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हरियाणा सरकार के लिए नए साल में न्यूनतम साझा कार्यक्रम तय करना प्राथमिकता

हरियाणा की गठबंधन सरकार के लिए नए साल में सबसे बड़ी चुनौती न्यूनतम साझा कार्यक्रम को सिरे चढ़ाना होगा। प्रदेश में भाजपा, जजपा सरकार 27 अक्टूबर को दिवाली के दिन अस्तित्व में आ गई थी।

चंडीगढ़ : हरियाणा की गठबंधन सरकार के लिए नए साल में सबसे बड़ी चुनौती न्यूनतम साझा कार्यक्रम को सिरे चढ़ाना होगा। प्रदेश में भाजपा, जजपा सरकार 27 अक्टूबर को दिवाली के दिन अस्तित्व में आ गई थी। उसके बाद से अब तक दोनों दलों के संकल्प पत्र को न्यूनतम साझा कार्यक्रम का रूप नहीं दिया जा सका है। 
गृह मंत्री अनिल विज की अध्यक्षता में गठित समिति इसे लेकर एक बैठक कर चुकी है। दूसरी बैठक की तिथि तय नहीं है, हालांकि यह बैठक अब तक हो जानी चाहिए थी। लेकिन, वित्त और विधि विभाग न्यूनतम साझा कार्यक्रम में शामिल वादों पर होने वाले खर्च और कानूनी पेचीदगियों को लेकर अभी तक अपनी रिपोर्ट नहीं दे पाए हैं। दोनों विभागों को यह बताना था कि वादों को सिरे चढ़ाने पर कुल कितना बजट खर्च होगा और कितने मामलों में काननी दिक्कत आ सकती है। 
यह रिपोर्ट आने के बाद ही कार्यक्रम तय हो पाएगा। भाजपा, जजपा की ओर से चुनाव के समय किए गए बड़े वादों के धरातल पर उतरने का प्रदेश की जनता बेसब्री से इंतजार कर रही है। चूंकि, पेंशन बढ़ोतरी, पुरानी पेंशन स्कीम, पंजाब समान वेतनमान सहित अनेक वादे ऐसे हैं, जो सीधे जनता से जुड़े हुए हैं।
इस महीने में दो हड़तालों से पार पाना होगा 
हरियाणा सरकार के सामने नए साल के पहले महीने में ही एक और चुनौती खड़ी है। सरकार को 3 और 4 जनवरी को हरियाणा नगरपालिका कर्मचारी संघ की हड़ताल से निपटना होगा। निकाय कर्मी नगर निगम आयुक्त, कार्यकारी अधिकारियों व पालिका सचिव के कार्यालय और 87 शहरों के मुख्य बाजारों में उल्टी झाड़ू लेकर प्रदर्शन करेंगे। इसके बाद 7-8 जनवरी को रोडवेज के चक्का जाम और ट्रेड यूनियनों की हड़ताल से जूझना होगा। 
चक्का जाम के सफल रहने पर जनता को बड़ी परेशानी हो सकती है। हालांकि, सरकार रोडवेज कर्मचारी तालमेल कमेटी से वार्ता के प्रयास में है। परिवहन मंत्री मूलचंद शर्मा ने कहा है कि हड़ताल टालने के लिए कर्मचारी नेताओं से बातचीत की जाएगी। परिवहन विभाग के अधिकारियों से भी हड़ताल से निपटने के लिए उचित प्रबंध करने को लेकर चर्चा करेंगे।

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