नई दिल्ली : पूर्व मुख्यमंत्री व इनेलो प्रमुख ओमप्रकाश चौटाला को शिक्षक भर्ती घोटाले में सात साल की सजा पूरी करने के कारण तिहाड़ जेल से रिहा किया जा सकता है। हालांकि उन्हें दस वर्ष की सजा सुनाई गई है मगर जेल नियमों के अनुसार जो व्यक्ति साठ साल से अधिक उम्र पार कर चुका हो और उसकी आधी सजा पूरी हो चुकी हो ऐसे में उसे छूट देने का प्रावधान है। दिल्ली सरकार के विश्वसनीय सूत्रों से पता चला है कि केजरीवाल सरकार इस बारे में कानूनी विशेषज्ञों से राय ले रही है।
पूर्व मुख्यमंत्री ओम प्रकाश चौटाला फिलहाल गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल में उपचाराधीन हैंं। 84 वर्षीय ओम प्रकाश चौटाला ने दिल्ली सरकार से आग्रह किया था कि वह 70 फीसदी विकलांग हैं और उन्हें पेसमेकर लगा है और सात साल की सजा पूरी भी कर चुका है इसलिए उन्हें रिहा किया जाए। मगर दिल्ली सरकार ने उनके इस आग्रह को नहीं माना था। उसके चौटाला ने कहा था कि वह हाईकोर्ट जाएंगे। मगर अब दिल्ली सरकार इस विषय पर आगे बढ़ रही है।
हरियाणा में मुख्यमंत्री रह चुके ओम प्रकाश चौटाला को तिहाड़ से छोड़ने की संभावना पर दिल्ली सरकार के सूत्रों का कहना है कि उनकी उम्र और खराब स्वास्थ्य को देखते हुए ये फैसला लिया जा सकता है। इस संबंध में दिल्ली सरकार, कानूनी सलाह ले रही है। अगर कानूनी सलाह में दिल्ली सरकार को राय मिलती है कि ओम प्रकाश चौटाला को रिहा किया जा सकता है, तो बहुत जल्द वह तिहाड़ से बाहर आ जाएंगे।
इससे पहले, दिल्ली हाईकोर्ट ने बुधवार को दिल्ली सरकार को हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री ओम प्रकाश चौटाला को 60 वर्ष से अधिक उम्र के पुरुषों को विशेष छूट देने के प्रावधान के तहत तिहाड़ जेल से रिहा करने की याचिका पर विचार करने को कहा है। केंद्र सरकार की जुलाई 2018 की विशेष माफी संबंधी नोटिफिकेशन के अनुसार, 70 फीसदी दिव्यांग होने के साथ यदि किसी की उम्र 60 साल से ज्यादा है और वह कोर्ट से मिली सजा को आधा समय जेल में काट चुका है तो राज्य सरकार उसकी रिहाई के लिए विचार कर सकती है।
चौटाला के वकीलों ने न्यायालय में कहा है कि चौटाला दिव्यांग होने के साथ 84 साल के हो चुके हैं और सजा भी काट चुके हैं। दिल्ली सरकार के सूत्रों का ये भी कहना है कि दिल्ली सरकार नियमों का सख्ती से पालन कर रही है लेकिन न्यायालय के निर्देशों और केंद्र सरकार के जुलाई, 2018 के नोटिफिकेशन के आधार पर सरकार ये भी विचार कर रही है कि उम्र दराज, बीमार और अपनी आधी से ज्यादा सजा काट चुके लोगों के मामलों को संवेदनशीलता से देखा जाए। इस संबंध में कानूनी सलाह ली जा रही है। कानूनी सलाह के आधार पर फैसला लिया जाएगा।