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हर छह माह में तय होंगे जमीनों के कलैक्टर रेट

रेट तय करते हुए इस बात का ख्याल रखा जाएगा कि कलैक्टर और मार्केट रेट में अधिक अंतर न हो। विपक्षी दलों ने भूमि अधिग्रहण मुआवजे के रेट पर सरकार को घेरा।

चंडीगढ़ : हरियाणा सरकार ने भूमि अधिग्रहण एवं जमीन संबंधी अन्य मामलों में अहम फैसला लेते हुए कहा है कि प्रदेश में अब सालाना की बजाए हर छह महीने में जमीनों के कलैक्टर रेट तय होंगे। यह रेट जिला उपायुक्त की अध्यक्षता वाली कमेटी करेगी। रेट तय करते हुए इस बात का भी ख्याल रखा जाएगा कि कलैक्टर और मार्केट रेट में अधिक अंतर न हो। विधानसभा में विपक्षी दलों ने भूमि अधिग्रहण मुआवजे के रेट पर सरकार को घेरा।

कांग्रेस व इनेलो के विधायकों ने सरकार पर मुआवजा देने में भेदभाव और 2013 के भूमि अधिग्रहण एक्ट के तहत मुआवजा नहीं दिए जाने के आरोप भी लगे।इनेलो विधायक जाकिर हुसैन और नसीम अहमद ने कहा कि कलैक्टर रेट में अंतर होने की वजह से ग्रामीण विरोध कर रहे हैं। उन्होंने कहा, दिल्ली-मुंबई औद्योगिक कॉरिडोर के लिए जो जमीन अधिग्रहित की गई है, उसका सही मुआवजा किसानों को नहीं मिल रहा। पलवल विधायक कर्ण सिंह दलाल ने कहा कि किसी गांव में प्रति एकड़ मुआवजा 40 लाख रुपये है तो साथ लगते गांव में एक करोड़ रुपये मुआवजा दिया जा रहा है।

बेरी विधायक डॉ. रघुबीर कादियान ने कहा कि छारा में ग्रामीण पिछले कई दिनों से इसी मांग को लेकर धरने पर बैठे हैं। वहां एक गांव में तो किसानों को 40 लाख रुपये एकड़ मुआवजा मिला है जबकि साथ लगते किसानों को मुआवजा एक करोड़ तीन लाख रुपये प्रति एकड़ तय हुआ है। पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि इस मामले में सरकार को चाहिए कि वह डीसी को निर्देश दे कि मुआवजा एक जैसा तय किया जाए।

जिलों से अगर मुआवजा कम तय होकर आया है तो सरकार को अधिकार है कि वह उसे बदल सकती है। भाजपा विधायक डॉ. अभय सिंह यादव भी इस बात से सहमत नजर आए। राजस्व मंत्री कैप्टन अभिमन्यु ने कहा कि कलैक्टर रेट तय करने का काम डीसी का होता है। डीसी रेट तय करके सरकार को बताते हैं और उसी हिसाब से मुआवजा दिया जाता है। उन्होंने कहा, इस तरह की शिकायतों को देखते हुए ही सरकार ने तय किया है कि अब एक वर्ष की बजाय हर छह माह में जमीनों का कलेक्टर रेट तय होगा। इसके लिए जिला उपायुक्तों को दिशा-निर्देश जारी कर दिए गए हैं।

(राजेश जैन)

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