चण्डीगढ़ : मॉरीशस स्थित महात्मा गांधी इंस्टीट्यूट में गीता अध्ययन और अनुसंधान के लिए गीता चेयर की स्थापना की जाएगी। इसमें कुरूक्षेत्र विश्वविद्यालय, कुरूक्षेत्र द्वारा सहयोग किया जाएगा। यह जानकारी हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने मॉरीशस के गणमान्य नागरिकों से व्यक्तिगत रूप से भेंट करने के दौरान दी। मुख्यमंत्री ने कहा कि गीता चेयर भारत व मॉरीशस के लागों के सामाजिक व नैतिक उत्थान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।
मुख्यमंत्री ने बातचीत के दौरान गीता के सभी 700 श्लोकों के उच्चारण और उनकी व्याख्या पर प्रतियोगिताएं आयोजित करवाने का सुझाव दिया ताकि अधिकाधिक लोग गीता के संदेश को आत्मसात कर सकें। उन्होंने मॉरीशस के लागों को कहा कि आपकी जड़ें भारत से जुड़ी हैं, अत: आप भारत आएं और आने-जाने से दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक ही नहीं व्यापारिक, औद्योगिक आदि क्षेत्रों में आदान-प्रदान के द्वार खुलेंगे। इससे दोनों देशों को लाभ होगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि जिस प्रकार भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के प्रयासों से विश्व में अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाया जा रहा है उसी प्रकार भविष्य में गीता महोत्सव भी अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर मनाया जाएगा। उन्होंने कहा कि योग व गीता दोनों ही मानवमात्र को भारत की देने हैं। इसी प्रकार जीरो की खोज भी भारत की दुनिया को देन है। इस अवसर पर मॉरीशस के कार्यकारी राष्ट्रपति श्री परम शिवम पिल्ले व्योपूरी ने कहा कि संस्कृत भी भारत की दुनिया को बड़ी देन है। इसको बढावा दिए जाने की जरूरत है।
उन्होंने कहा कि संस्कृत को नासा ने कम्प्यूटर के लिए सबसे उपयुक्त भाषा माना है। इसीलिए अमेरिका व इंग्लैंड जैसे देश अपने बच्चों को संस्कृत पढा रहे हैं।इस अवसर पर मॉरीशस के विभिन्न सामाजिक, शैक्षणिक व अन्य संगठनों के प्रतिनिधि उपस्थित थे। सूजसविह-2019 चंडीगढ़, 15 फरवरी – हरियाणा के मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल ने आज मॉरिशस के अप्रवासी घाट का भ्रमण किया और वहां स्थापित संग्रहालय को देखा।
यह संग्रहालय 18वीं शताब्दी में मॉरिशस आने वाले मजदूरों की स्मृतियों एवं उनके द्वारा किए गए कठोर परिश्रम की यादों को संजाए हुए है। मॉरिशस आने वाले मजदूरों में भारतीयों की संख्या 97 प्रतिशत थी। वे मजदूर इसी अप्रवासी घाट के रास्ते मॉरिशस में प्रवेश हुए थे।इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने कहा कि मॉरिशस के लोगों को ही नहीं भारत की नई पीढ़ी को भी मॉरिशस में अपने पूर्वजों द्वारा किए गए संघर्ष व कठोर परिश्रम के इतिहास को जानने एवं उससे प्रेरणा लेने की जरूरत है।
मुख्यमंत्री ने उस समय मॉरिशस में आने वाले मजदूरों के रहन-सहन, खान-पान आदि से संबंधित वस्तुओं को संग्रहालय में देखा। उन्होंने कहा कि वे उन श्रम साधकों को नमन करते हैं जिन्होंने समुद्र से घिरे एक द्विप को अपनी अथक मेहनत से राष्ट्र का रूप प्रदान किया।
(आहूजा)