चंडीगढ़ : हरियाणा की राजनीति में हाशिए पर पहुंची इंडियन नेशनल लोकदल में एक अभूतपूर्व घटनाक्रम के तहत शनिवार को अभय चौटाला ने विपक्ष के नेता पद से इस्तीफा दे दिया। अभय ने अपना इस्तीफा विधानसभा स्पीकर को भेज दिया है। इसके साथ ही उन्होंने जननायक जनता पार्टी का समर्थन करने वाले विधायकों को पार्टी से निलंबित करते हुए उनके विरूद्ध भी कार्रवाई की मांग की है। इनेलो के दो फाड़ होने के बाद अस्तित्व में आई जननायक जनता पार्टी के गठन के बाद ही इनेलो का पतन शुरू हो गया था।
पिछले तीन माह के दौरान चार विधायक अभय चौटाला को छोडक़र जजपा का समर्थन कर चुके हैं। इनेलो व जजपा नेताओं में पद को लेकर खींचतान चल रही थी। जजपा सुप्रीमों दुष्यंत चौटाला अक्सर सार्वजनिक मंच से अभय चौटाला को चुनौती देते हुए कहते थे कि वह जब चाहें चार विधायकों व एक सांसद को पार्टी से निकाल सकते हैं। दुष्यंत ने कई बार अभय चौटाला पर नेता प्रतिपक्ष के पद का लालची होने का भी आरोप लगाया।
दूसरी तरफ अभय चौटाला जजपा समर्थित विधायकों को इस्तीफा दिए जाने की चुनौती देते रहे हैं। शब्दों के इस खेल के बीच दो दिन पहले नलवा के विधायक रणबीर सिंह गंगवा ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया। गंगवा के इस्तीफे के बाद ही यह तय माना जा रहा था कि अभय चौटाला की कुर्सी पर अब खतरे के बादल मंडरा रहे हैं। आज सुबह से ही हरियाणा में इनेलो के एक और विधायक के भाजपा में शामिल की अटकलों के बीच बाद दोपहर अभय चौटाला ने प्रेस वार्ता बुलाकर नेता प्रतिपक्ष के पद से इस्तीफा देने का ऐलान कर दिया।
विधानसभा स्पीकर कंवरपाल गुर्जर को इस्तीफा भेजने के बाद मीडिया से बातचीत में कहा कि उन्हें किसी तरह से पद का लालच नहीं है। अभय चौटाला ने दुष्यंत चौटाला को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि वह इनेलो के चुनाव चिन्ह पर जीतकर लोकसभा में पहुंचे हैं। इसलिए वह अब लोकसभा स्पीकर को पत्र लिखकर उनके विरूद्ध कार्रवाई की मांग करेंगे। अभय चौटाला द्वारा नेता प्रतिपक्ष पद से इस्तीफा दिए जाने के बाद अब दोनों दलों के बीच का विवाद और बढ़ेगा।
– आहूजा, राजेश जैन