलट कर रख दी है। उन्होंने बीमारू राज्य को एक विकास करने वाला राज्य बना दिया है। उत्तर प्रदेश में अब धन की कोई कमी नहीं, जरूरत इस बात की है कि जहां भी सार्वजनिक धन का निवेश हो रहा है उस पर सतत् निगरानी रखी जाए और धन का सदुपयोग हो।
आदित्य नारायण चोपड़ा
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