चंडीगढ : हरियाणा प्रदेश की 10 लोकसभा सीटों के लिए हुआ रविवार को जनता ने हरियाणा के दिग्गजों का भविष्य ईवीएम में कैद कर दिया। जिसका पिटारा अब 23 मई को खुलेगा। हरियाणा के नौ राजनैतिक परिवार अपने विरासत को बचाने के लिए जबरदस्त मुकाबले में फंसे हुए हैं। इस बार में हरियाणा के चुनावी महाभारत कई धुरंधर योद्धा आमने-सामने हैं। सभी ने चुनाव प्रचार के दौरान अपने सभी शाम दंड भेद की नीति व अस्त्र-शस्त्र आजमाए।
अब आज मतदाता अपना फैसला ईवीएम में दर्ज कर दिया है। अब 23 मई फैसले तक सभी दिग्गजों की रात की नींद व दिन का चैन गायब रहेगा। दस लोकसभा सीटों पर जीत हासिल करने का लक्ष्य लेकर चल रही भाजपा की राह में कांग्रेस जहां बड़ा चीन की दीवार बनी नजर आ रही है, वहीं भाजपा व क्षेत्रीय दलों ने अपनी-अपनी पार्टी के उम्मीदवारों की जीत में पूरी ताकत झोंक दी है। छह सीटों पर आमने सामने की टक्कर है तो चार सीटों पर तिकोना मुकाबला बना हुआ है।
पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा और उनके बेटे दीपेंद्र हुड्डा को अपनी-अपनी सीटें निकालने के लिए कड़ी मशक्कत का सामना करना पड़ रहा है। इनके अलावा जो दूसरे उम्मीदवार अपनी राजनीतिक विरासत बचाने के लिए चुनाव मैदान में हैं, उनमें दिग्विजय चौटाला सोनीपत सीट, दुष्यंत चौटाला हिसार, श्रुति चौधरी भिवानी-महेंद्रगढ़, अर्जुन चौटाला कुरुक्षेत्र, राव इंद्रजीत गुरुग्राम, कुमारी शैलजा अंबाला, भव्य बिश्नोई हिसार और ब्रजेंद्र सिंह हिसार, शामिल हैं। प्रदेश में चल रही जातिवाद की लहर ने इन सभी उम्मीदवारों की जीत-हार के समीकरण बिगाड़ दिए हैं।
भाजपा ने प्रचार के लिहाज से कांग्रेस के बड़े चेहरे पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा को उनके सोनीपत संसदीय क्षेत्र तक सीमित कर दिया। हुड्डा ने प्रचार के आखिरी दिन गोहाना में बड़ी रैली कर हालांकि अपनी ताकत दिखाई। राज्य में फिलहाल सात सीटों पर भाजपा, एक पर कांग्रेस, एक इनेलो और एक पर जननायक जनता पार्टी का कब्जा है। भाजपा की कोशिश सभी 10 सीटें जीतने की है, वहीं कांग्रेस भी 10 सीटों से कम कुछ भी नही चाहती बात करे इनेलो की तो वह कम से कम दो और जननायक जनता पार्टी और आम आदमी पार्टी गठबंधन का चार सीटें जीतने का लक्ष्य लेकर मैदान मे उतरा है।
प्रदेश में छह लोकसभा सीटें ऐसी हैं, जहां भाजपा और कांग्रेस के बीच कांटे की सीधी टक्कर है। चार लोकसभा सीटों पर भाजपा, कांग्रेस और क्षेत्रीय दलों के बीच मुकाबला है। सत्तारूढ़ भाजपा के लिए सबसे अधिक दिक्कत 10 साल तक सत्ता में रही कांग्रेस खड़ी कर रही है।
(आहूजा)