चंडीगढ़ : हरियाणा में सियासी मकसद से होने वाली फोन टैपिंग पर अब रोक लग सकेगी। इसकी शुरुआत खुद राज्य के गृह मंत्री अनिल विज ने की है। गृह मंत्री ने राज्य में उन तमाम लोगों का ब्योरा तलब किया है, जिनके फोन टैपिंग पर लगे हुए है। इसके साथ ही उन्होंने तमाम टेलीफोन कंपनियों को पत्र लिखा है, ताकि कोई बिना प्रक्रिया पूरी किए किसी का फोन टेप न कर सके।
हरियाणा में राजनेताओं और अधिकारियों के साथ-साथ पत्रकारों के फोन टैपिंग पर लगाने का काम बरसों से चल रहा है। पिछली हुड्डा सरकार में जब गोपाल कांडा गृह राज्य मंत्री थे, तब भी फोन टैपिंग का मामला खासी चर्चा में रहा। पिछली मनोहर सरकार के दौरान खुद अनिल विज को इस बात की आशंका थी कि उनका फोन टेप किया जाता है। फोन टैपिंग और जासूसी के मामले में अनिल विज का तत्कालीन सीआइडी चीफ शत्रुजीत कपूर से विवाद भी रहा है, जो अभी तक सुलझ नहीं पाया है। कपूर हाल फिलहाल बिजली निगमों में एमडी है।
गृह मंत्री ने राज्य के गृह विभाग के अधिकारियों व सीआइडी प्रमुख से कहा है कि उन्हें तमाम उन नंबरों तथा लोगों की जानकारी दी जाए, जिनके फोन टेप किए जा रहे है। गृह मंत्री ने टेलीफोन कंपनियों को पत्र लिखकर कहा है कि वे भी बिना प्रक्रिया पूरी किए कोई फोन टैपिंग पर न लगाएं। यानी साफ है कि जब तक गृह मंत्रालय की अनुमति न हो, तब तक किसी भी व्यक्ति अथवा राजनेता का फोन टेप नहीं होना चाहिए। गृह मंत्री के इस फरमान से गृह विभाग खासकर पुलिस अधिकारियों में हड़कंप के हालात बने हुए है।
समझिए, क्या है फोन टैपिंग
किसी के फोन-मोबाइल पर होने वाली बातचीत को गुप्त ढंग से रिकॉर्ड करना फोन-टैपिंग कहलाता है। इसमें कोई तीसरा व्यक्ति दो लोगों के बीच हो रही बातचीत को रिकॉर्ड करता है या सुनता है। यह सरकार भी हो सकती है। किसी भी व्यक्ति का फोन टैप करना एक अपराध है, जब तक की फोन टैप कर रहे विभाग को इसकी अनुमति न मिल गई हो।
कैसे मिलती है फोन टैपिंग की अनुमति
फोन टैपिंग करने वाले विभाग को इसके लिए एक प्रपोजल तैयार करना पड़ता है। इसमें यह बताना पड़ता है कि वह किन कारणों से किसी व्यक्ति का फोन टैप करना चाहता है और इसमें कैसे उसे जांच में मदद मिलेगी। इस प्रपोजल को वह विचार के लिए गृह विभाग को भेज देता है।
गृह विभाग इस पर विचार करता है और अगर उसे ठीक लगता है तो वह टैपिंग की अनुमति दे देता है। अगर जांचकर्ता को टैपिंग की अनुमति मिल जाती है तो वह जिस भी नेटवर्क का सिम यह कनेक्शन होता है, उस नेटवर्क प्रोवाइडर कंपनी के पास जाकर अनुमति मिलने की जानकारी देकर फोन टैपिंग करते हैं। केंद्रीय स्तर पर गृह विभाग के सचिव की अनुमति के बाद उसके निर्णय की समीक्षा के लिए भी कमेटी बनाई गई है।