रोहतक : जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में आंतकवादियों के साथ मुठभेड़ में शहीद हुए गांव बलंभा निवासी संदीप का पूरे राजकीय सम्मान के साथ दांह संस्कार हुआ। शहीद का शव जैसे ही गांव में पहुंचा ग्रामीणों की आंखे नम हो गई और ग्रामीण शहीद संदीप के अमर रहे के नारो से आसमान गूंज उठा। सेना के जवानों ने पूरे राजकीय सम्मान के साथ शहीद संदीप को अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की। परिजनों का कहना है कि उन्हें अपने बेटे की शहादत पर गर्व है। संदीप ने भारत की रक्षा करते हुए अपने प्राणों का बलिदान दिया है, जिसे कभी बुलाया नहीं जा सकता।
शुक्रवार सुबह जब शहीद संदीप का पार्थिव शरीर सेना की गाड़ी से गांव बलंभा पहुंचा तो लोगों का भारी हजुम संदीप को श्रद्धांजलि देने के लिए उमड पड़ा। जगह जगह पर शहीद के पार्थिव शरीर पर पुष्प अर्पित कर उन्हें नम आंखों से विदाई दी गई। भारी संख्या में आसपास के गांव के ग्रामीण शहीद संदीप को अंतिम श्रद्धांजलि देने के लिए रामबाग शमशानघाट में मौजूद रहे। शहीद के बड़े भाई नवीन ने मुखाग्नि दी। मुखाग्नि देने से पूर्व सेना के जवानों ने हवाई फायर करने के बाद हथियार झूका कर शहीद को श्रद्धांजलि दी। वहीं मातमी धुन बजते ही लोगों की आंखें नम हो गई और शहीद संदीप अमर रहे व पाकिस्तान मुर्दाबाद के नारो से आसमान गूंज उठा।
संदीप की शहादत पर जहां देश को गर्व हैं, वही पत्नी व मां की आंखों से आंसू नही रुक रहे हैं, लेकिन उन्हें संदीप की शहादत पर गर्व है। पत्नी नीरू ने कहा कि उम्र तो छोटी है, लेकिन पति ने देश के लिए शहादत देकर बहुत बडी पदवी दे दी है और वो हर जन्म में संदीप को अपना पति चाहती हैं। वहीं शहीद की मां बाला ने कहा कि उसके दो बेटे ओर हैं, सेना देश के लिए किसी भी समय उसके दो बेटों को ले जाए। उन्हें अपने बेटे संदीप की शहादत पर गर्व है। संदीप 2012 में सेना में भर्ती हुआ था और महज दो साल पहले उसकी शादी नीरू से हुई थी।
संदीप के पार्थिक शरीर को गांव लेकर आए उसकी यूनिट के जवानों ने बताया कि पुलवामा में आतंकवादियों से हुई मुठभेड़ के दौरान संदीप व उसके साथी रोहित यादव मुठभेड़ में शहीद हो गए, जबकि उन्होंने शहीद होने से पूर्व आंतकवादियों का मुकाबला करते हुए जैश मोहम्मद के टॉप कमांडर और सीआरपीएफ कैंप पर हमले के मास्टरमाइंड खालिद भाई सहित छह आतंकवादियों को मार गिराया था।
(मनमोहन कथूरिया)