गुरुग्राम : मिट्टी की वस्तुएं बनाने वाले कारीगरों की कला को निखारने के लिए हरियाणा विश्वकर्मा कौशल विश्वविद्यालय में कोर्स शुरू किया जाएगा। साथ ही पलवल जिला में बनने वाले इस विश्वविद्यालय में एक विंग का नामकरण दक्ष प्रजापति महाराज के नाम पर रखा जाएगा। यह घोषणा रविवार को मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने गुरुग्राम के सेक्टर-5 के हुडा मैदान में आयोजित दक्ष प्रजापति महासम्मेलन को संबोधित करते हुए की। महासम्मेलन में उपस्थित भारी भीड़ को देखकर मुख्यमंत्री मनोहर लाल काफी उत्साहित नजर आए और उन्होंने मंच से हरियाणा प्रदेश में गरीबों के कल्याण के लिए लागू की जा रही योजनाओं का उल्लेख किया।
उन्होंने कहा कि प्रजापति समाज के लोग इतने साधन संपन्न नहीं है और गरीबों के लिए केंद्र व राज्य सरकार ने जो 300 से अधिक योजनाएं लागू की हैं, उनका फायदा हर पात्र व्यक्ति को मिले, इसके लिए जिला मुख्यालय पर अंतोदय भवन खोले जा रहे हैं। ये भवन प्रदेश के गुरुग्राम सहित सात जिलों में खोले भी जा चुके हैं तथा बाकि जिलों में अगले दो महीनों में खोल दिए जाएंगे। उन्होंने कहा कि अंतोदय भवन में जाकर व्यक्ति को मात्र 4-5 बातें अपने बारे में बतानी है जैसे कि आयु, शैक्षणिक योग्यता, पारिवारिक आय आदि, उसके बाद कंप्यूटर ऑप्रेटर बता देगा कि उसे किन-किन योजनाओं का लाभ मिल सकता है। इन योजनाओं के लिए आवेदन भी वहीं पर भरा जाएगा और उस व्यक्ति को किसी भी अन्य विभाग के कार्यालय में जाने की जरूरत नही है।
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उन्होंने कहा कि प्राचीन समय में प्रजापति समाज, जिन्हें कुंभकार समाज भी कहा जाता था, मिट्टी की वस्तुएं, मूर्तियां, बर्तन आदि बनाते थे, परंतु आज मशीनीकरण होने के कारण समाज में काफी कुछ बदल गया है। अब हमें समय के साथ अपनी कला को भी समाज की जरूरतों के अनुरूप ढालने के जरूरत है। मुख्यमंत्री ने कहा कि इस वर्ष पर्यावरण दिवस पर राज्य सरकार ने सभी सरकारी कार्यालयों में पानी की प्लास्टिक बोतलों की खरीद पर प्रतिबंध लगा दिया है। ऐसे में मिट्टी से बनी बोतल का पुन: प्रयोग होना शुरू हो गया है। इसी प्रकार मिट्टी की अन्य वस्तुओं के प्रयोग के बारे में भी लोग सोचने लगे हैं।
मुख्यमंत्री ने मंच पर रखी मिट्टी से बनी पानी की बोतल भी हाथ में उठाकर लोगों को दिखाई और कहा कि उन्हें यहां मंच पर आते ही यह बोतल देखकर बड़ी प्रसन्नता हुई। ऐसी वस्तुओं को आप जैसे कारीगर ही बना सकते हैं। उन्होंने कहा मैं आपके काम को सैल्यूट करता हूं। साथ ही कहा कि जमीन की खुदाई में कई बार पुरानी वस्तुएं मिलती हैं, जिनमें ज्यादात्तर मिट्टी से बनी मूर्तियां तथा सिक्के आदि होते हैं जिनसे यह पता चलता है कि वे किस काल की हैं।
– सतबीर भारद्वाज, अरोड़ा