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अब राव इंद्रजीत भी बेटी के लिए इस्तीफा देने को तैयार

निकट भविष्य में होने वाले विधानसभा चुनाव के दौरान सत्तारूढ़ भाजपा द्वारा टिकट दिए जाने के लिए तैयार किया गया फार्मूला पार्टी के गले की फांस बन गया है।

चंडीगढ़ : निकट भविष्य में होने वाले विधानसभा चुनाव के दौरान सत्तारूढ़ भाजपा द्वारा टिकट दिए जाने के लिए तैयार किया गया फार्मूला पार्टी के गले की फांस बन गया है। हरियाणा से संबंधित मोदी सरकार के दो मंत्रियों ने अपनी ही पार्टी के फैसले के विरूद्ध मोर्चा खोल दिया है। एक मंत्री अपनी बेटी तो दूसरे मंत्री अपने बेटे के लिए विधानसभा में टिकट चाहते हैं। 
हरियाणा में विधानसभा चुनाव के मद्देनजर भाजपा चुनाव समीति की बैठक में बुधवार को यह फैसला लिया गया था कि इस चुनाव में किसी भी विधायक, मंत्री तथा सांसद के परिजन को टिकट नहीं दी जाएगी क्योंकि भाजपा परिवारवाद और वंशवाद की राजनीति के खिलाफ है। प्रदेश भाजपा ने पैनल में केवल चौधरी बीरेंद्र सिंह की पत्नी प्रेमलता का नाम इस आधार पर शामिल किया था कि वह मौजूदा विधायक हैं। 
भाजपा द्वारा यह फार्मूला बनाए अभी कुछ घंटे ही हुए थे कि पार्टी में विरोध शुरू हो गया है। मोदी सरकार में सांख्यकी एवं योजना मंत्री राव इंद्रजीत ने अपनी बेटी आरती राव के लिए टिकट मांगते हुए हाईकमान पर दबाव बनाना शुरू कर दिया है। राव इंद्रजीत लंबे समय से अपनी बेटी को राजनीतिक उत्तराधिकारी के रूप में स्थापित करने में जुटे हुए हैं। आरती राव ने रेवाड़ी क्षेत्र में बकायदा प्रचार भी शुरू कर दिया है। 
सूत्रों की मानें तो भाजपा के फैसले का विरोध करते हुए राव इंद्रजीत ने साफ कर दिया है कि अगर चौधरी बीरेंद्र सिंह के राज्यसभा सांसद होते हुए उनके बेटे को लोकसभा का टिकट दिया जा सकता है और उनकी पत्नी को विधायक का टिकट मिल सकता है तो उनकी बेटी को विधायक का टिकट क्यों नहीं दिया जा सकता। सूत्रों की मानें तो राव इंद्रजीत ने भाजपा के कार्यकारी अध्यक्ष जेपी नढ्ढा के समक्ष मंत्री पद से इस्तीफा तक देने की पेशकश कर दी है। 
दूसरी तरफ मोदी सरकार के एक और मंत्री कृष्णपाल गुर्जर ने भी अपने बेटे एवं फरीदाबाद नगर निगम के सीनियर डिप्टी मेयर देवेंद्र चौधरी को विधायक पद की टिकट के लिए दबाव बनाना शुरू कर दिया है। गुर्जर इस मामले में जहां बीरेंद्र सिंह डूमरखां का तर्क दे रहे हैं वहीं उनका मानना है कि नेता का बेटा नेता बने तो इसमें बुराई क्या है। दिलचस्प बात यह है कि मोदी सरकार के दोनों मंत्री पार्टी द्वारा तैयार किए गए फार्मूले से इत्तेफाक नहीं रख रहे हैं। जिसके चलते अब यह मुद्दा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के समक्ष उठाया जाएगा। मोदी के विदेश से आने के बाद टिकटों को अंतिम रूप देते समय दोनों मंत्रियों की मांग पर भी विचार किया जाएगा।

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