यमुनानगर : पूर्व मुख्यमंत्री एवं कांग्रेस नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने आज यहां कहा कि दादुपूर नलवी नहर परियोजना उनका ड्रीम प्रोजेक्ट रहा है और उनकी पार्टी की सरकार बनने पर यह परियोजना बहाल की जायेगी। श्री हुड्डा राज्य की भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार के हाल में इस परियोजना रद्द करने के फैसले के विरोध में आयोजित धरने में बोल रहे थे। उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा का पहला बड़ा वार उसी इलाके पर हुआ है जिसने उन पर ज्यादा विश्वास जताया। श्री हुड्डा ने कहा कि दादुपूर नलवी नहर परियोजना से अपने हाथ खींचकर भाजपा ने इस बात को साबित कर दिया है।
कांग्रेस नेता ने आरोप लगाया कि गत विधानसभा चुनाव में खासकर उत्तरी हरियाणा के किसानों को भाजपा नेताओं ने बड़े सब्जबाग दिखाए थे। भाजपा सरकार बनने के बाद हकीकत में सबसे ज्यादा आर्थिक नुकसान उत्तर हरियाणा के किसानों को ही उठाना पड़ा है जिसमें गन्ना उत्पादकों के साथ सब्जी, पापुलर और धान उगाने वाले किसान भी शामिल हैं। अब दादुपूर नलवी नहर बंद कर देने से यमुनानगर, अम्बाला और कुरुक्षेत्र जिले की लाखों हेक्टेयर जमीन बंजर होने का खतरा पैदा हो गया है। पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि यह उत्तर हरियाणा के किसानों का दुर्भाज्ञ था कि नहर निर्माण में आने वाली जमीन के मुआवजे का मामला उच्च न्यायालय में क्या आया कि सरकार ने इसकी आड़ में पूरी नहर से ही अपना हाथ खींच लिया और अधिग्रहीत जमीन किसानों को लौटाने के फैसले पर आ गई।
भाजपा मंत्रियों द्वारा दादूपूर नलवी नहर परियोजना को कांग्रेस का बड़ा घोटाला बताने पर कड़ा एतराज जताते हुए श्री हुड्डा ने कहा कि घोटाला कांग्रेस ने नहीं बल्कि नहर रद्द करके भाजपा ने किया है। इस परियोजना पर अब तक 300 करोड़ से अधिक की राशि खर्च हो चुकी है जो इनके इस कदम से व्यर्थ चली जायेगी। उन्होंने सरकार से सवाल किया कि जिन किसानों को सालों पहले मुआवजा मिला क्या वह आज 15 प्रतिशत ब्याज के साथ वापिस लौटा पाने की स्थिति में हैं। उन्होंने कहा कि भाजपा को यह याद रखना चाहिए कि यदि पूर्ववर्ती सरकारों द्वारा शुरू की गई किसी भी परियोजना को इस तरह रद्द किया जाने लगा तो जनता का लोकतंत्र से विश्वास खत्म हो जाएगा। aइस अवसर पर रोहतक से कांग्रेस सांसद दीपेन्द, हुड्डा ने कहा कि बार-बार केंद, और राज्य सरकार किसानों के साथ ज्यादती कर रही हैं कभी उसे स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट लागू करने के नाम पर ठगा गया तो कभी उसे प्रधानमंत्री फसल बीमा के नाम पर लूटा गया। नहर परियोजना रद्द कर मनोहर लाल खट्टर सरकार ने सारी हदें पार कर दी हैं।