फरीदाबाद: शहर में अवैध संबंध और अन्य कारणों से अनचाहे बच्चों को गर्भ में ही हत्या कर भू्रण फेंकने के मामले तो अब आम बात हो चुके है। लेकिन देरी होने पर जब बच्चे का जन्म हो जाता है तो नवजात को तड़प-तड़प कर मरने के लिए कूड़े के ढेर या नाले में फेंक दिया जाता है। गत शनिवार को यहां एनआईटी स्थित दशहरा मैदान में भी ऐसा ही देखने को मिला। किसी महिला के परिजनों ने नवजात बच्ची को मरने के लिए यहां एक गढ्ढ़ा खोदकर उसमें दबा दिया। लेकिन बच्ची का शरीर किसी तरह से मिट्टी के ढ़ेर से आधा बाहर निकल आया। इसके कारण उस पर वहां किक्रेट खेल रहे एक युवक की नजर पहुंची तो देखा कि बच्ची को ड्रिप लगी हुई थी और डायपर पहने थी। जिससे साफ पता चल रहा था कि बच्ची किसी अस्पताल में दाखिल थी।
जन्म के बाद बच्ची को या तो चोरी कर हत्या करने के बाद छिपाने की नीयत से दशहरा मैदान में दफन कर दिया। शिशु की हत्या किसी तंत्र मंत्र के लिए तो नहीं की गई लोगों में इसकी चर्चा होती रही। पुलिस के मुताबिक नवजात शिशु एक या दो दिन की है। बच्ची के रोने पर एचएच तीन की पुलिस ने मौके पर पहुंच कर बच्ची को अपने कब्जे में ले लिया और उसे तुरंत बीके सिविल अस्पताल के अपातकालीन कक्ष में दाखिल कराया। जहां इलाज के दौरान बच्ची ने कुछ ही समय में दम तोड़ दिया। पुलिस ने अज्ञात पर मामला दर्ज कर बच्ची के शव को पोस्टमार्टम के लिए अस्पताल की मोरचरी में रखवा दिया। वही दूसरी तरफ अस्पताल के कर्मचारियों व चिकित्सकों की माने तो बच्ची को यहां लाया गया तो सांसे चल रही थी, यहां इलाज शुरू करते ही बच्ची की मौत हो चुकी थी, यदि उसे पहले यहां लाया जाता तो शायद जान बच सकती थी।
– राकेश देव