चंडीगढ़ : एक और जहां सरकार जूनियर और सब जूनियर खिलाडिय़ों को इनामी राशि देने पर आनाकानी कर रही है। वहीं खेल विभाग के प्रधान सचिव अशोक खेमका ने खेलों में हो रहे फर्जीवाड़े का खुलासा किया है कि खेल निदेशालय के अफसर तीन साल से अपने रिश्तेदारों और चहेतों को फर्जी जूनियर खेल विजेता बताकर करोड़ों रुपए बांट चुके हैं। उल्लेखनीय है कि 2015 की खेल नीति में जूनियर और सब जूनियर श्रेणी के पदक विजेताओं के लिए किसी इनाम राशि का प्रावधान नहीं है। पहले उत्साहवर्धन के लिए इन खिलाडिय़ों को मामूली राशि दी जाती थी मगर खेल नीति बनने के बाद उच्च अधिकारियों ने गैर मान्य और फर्जी टूर्नामेंट करा पदक विजेताओं के नाम पर अपने सगे-संबंधियों, रिश्तेदारों और चहेत युवाओं को लाखों रुपए बांटे।
स्वर्ण विजेता के नाम पर 20 लाख, रजत विजेता के नाम पर 15 लाख, कांस्य विजेता के नाम पर 10 लाख और इन फर्जी प्रतियोगिताओं में सिर्फ हिस्सा लेना दिखाकर तीन-तीन लाख रुपए दिए गए। निदेशालय के उच्च अधिकारिों ने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए पैसे की यह सारी बंदरबांट की। लाखों रुपए उन्हें दिए गए जो इसके काबिल नहीं थे। ऐसे खिलाड़ियों की संख्या करीब 2 हजार है। प्रारंभिक जांच में ये टूर्नामेंट भी फर्जी पाए गए। जिन्हें सरकार या किसी अधिकृत संस्था की मान्यता नहीं थी। ऐसे खेलों के नाम पर भी इनाम राशि बांट दी गई, जिन्हें हरियाणा सरकार ने अपनी खेल नीति में शामिल ही नहीं किया है।
खेमका का कहना है कि खेल निदेशालय ने बिना प्रावधान भारी भरकम राशि खिलाड़ियों को किसी अनुमति से प्रदान की है। इसे लेकर उच्च अधिकारियों से जवाब तलब किया गया है और संबंधित फाइले भी मांगी गई है। खेल नीति में जूनियर और सब जूनियर को इनाम देने का कोई प्रावधान न होने पर भी करोड़ों रुपए बांटने के मामले में खेमका ने विज और सरकार से राय मांगी है। चूंकि इतनी बड़ी राशि बिना प्रावधान के किसके इशारे पर बांटी गई इसलिए इसकी रिकवरी की जानी चाहिए। सरकार के निर्णय के बाद ही खेल विभाग अगली कार्रवाई शुरू करेगा।
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(आहूजा)