फरीदाबाद : मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा कि पिछले तीन वर्षों में पर्यावरण संरक्षण के लिए शुरू किए गए पौधगिरी अभियान को हरियाणा में बड़ी सफलता मिली है। इस योजना के तहत हमने प्रदेश के लाखों स्कूली बच्चों को पर्यावरण संरक्षण की इस मुहिम के साथ जोड़ा है। इस वर्ष भी हमने राजकीय व निजी स्कूलों में 22 लाख विद्यार्थियों को इस योजना से जोड़ने का संकल्प लिया है। श्री मनोहर लाल रविवार को जलशक्ति अभियान के तहत फरीदाबाद के हुडा कन्वैंशन सैन्टर में फरीदाबाद नवचेतना ट्रस्ट, एचएसवीपी, फरीदाबाद नगर निगम व भारत विकास परिषद द्वारा आयोजित वृक्षारोपण अभियान एवं कला समारोह में बतौर मुख्य अतिथि सम्बोधित कर रहे थे।
श्री मनोहर लाल ने कहा कि पौधों से बच्चों की तरह प्यार करें और माता पिता की तरह सेवा करें। कुछ वर्ष पश्चात यही पौधे पेड़ बनकर आपकी जीवन भर सेवा करेंगे। उन्होंने कहा कि हमने इस अभियान से जुड़ने वाले सभी कक्षा छठी से बारहवीं तक के स्कूल बच्चों से आह्वान किया कि वे अपने रोपे गए पौधे की जियो टैगिंग कर फोटो भेजें। छः माह बाद इस पौधे के साथ दोबारा फोटो भेजेंगे तो सरकार उसके खाते में 50 रूपये भेजेगी। एक साल बाद वह फिर फोटो भेजें और यह सिलसिला तीन साल तक जारी रखेंगे तो प्रत्येक बच्चे के खाते में 600 रूपये पहुंच जायेंगे। छठी कक्षा वाला एक विद्यार्थी यह सिलसिला बारहवीं कक्षा तक जारी रख सकता है।
ऐसे में खेल-खेल में हम पर्यावरण सुरक्षा का यह बड़ा काम करने जा रहे हैं। मुख्यमंत्री ने का कि हरियाणा में मौजूदा समय में मात्र 3.5 प्रतिशत वन क्षेत्र है। जबकि कई प्रदेशों में यह 25 से 30 प्रतिशत तक है। हमें विकास की गति के साथ-साथ प्रदेश में वन्य क्षेत्र को भी बढ़ाना है। उन्होंने फरीदाबाद नवचेतना ट्रस्ट द्वारा पिछले कई सालों से पौधे वितरित करने, उनका रोपण करने व देखरेख करने के लिए संस्था को बधाई दी और कहा कि यह मानवता और भावी पीढ़ियों के लिए एक बड़ा संकल्प है। उन्होंने कहा कि हमने 2015 में बेटो बचाओ-बेटी पढ़ाओ अभियान और उसके बाद स्वच्छ भारत अभियान के कार्यक्रमों के जरिये प्रदेश में बेहतरीन शुरूआत की और अब हमें जल संरक्षण के लिए जलशक्ति अभियान को भी सफल बनाना है।
भारत विकास परिषद के राष्ट्रीय मंत्री सुरेश जैन ने हरियाणा सरकार के पौधगिरी अभियान व पर्यावरण संरक्षण को लेकर उठाये गए कदमों की प्रशंसा करते हुए कहा कि यह एक बेहतरीन शुरूआत है। उन्होंने कहा कि पौधगिरी अभियान हो या फिर जल ही जीवन अभियान के तहत धान की बजाय किसानों को मक्का, चना, अरहर सहित कम पानी में पैदा होने वाली परम्परागत फसलों की तरफ रूझान करने का संकल्प हो।