फरीदाबाद : हड़ताल को कमजोर करने के लिए शनिवार को बड़े सवेरे 4 बजे शांतिपूर्ण धरने पर बैठे रोड़वेज के 14 कर्मचारियों को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। पुलिस ने सभी सीमाएं लांघकर कर्मचारियों के बेनरों, दरियों व ओढने की रजाइयों को भी पुलिस ने जबरन कब्जे में ले लिया और क्रमिक अनशन पर बैठे अध्यापक नेता राज सिंह, भीम सिंह, चतर सिंह आदि सभी 14 अनशनकारियों को वहा से खदेड़ दिया गया। इसके बावजूद जिला प्रशासन कोई सरकारी बस चलवाने में सफल नही रहा और 13 वें दिन भी बसों का चक्का पुरी तरह जाम रहा। जिसको लेकर कर्मचारियों में भारी आक्रोश पैदा हो गया है।
गिरफ्तार किए नेताओं में जितेंद्र धनखड़, कर्मचंद देसवाल, जयसिंह गिल, प्रदीप सिंह आदि प्रमुख हैं। कर्मचारी संघ हरियाणा के महासचिव सुभाष लांबा, वरिष्ठ उपाध्यक्ष नरेश कुमार शास्त्री व मुख्य संगठनकर्ता वीरेंद्र सिंह डंगवाल ने जीएम की झुठी शिकायत पर करवाचौथ के दिन हड़ताली कर्मचारियों की गिरफ्तारियों की घोर निंदा की गई। उन्होंने सरकार को चेतावनी दी कि सरकार को झुठें मुकदमे दर्ज कर कर्मचारियों की कि जा रही गिरफ्तारियांएउनको निलम्बित करने और रोड़वेज का निजीकरण करने का राजनीतिक तौर पर काफी नुकसान उठाना पड़ेगा। उन्होंने यह चेतावनी शनिवार को गोल्फ कोर्स में आयोजित पत्रकार वार्ता में बोलते हुए दी। उन्होंने केंद्रीय राज्य मंत्री कृष्ण पाल गुर्जर, कैबिनेट मंत्री विपुल गोयल, भाजपा विधायक सीमा त्रिखा व पं मूलचंद शर्मा से आज हुई गिरफ्तारियों पर अपना रूख स्पष्ट करने की मांग की। ताकि कर्मचारियों एवं उसके परिजनों को अपने प्रतिनिधियों के रुख के बारे में पता चल सके।
रोडवेज कर्मचारियों ने किया बसों के चक्का जाम का ऐलान
उन्होंने कहा कि 13 दिनों में सरकार ने रोड़वेज कर्मचारियों की हड़ताल को कमजोर करने के लिए सभी प्रकार के हथकंडे अपना कर देख लिएए लेकिन सरकार हड़ताल को कमजोर नहीं नहीं कर पाई है। महासचिव सुभाष लांबा ने बताया कि रोड़वेज के कर्मचारी अपने वेतन भत्ते बढ़वाने की मांग को लेकर हड़ताल नही कर रहे हैं। बल्कि रोड़वेज को निजीकरण से बचाने के लिए अपनी नौकरी दांव पर लगा कर हड़ताल पर हैं। उन्होंने बताया कि अगर सरकार के पास बसे खरीदने के लिए धन का अभाव है तो रोड़वेज के सभी कर्मचारी एक महीने का वेतन देने और तीन साल का बकाया बोनस छोडऩे को तैयार हैं।
उन्होंने बताया कि 43 कैटेगरी को सब्सिडी देने के बावजूद पचास साल में रोडवेज का घाटा 680 करोड़ का बताया जा रहा है। लेकिन 720 प्राईवेट बसों को किराए पर लिया गया तो एक साल में 500 करोड़ का विभाग को घाटा उठाना पड़ेगा। जिससे विभाग बर्बाद हो जाएगा। उन्होंने कहा कि अगर यात्रियों की संख्या के मुताबिक 14 हजार बसों को शामिल किया जाये तो 84 हजार बेरोजगारों को पक्का रोजगार दिया जा सकता है। लेकिन सरकार ऐसा करने की बजाय प्राईवेट बसों को किराए पर लेने की जिद पर अड़ी हुई है और हड़ताल लम्बी बढ़ती जा रही है।