डेरा सच्चा सौदा के प्रमुख गुरमीत राम रहीम पंचकूला कोर्ट पहुंच गए है सूत्रों से हवाले से बताया जा रहा है कि डेरा प्रमुख राम रहीम को पिछले दरवाजे से दाखिल कराया गया है ।
Heavy security deployed outside Panchkula Court; Ram Rahim Singh to arrive shortly #RamRahimVerdict pic.twitter.com/LOmb9xFIP2
— ANI (@ANI) August 25, 2017
बता दे कि डेरा सच्चा सौदा के प्रमुख गुरमीत राम रहीम के खिलाफ बलात्कार मामले में विशेष केन्द्रीय जांच ब्यूरो (CBI) की विशेष अदालत आज फैसला सुनाएगी।
Haryana: Followers gather as Ram Rahim Singh’s convoy passes through Kaithal, on way to Panchkula #RamRahimVerdict (Earlier visuals) pic.twitter.com/9SehIl1wD8
— ANI (@ANI) August 25, 2017
सीबीआई की विशेष अदालत,पंचकूला के न्यायाधीश जगदीप सिंह दिन में ढाई बजे रहीम पर अपना फैसला सुना सकते हैं। राम रहीम को भी अदालत में मौजूद रहने को कहा गया है। पंद्रह साल पुराने इस मामले में बाबा पर अपनी अनुयायी के साथ बलात्कार का आरोप है।
इस मामले में सीबीआई अदालत में गत 17 अगस्त को सुनवाई पूरी कर फैसला आज के लिये सुरक्षित रखा गया है। इसके कारण पूरे शहर के चप्पे-चप्पे पर मौजूद राम रहीम के अनुयाइइयों पर नजर रखने के लिए उससे अधिक अनुपात में भारी संख्या में सुरक्षा बलों, अद्र्धसैनिक बलों तथा रैपिड एक्शन फोर्स के जवानों तथा पुलिस के जवानों को तैनात किया गया है।
हरियाणा में सिरसा स्थित डेरा सच्चा सौदा के प्रमुख गुरमीत राम रहीम सिंह की पंचकूला की सीबीआई अदालत में बलात्कार से जुड़े मामले में आज पेशी और फैसला आने के मद्देनत्रर कानून-व्यवस्था बनाये रखने के लिये हरियाणा,पंजाब और चंडीगढ़ में मोबाइल डाटा और इंटरनेट सेवाओं पर कल से ही प्रतिबंध लगा दिया गया।
पंजाब के राज्यपाल और चंडीगढ़ के प्रशासक वी.पी.सिंह बदनौर की अध्यक्षता में कल चंडीगढ़ के राजभवन में हरियाणा, पंजाब और चंडीगढ़ के वरिष्ठ प्रशासनिक और पुलिस अधिकारियों की समन्वय समिति की बैठक में यह फैसला लिया गया। हरियाणा के गृह विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव रामनिवास ने बताया कि बैठक में यह फैसला भी लिया गया कि पंजाब और हरियाणा अपने-अपने यहां दंगा नियंत्रण कक्ष स्थापित करेंगे जिनमें दोनों राज्यों का एक-एक पुलिस अधिकारी तैनात रहेगा।
उल्लेखनीय है कि डेरा प्रमुख के खिलाफ यह मामला लगभग 15 साल पुराना है जब एक अज्ञात महिला ने वर्ष 2002 में तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी तथा पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय सहित अनेक शीर्ष संस्थाओं को पत्र लिख कर डेरा सच्चा सौदा में साध्वियों के साथ अनैतिक कृत्य होने का आरोप लगाया था। पत्र में स्पष्ट तौर पर डेरा प्रमुख के खिलाफ दुष्कर्म के आरोप लगाये गये थे। शुरूआत में पत्र के तथ्यों की जांच सिरसा के तत्कालीन सत्र जज को सौंपी गई थी जिन्होंने अपनी रिपोर्ट में डेरा में कुछ गलत होने की आशंका जाहिर की थी।
इस बीच उच्च न्यायालय ने सत्र जज की आशंकाओं का पत्र का स्वत: इसका संज्ञान लेते हुये सीबीआई को मामले की जांच के आदेश दिये। सीबीआई ने प्रारम्भिक जांच में पर्याप्त तथ्य पाये जाने पर डेरा प्रमुख के खिलाफ दुष्कर्म सहित अन्य आरोपों में मामला दर्ज किया था जिसे उच्चतम न्यायालय में चुनौती दिये जाने पर मामले में स्थगनादेश मिल गया।
अक्तूबर 2004 में स्थगनादेश खारिज होने के बाद सीबीआई ने जांच तेज कर दी तथा जुलाई 2007 में उसने अम्बाला की विशेष अदालत में डेरा प्रमुख के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया। बाद में सीबीआई अदालत पंचकूला स्थानांतरित हो गई और तब से वहीं मामले की सुनवाई चल रही थी।
वर्ष 2009 में मामले की सुनवाई के दौरान दो और पीडि़त महिलाएं सामने आइ और इन्होंने अदालत में अपने बयान दिये जिससे डेरा प्रमुख के खिलाफ मामला और मजबूत हो गया। वर्ष 2011 से 2016 तक अदालत में सुनवाईयों के दौरान इस मामले में कुल 52 गवाह पेश हुये। डेरा की ओर अदालतों में पैरवी कर रहे वकीलों ने गुमनाम पत्र की विश्वसनीयता तथा पीडि़ताओं की मेडिकल जांच न होने पर सवाल उठाये।
मामला अदालत में चलता रहा। लेकिन इसमें काफी विलम्ब हो जाने पर अदालत ने इस पर गत 25 जुलाई को रोज सुनवाई का फैसला लिया। मामले में गत 17 अगस्त को जिरह पूरी होने के बाद अदालत ने फैसला सुनाने के लिये 25 अगस्त की तारीख तय की थी।