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हरियाणा सरकार का बड़ा फैसला, हर जिले में खुलेंगे प्रदूषण कार्यालय

बढ़ता प्रदूषण जहां एक ओर सूबे में बड़ी चिंता का विषय बना हुआ है, वहीं हैरत की बात यह कि प्रदेश के कई जिले ऐसे हैं, जहां आज तक प्रदूषण विभाग का कोई कार्यालय ही मौजूद नहीं है।

चंडीगढ़ : बढ़ता प्रदूषण जहां एक ओर सूबे में बड़ी चिंता का विषय बना हुआ है, वहीं हैरत की बात यह कि प्रदेश के कई जिले ऐसे हैं, जहां आज तक प्रदूषण विभाग का कोई कार्यालय ही मौजूद नहीं है। प्रदेश के ये जिले प्रदूषण नियंत्रण कार्यालयों से वंचित हैं। ऐसे में इन क्षेत्रों के प्रदूषण पर न तो उचित ढंग से नजर रखी जाती है और न ही शिकायतों पर जल्द कोई कार्रवाई हो पाती है। 
इसी को देखते हुए हरियाणा सरकार ने हर जिले में प्रदूषण नियंत्रण कार्यालय खोलने का फैसला लिया है। इस संदर्भ में प्रस्ताव को हरियाणा सरकार ने मंजूरी भी दे दी है। ये कार्यालय हरियाणा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधीनस्थ होंगे। सरकार से मंजूरी आने के बाद प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने जिलों में कार्यालय स्थापित करने के लिए विभिन्न साइट्स की तलाश शुरू कर दी है। 
सूत्रों ने बताया कि चूंकि सरकार जल्द से जल्द इन कार्यालयों का सेटअप चाहती है, इसलिए शुरुआती दौर में इन कार्यालयों को किराये के भवनों में भी खोला जा सकता है, ताकि ये कार्यालय प्रदूषण नियंत्रण को लेकर जिलों में जल्द अपना काम शुरू करें। इन कार्यालयों को अंबाला, कुरुक्षेत्र, करनाल, नूहं, पलवल, महेंद्रगढ़, झज्जर, रोहतक, हिसार, फतेहाबाद व सिरसा में स्थापित किए जाएंगे। 
इन कार्यालयों में एक क्षेत्रीय अफसर, दो से तीन असिस्टेंट इनवॉयरमेंटल इंजीनियर व एक साइंसटिस्ट का पद होगा। विभाग इनकी नियुक्तियों के लिए भी जल्द कार्रवाई शुरू करेगा। शिकायतों पर कार्रवाई में हो जाती थे देरी पिछले कुछ सालों से प्रदेश की आबोहवा भी लगातार बिगड़ती जा रही है। धान सीजन खत्म होने के दौरान तो प्रदूषण के हालात काफी खराब हो जाते हैं। 
इसके अलावा शहरों में उद्योगों व अन्य कारणों से होने वाला वायु, जल व ध्वनि प्रदूषण भी बढ़ता जा रहा है। मगर कई जिलों में प्रदूषण नियंत्रण कार्यालय न होने की वजह से शिकायतें पंचकूला हेडक्वार्टर आती हैं। जिसके बाद हेडक्वार्टर से स्टाफ इन शिकायतों की जांच के लिए फील्ड में पहुंचता है। कई बार स्टाफ कम होने की वजह शिकायतों पर जांच व एक्शन भी देरी से हो जाती है। कुल मिलाकर इसी वजह से प्रदेश में प्रदूषण नियंत्रण की गतिविधियां कुछ खास प्रभावशाली नहीं रहती।

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