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रवि दहिया के ओलंपिक फाइनल में पहुंचने पर जश्न में डूबा गांव, खुशी से नाचे लोग

टोक्यो ओलंपिक में भारत के पहलवान रवि दहिया ने कुश्ती के पुरुष फ्रीस्टाइल 57 किग्रा भार वर्ग के सेमीफाइनल मुकाबले में कज़ाकस्तान के नूरइस्लाम सनायेव को हराकर फाइनल में अपनी जगह बना ली है।

टोक्यो ओलंपिक में भारत के पहलवान रवि दहिया ने कुश्ती के पुरुष फ्रीस्टाइल 57 किग्रा भार वर्ग के सेमीफाइनल मुकाबले में कज़ाकस्तान के नूरइस्लाम सनायेव को हराकर फाइनल में अपनी जगह बना ली है। इसके साथ ही भारत ने टोक्यो ओलंपिक में अपना एक और मेडल पक्का कर लिया है। रवि दहिया के फाइनल में पहुंचने पर उनके गांव में जश्न का माहौल है। 
दहिया बुधवार को ओलंपिक खेलों के फाइनल में पहुंचने वाले दूसरे भारतीय पहलवान बने। उन्होंने 57 किग्रा भार वर्ग के सेमीफाइनल में कजाखस्तान के नूरिस्लाम सनायेव को हराया। इसके तुरंत बाद नाहरी गांव में उनके परिजन और रिश्तेदार जश्न मनाने लगे। दहिया के पिता राकेश की खुशी का ठिकाना नहीं था। आलम यह है कि लोग खुशी से नाच रहे हैं।
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उन्होंने कहा, ‘‘रवि स्वर्ण पदक जीतेगा। मुझे पूरा विश्वास है। मैं अपनी खुशी को शब्दों में बयां नहीं कर सकता।’’ दहिया से पहले सुशील कुमार फाइनल में पहुंचने वाले एकमात्र पहलवान थे। उन्होंने लंदन ओलंपिक 2012 में रजत पदक हासिल किया था। राकेश ने कहा, ‘‘उसने परिवार वालों से वादा कर रखा है कि वह ओलंपिक स्वर्ण पदक लेकर आएगा। वह हर दिन आठ घंटे तक अभ्यास करता था।’’ 
उन्होंने कहा कि छह साल की उम्र से रवि ने गांव के अखाड़े में कुश्ती शुरू कर दी थी और बाद में वह दिल्ली के छत्रसाल स्टेडियम में चला गया था। राकेश ने याद किया वह प्रत्येक दिन गांव से अपने बेटे के लिये दूध और मक्खन लेकर जाते थे ताकि उनके बेटे को पोषक आहार मिल सके। दहिया की दादी सावित्री ने कहा कि वह अपने पोते की उपलब्धि से बेहद खुश हैं। उन्होंने कहा, ‘‘तोक्यो जाने से पहले उसने मुझसे कहा था, दादी मैं स्वर्ण पदक लेकर आऊंगा।’’ 
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एक अन्य रिश्तेदार रिंकी ने कहा, ‘‘रवि ने मुझसे कहा था कि मौसी मैं पूरे देश को गौरवान्वित करूंगा और आज उसने ऐसा कर दिखाया। वह अब स्वर्ण पदक से एक कदम दूर है।’’ इस गांव की जनसंख्या 15000 है। किसान के पुत्र रवि दहिया इस गांव के तीसरे ओलंपियन हैं। उनसे पहले महावीर सिंह (मास्को 1980 और लास एंजिल्स 1984) तथा अमित दहिया (लंदन 2012) भी इसी गांव के थे। 

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