चंडीगढ़ : पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट के आदेशों के बाद रोडवेज की हड़ताल भले ही समाप्त हो गई है लेकिन यह विवाद फिर से खड़ा हो सकता है। प्रदेश सरकार ने किलोमीटर योजना के तहत बसों को सडक़ों पर उतारने की तैयारी कर ली है। सरकार अपने इस फैसले को अमली रूप देने की तैयारी कर रही है और कर्मचारियों ने आगामी रणनीति तैयार करने के लिए 11 नवंबर को रोहतक में बैठक बुला ली है। हरियाणा में पिछले लंबे समय से सरकार व कर्मचारियों के बीच किलोमीटर स्कीम के तहत सडक़ों पर उतरने वाली बसों को लेकर विवाद चल रहा है। कर्मचारी इसके विरोध में 18 दिनों तक हड़ताल कर चुके हैं।
हरियाणा सरकार ने अब 190 और बसों को किराये पर लेने की निविदाएं आमंत्रित कर ली हैं। इनमें कई बसें वातानुकूलित हैं। हरियाणा के परिवहन मंत्री कृष्ण लाल पंवार और अतिरिक्त मुख्य सचिव के साथ होने वाली कर्मचारी नेताओं की बैठक से पहले नई निविदाएं आमंत्रित किए जाने से दोबारा फिर टकराव के हालात पैदा हो गए। प्रदेश के परिवहन मंत्री कृष्ण पंवार पहले तो कर्मचारी नेताओं के साथ बातचीत करने को तैयार नहीं हुए, लेकिन कर्मचारी नेताओं के दबाव के चलते 12 नवंबर को अतिरिक्त मुख्य सचिव के साथ बैठक तय हुई है। इस मीटिंग से पहले ही परिवहन महानिदेशक की ओर से 190 और बसों को किराये पर लेने के लिए निविदाएं आमंत्रित कर ली गई हैं।
सर्व कर्मचारी संघ हरियाणा के महासचिव सुभाष लांबा ने सरकार के इस फैसले का विरोध करते हुए कहा कि रोडवेज सहित सभी विभागों के कर्मचारी किसी भी सूरत में रोडवेज में निजीकरण बर्दाशत नहीं करेंगे। उन्होंने कहा कि सरकार कर्मचारियों को दोबारा आंदोलन करने के लिए मजबूर कर रही है। संघ ने 11 नवंबर को रोहतक में राज्य कार्यकारिणी की बैठक बुलाई है, जिसमें सरकार के बदले रवैये पर चर्चा की जाएगी।
रोडवेज का कोई प्राइवेटाईजेशन नहीं हो रहा : खट्टर
(राजेश जैन)