हरियाणा का गुरुग्राम ज्योग्राफिकल मैपिंग अर्थात जीआईएस मैपिंग वाला उत्तर भारत का पहला शहर बन गया है और यह जिओ मैपिंग गुरुग्राम में पानी, सीवरेज, बिजली, सडक़ आदि की मास्टर सर्विसिज का ना केवल आधार बनेगा बल्कि इससे आपराधिक घटनाओं पर अंकुश लगाने तथा अतिक्रमण को भी रोकने में मदद मिलेगी।
गुड़गांव महानगर विकास प्राधिकरण के मुख्य कार्यकारी अधिकारी वी. उमाशंकर के मुताबिक सरकारी विभागों का एक कॉमन इन्फ्रास्ट्रक्चर बनाने के मकसद से प्राधिकरण की देखरेख में सैटेलाइट इमेजरी लेकर ‘वन मैप गुड़गांव’ तैयार किया जा रहा है। सैटेलाइट इमेजरी में 50 सेंटीमीटर का रेजोल्युशन प्राप्त हो रहा है। ड्रोन मैपिंग से वैलिडेशन होने के बाद पांच सेंटीमीटर के रेजोल्युशन में इमेजरी प्राप्त होगी, जिसका मतलब है कि जमीन से मात्र पांच सेंटीमीटर ऊंचाई की वस्तु भी ऑनलाइन जूम करने पर साफ दिखाई देगी। उन्होंने बताया कि वैलिडेशन का कार्य अप्रैल के अंत तक पूरा होने की उम्मीद है। इसके बाद जीआइएस मैपिंग की पूरी सूचना पब्लिक डोमेन पर डाल दी जाएगी।
जीआइएस मैपिंग से नगर निगम, बिजली निगम, टाउन एंड कंट्री प्लानिंग, जिला प्रशासन अाैर पुलिस विभाग ज्यादा लाभ उठा पाएंगे। पुलिस इसकी मदद से यह पता कर पाएगी कि किस क्षेत्र में क्राइम रेट ज्यादा है और उसके अनुरूप उस क्षेत्र मे क्राइम कंट्रोल करने के लिए कदम उठाए जा सकते हैं। इसी प्रकार इंफ्रास्ट्रक्चर संबंधी योजनाएं, पाइपलाइन डलवाने, नक्शा तैयार करने, अतिक्रमण, अवैध निर्माण हटवाने वगैरह में भी इससे सहूलियत होगी।
वी उमाशंकर ने बताया कि इस परियोजना पर जीएमडीए द्वारा 12 करोड़ रूपये की राशि खर्च किए जाने का प्रावधान किया गया है। एक प्रश्न के जवाब में उन्होंने बताया कि विभागीय डेटा वन मैप गुरुग्राम पर अपलोड करने के लिए सभी विभागों से एक या दो कर्मचारियों व अधिकारियों की नियुक्ति भी की जाएगी। जो इस कार्य में अपना सहयोग करेंगे। इस परियोजना के तहत विभिन्न विभागों से लगभग 65 कर्मियों का स्टाफ नियुक्त किया जाएगा। इसके साथ जीएमडीए द्वारा अपने कार्यालय के एक फ्लोर पर कमांड एंड कंट्रोल सेंटर भी स्थापित किया जाएगा।
जीएमडीए द्वारा अपने क्षेत्र में सड़कों पर लगभग 5000 सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएंगे और उनकी फीड कमांड एंड कंट्रोल सेंटर में आएगी। एक अन्य सवाल का जवाब देते हुए उन्होंने बताया कि सडक़ों के बर्म ठीक करने के लिए जीएमडीए द्वारा हाल ही में ढाई करोड़ रुपये के टेंडर दिए गए हैं। उन्होंने बताया कि इस डेटा बेस में खसरा नंबर के साथ जमीन का रिकॉर्ड दर्ज होगा जिससे कि लैंड गर्वनेंस में मदद मिलेगी।
24X7 नई खबरों से अवगत रहने के लिए क्लिक करे।