चंडीगढ़ : हरियाणा रोडवेज के बेड़े में नई बसें शामिल न करके निजी बस आपरेटरों की बसें किराए पर चलाने के लिए भाजपा सरकार की क्या मजबूरी थी? अन्य राज्यों के निजी बस अपरेटरों द्वारा किए जा रहे भुगतान की तुलना में अधिक राशि के भुगतान के लिए मनोहर लाल खट्टर सरकार क्यों राजी हुई?
क्या मुख्यमंत्री प्रदेश की जनता को यह बताएंगे कि इन तमाम सवालों के बीच सरकार ने जो अनुबंध किया उनमें कोई बैकआउट की शर्त न लागू करके पूरे एक दशक के लिए निजी बस ऑपरेटरों को प्रदेश में सवारियां ढोने की खुली छूट क्यों दे दी। ये तमाम सवाल हिसार से सांसद दुष्यंत चौटाला ने मुख्यमंत्री के समक्ष उठाए हैं।
उन्होंने कहा है कि न केवल प्रदेश की जनता इन सवालों का स्पष्ट जवाब जानना चाहती है, बल्कि यह भी जानना चाहती है कि हरियाणा रोडवेज अनुबंध में नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए किए गए अनुबंध को लागू करने के लिए हठधर्मिता क्यों अपनाए हुए है। जबकि रोडवेज विभाग के कर्मचारी इस अनुबंध के विरोध में कई सप्ताह तक हड़ताल भी कर चुके हैं।
दुष्यंत चौटाला ने हरियाणा सरकार द्वारा प्रदेश में किलोमीटर स्कीम के तहत निजी बस अपरेटरों से किए गए अनुबंध को सवालों के घेरे में खड़ा किया है। उन्होंने यहां जारी एक बयान में कहा कि हरियाणा सरकार ने निजी बस आपरेटरों से अनुबंध को जो ड्राफ्ट तैयार किया है और जिन शर्तों पर बसें ली जा रही हैं, उससे भाजपा सरकार के अपनों को लाभ पहुंचाने की बू आ रही है।
उन्होंने कहा कि रोडवेज में नई बसें सरकार को शामिल करनी चाहिए थी जिससे कि प्रदेश के लोगों को रोजगार मिलता लेकिन सरकार ने जानबूझ कर ऐसा नहीं किया।
(राजेश जैन)