चंडीगढ़ : हरियाणा में जाट आरक्षण आंदोलन के दौरान हुई हिंसा के बाद सामने आई प्रकाश सिंह कमेटी की रिपोर्ट को सरकार ने पूरी तरह से खारिज कर दिया है। हरियाणा के गृह मंत्री अनिल विज ने कहा कि प्रकाश सिंह कमेटी की रिपोर्ट का चैप्टर अब बंद हो चुका है, इसलिए प्रकाश कमेटी की रिपोर्ट के दोबारा से अध्ययन का सवाल ही पैदा नहीं होता। वैसे भी यह रिपोर्ट अधिकृत नहीं थी।
बता दें, सुप्रीम कोर्ट में पुलिस सुधारों की लड़ाई लड़ने वाले उत्तर प्रदेश के पूर्व डीजीपी प्रकाश सिंह ने अपनी रिपोर्ट में हिंसा के लिए न केवल सरकार व अफसरों में तालमेल की कमी को जिम्मेदार ठहराया था, बल्कि हरियाणा में पुलिस के बढ़ते राजनीतिकरण पर चिंता जताते हुए उसमें सुधार की जरूरत बताई थी। प्रकाश सिंह की रिपोर्ट को आज तक सार्वजनिक नहीं किया जा सका।
राज्य सरकार हालांकि बार-बार कहती रही है कि इस रिपोर्ट को पब्लिक डोमिन (सार्वजनिक मंच) पर डाला जा चुका है, लेकिन पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा और इनेलो नेता अभय सिंह चौटाला का दावा है कि सरकार प्रकाश सिंह रिपोर्ट के अहम तथ्यों को छिपा रही है और उन्हें उजागर नहीं कर रही है। इस रिपोर्ट में डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला के नाम को भी गलत ढंग से इस्तेमाल किया गया था। दुष्यंत की ओर से कानूनी कार्रवाई के बाद प्रकाश सिंह कमेटी की रिपोर्ट से उनका नाम हटा लिया गया था।
हरियाणा के गृह मंत्री अनिल विज ने साफ कह दिया कि प्रकाश सिंह की रिपोर्ट आधी-अधूरी थी और उसमें कई ऐसी खामियां थी, जिनका जिक्र करना अब ज्यादा जरूरी नहीं समझते। विज ने कहा कि प्रकाश सिंह के नेतृत्व वाली कमेटी में तीन सदस्य थे, लेकिन जो रिपोर्ट तैयार हुई, उस पर सभी तीनों सदस्यों के हस्ताक्षर न होकर मात्र एक ही सदस्य के हस्ताक्षर थे, जिसका मतलब यह हुआ।
कि इस रिपोर्ट में दर्ज तथ्यों के प्रति कमेटी के सदस्यों में मतभेद थे और वह एक दूसरे से सहमत नहीं थे। पुलिस में बढ़ते राजनीतिक हस्तक्षेप से जुड़े सवाल पर अनिल विज ने कहा कि पुलिस में सुधारों के लिए वह अपने स्तर पर प्रयासरत हैं। जल्द ही पुलिस सुधार के नतीजे सामने आने लगेंगे।