चंडीगढ़: हरियाणा विधानसभा में दूसरे दिन भी दादूपुर नलवी नहर का मुद्दा छाया। इस मुद्दे पर लाए गए काम रोको प्रस्ताव के बहाने एसवाईएल का मुद्दा ऐसा उछला कि एक बार पूरी चर्चा ही पटरी से उतर गई। इस दौरान कई मौकों पर सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच तीखी नोकझोंक के दौर चले। सभी दल एक दूसरे पर किसानों के हितों को नजरअंदाज करने के ठीकरे फोड़ते रहे। यहां तक कि मुख्यमंत्री मनोहर लाल को अपने जवाब के दौरान विपक्ष की जबरदस्त टोकाटाकी से जूझना पड़ा। बाद में विपक्ष ने मुख्यमंत्री के जवाब से असंतुष्ट होकर सदन से वॉकआऊट कर दिया। यह हालात इस मुद्दे पर लाए गए काम रोको प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान बने।
मंजूर हुए प्रस्ताव की शुरुआत ही विपक्षी दलों के आपसी नोंकझोंक से शुरु हुई और काफी देर तक प्रस्ताव की मंजूरी को लेकर प्रमुख विपक्षी आईएनएलडी व कांग्रेस आपस में उलझे नजर आए। उल्लेखनीय है कि दोनों ही पार्टियों की तरफ से इस मुद्दे पर काम रोको प्रस्ताव दिया गया था। स्पीकर कंवर पल गुर्जर ने इसे पहले ही दिन मंजूर करते हुए मंगलवार को चर्चा तय की थी। सोमवार को सत्र के पहले दिन यह सदन इस मुद्दे पर जबरदस्त हंगामे, शोरगुल पर नारेबाजियों का गवाह बना था। कांग्रेस के सदस्य विधानसभा स्पीकर के आसन के सामने इकट्ठे हो गए थे और इसी के परिणामस्वरूप कांग्रेस के 15 विधायक सदन से बाहर निकाल दिया गया था। मंगलवार को विपक्ष के नेता अभय चौटाला ने जैसे ही काम रोको प्रस्ताव पर चर्चा की शुरुआत की तो कांग्रेसी सदस्य अपने प्रस्ताव को लेकर स्पीकर से व्यवस्था देने का आग्रह करते देखे गए।
इस कारण आईएनएलडी व कांग्रेस आपस में जूझते दिखे। कांग्रेस विधायक दल की नेता किरण चौधरी ने चर्चा में हिस्सा लेते हुए स्वर्गीय बंसीलाल के मुख्यमंत्रित्व काल में नहर और नहरी पानी को लेकर उठाए गए कदमों का उल्लेख किया। इस दौरान उन्होंने कई मौके पर सत्ता पक्ष के सदस्यों की तरफ से टोकाटाकी का सामना करना पड़ा। उन्होंने कहा कि दादूपुर नलवी नहर को डिनोटिफाई करने की बजाय सरकार आगे कोई और योजना बनाती ताकि किसानो को इसका फायदा होता। उन्होंने सवाल उठाया कि क्या सरकार ने नहर को डिनोटिफाई करने से पहले क्या इस बारे में पीडि़त किसानों के साथ-साथ राष्ट्रपति से रजामंदी ली थी कि नहीं ली थी। उन्होंने कहा कि जैसे दक्षिण हरियाणा में पानी की समस्या बनी हुई है, ठीक इसी तरह उत्तरी हरियाणा में भी दिक्कतें खड़ी हो सकती हैं।
कांग्रेस के विधायक करण सिंह दलाल ने सरकार से सवाल किया कि दादूपुर नलवी नहर आखिर किस एक्ट के किस सेक्शन के तहत डिनोटिफाई की गयी। उन्होंने सरकार पर सरस्वती नदी प्रोजेक्ट के नाम पर भी पैसे की बर्बादी करने का आरोप लगाया। सिचाई मंत्री ओमप्रकाश धनखड़ ने दादूपुर नलवी नहर परियोजना को अव्यवहारिक बनाने के लिए पिछली कांग्रेस की सरकार को जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने माना कि यह प्रोजेक्ट अच्छी सोच के साथ बनाया गया था और इसका उद्देश्य भी किसानों के हित में था लेकिन, यह प्रोजेक्ट अव्यवहारिक हो चुका था इसलिए सरकार को इसे बंद करने का फैसला लेना पड़ा।
(आहूजा)