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हरियाणा न्यायिक सेवा परीक्षा मामले में सुप्रीम कोर्ट ने फैसला रखा सुरक्षित

सुप्रीम कोर्ट ने देखा कि हरियाणा में मुख्य परीक्षा में 1200 उम्मीदवार शामिल हुए थे और केवल नौ ही उम्मीदवार साक्षात्कार के लिए चयनित हो सके।

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को सिविल जज (कनिष्ठ संभाग) के चयन के लिए हरियाणा न्यायिक सेवा की मुख्य परीक्षा के लिए अपनाई गई मूल्यांकन पद्धति पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया। मई में इस वर्ष, सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व सेवानिवृत्त न्यायाधीश ए.के. सीकरी को मूल्यांकन पद्धति को देखने के लिए कहा था और इसपर एक रपट दाखिल करने को कहा था। 
न्यायमूर्ति सीकरी ने रपट में कहा कि मुख्य रूप से सिविल लॉ परीक्षा में अंक काफी सख्त तरीके से दिए जाते हैं और तय समय में इस लंबे पेपर को पूरा कर पाना मुश्किल है। सुप्रीम कोर्ट ने देखा कि हरियाणा में मुख्य परीक्षा में 1200 उम्मीदवार शामिल हुए थे और केवल नौ ही उम्मीदवार साक्षात्कार के लिए चयनित हो सके। 
सुप्रीम कोर्ट में हरियाणा सिविल सेवा (न्यायिक संभाग), 2017 की मुख्य परीक्षा के चयन और मूल्यांकन प्रक्रिया को चुनौती दी गई थी। याचिकाकर्ताओं का दावा है कि चयन प्रक्रिया में विसंगति है और अन्य राज्यस्तरीय परीक्षाओं में चयनित शीर्ष उम्मीदवार भी हरियाणा में पास नहीं हो सके। 
याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश शीर्ष अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने कहा कि इस मामले को सुलझाने के लिए अंक विवरण पद्धति वाले ‘स्केलिंग और मोडेरेशन पद्धति’ को अपनाना चाहिए। प्रधान न्यायाधीश एस.ए. बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ ने पूछा कि क्या किसी न्यायिक परीक्षा में कभी यह पद्धति अपनाई गई है। 
भूषण ने जवाब दिया कि यह प्रक्रिया यूपीएससी में अपनाई जा रही है। कोर्ट ने कहा कि न्यायिक परीक्षा प्रकृति में पूरी तरह अलग है और ऐसा प्रतीत होता है कि यह अंक विवरण पद्धति काम नहीं करेगा। कोर्ट ने मामले में अपना आदेश सुरक्षित रख लिया। 

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