चंडीगढ़ : लोकसभा चुनाव में मिली करारी हार के बाद इनेलो प्रदेशाध्यक्ष अशोक अरोड़ा द्वारा दिया गया इस्तीफा महज एक राजनीतिक ड्रामा साबित हुआ। 24 घंटे से भी कम समय में अशोक अरोड़ा ने पार्टी से इस्तीफा भी दे दिया और चौटाला ने उसे अस्वीकार भी कर दिया। यह सारी कार्रवाई चौटाला ने जेल में बैठे बैठे ही कर डाली। इस घटनाक्रम से राजनीतिक गलियारों में इनेलो की ओर फजीहत हो रही है।
लोकसभा चुनाव के परिणाम 23 मई को घोषित हुए थे। जिसमें अंबाला से इनेलो प्रत्याशी रामपाल को 19518, भिवानी में बलवान सिंह को 8065, फरीदाबाद में महेंद्र सिंह चौहान को 12070, गुरुग्राम में वीरेंद्र सिंह राणा को 9911, हिसार से सुरेश कौंथ को 9761, करनाल से इनेलो प्रत्याशी धर्मवीर पाडा को 15797, कुरूक्षेत्र से अर्जुन चौटाला को 60679, रोहतक से धर्मवीर को 7158, सिरसा से चरणजीत रोड़ी को 88093 तथा सोनीपत से सुरेंद्र छिक्कारा को 9149 वोट मिले हैं। इस चुनाव में इनेलो के सभी दस प्रत्याशियों को कुल दो लाख 40 हजार 201 वोट मिले हैं।
चुनाव में कोई भी प्रत्याशी अपनी जमानत नहीं बचा सका है। इस परिणाम के बाद 24 मई को अशोक अरोड़ा ने तिहाड़ जेल में बंद पार्टी सुप्रीमो ओम प्रकाश चौटाला के नाम एक पत्र लिखकर अपने पद से इस्तीफा दे दिया। इस्तीफा दिए जाने के साथ ही स्वीकार होने पर भी अटकलों का दौर शुरू हो गया था। इस बीच शनिवार को इनेलो कार्यलय की तरफ से एक प्रेस नोट ओम प्रकाश चौटाला के हवाले से जारी किया गया।जिसमे कहा गया कि लोकसभा चुनाव में अच्छा प्रदर्शन न कर पाने की नैतिक जिम्मेवारी अपने पर लेते हुए इनेलो प्रदेशाध्यक्ष अशोक अरोड़ा, व्यापार सैल के प्रदेशाध्यक्ष कुलभूषण गोयल सहित अन्य कार्यकर्ताओं द्वारा दिए इस्तीफों को इनेलो सुप्रीमो चौधरी ओमप्रकाश चौटाला ने नामंजूर कर दिया है।
प्रेस नोट में दावा किया गया है कि चौटाला ने इस प्रकार का निर्देश पार्टी सचिवालय को दिया है ताकि संबंधित लोगों को प्रेषित किया जा सके। इनेलो सुप्रीमो ने कहा कि सभी कार्यकर्ता एकजुट होकर आने वाले विधानसभा चुनावों में जीत हासिल करने के लिए जी-जान से जुट जाएं ताकि प्रदेश में फिर से इनेलो जीत का परचम लहराए। इस पूरे घटनाक्रम की वास्तविकता यही है कि न तो इनेलो इस्तीफा लेने की स्तिथि में है और न ही अरोड़ा पार्टी को छोड़ने की स्तिथि में है।
(राजेश जैन)