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चीन सीमा गतिरोध : HAL द्वारा बनाए गए 2 हल्के लड़ाकू विमान लद्दाख में किए गए तैनात

यह दुनिया का सबसे हल्का लड़ाकू हेलीकॉप्टर है जिसे एचएएल द्वारा भारतीय सशस्त्र बलों की विशिष्ट आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए डिजाइन और विकसित किया गया है जो आत्म निर्भर भारत में एचएएल की अहम भूमिका को दर्शाता है।”

पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ सीमा को लेकर तनाव की स्थिति के बीच हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) द्वारा निर्मित दो लाइट कॉम्बैट हेलीकॉप्टरों को भारतीय वायु सेना के मिशनों का समर्थन करने के लिए लेह में अधिक ऊंचाई वाले ठिकानों से संचालन व्यवस्था को बेहतर बनाने हेतु तैनात किया गया है।
एचएएल के सीएमडी ने बुधवार को कहा, ‘यह दुनिया का सबसे हल्का लड़ाकू हेलीकॉप्टर है जिसे एचएएल द्वारा भारतीय सशस्त्र बलों की विशिष्ट आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए डिजाइन और विकसित किया गया है जो आत्म निर्भर भारत में एचएएल की अहम भूमिका को दर्शाता है।”
वाइस चीफ ऑफ एयर स्टाफ, एयर मार्शल हरजीत सिंह अरोड़ा सहित एचएएल टेस्ट पायलट विंग सीडीआर (सेवानिवृत्त) सुभाष पी. जॉन के साथ हाल ही में एक ऐसे अभियान में भाग लिया जिसके तहत एक ऊंचाई वाले स्थान पर नकली हमले के परि²श्य के लिए एक दूसरे ऊंचाई वाले स्थान से आगे की ओर बढ़ना था। इसके बाद क्षेत्र के एक बेहद खतरनाक हेलीपैड पर लैंडिंग की गई। लाइट कॉम्बैट हेलीकॉप्टरों ने आगे के स्थानों पर अत्यधिक तापमान में भी अपनी कार्यक्षमता का बेहतर प्रदर्शन किया।
ये लाइट कॉम्बैट हेलीकॉप्टर्स अत्याधुनिक प्रणालियों और बेहद बेहतर हथियारों के साथ काफी उन्नत किस्म के हैं जो दिन या रात में कितनी ही दूरी से लक्ष्य को भेदने में कुशल हैं। इसके अलावा, इसमें विभिन्न परिस्थितियों में पर्याप्त ऊंचाई पर हथियारों के पर्याप्त वजन को ले जाने की क्षमता है। इसकी ये सारी विशेषताएं इसे अधिक तापमान और अधिक ऊंचाई वाले क्षेत्रों में संचालन के लिए इसे सबसे उपयुक्त बनाती हैं।
भारतीय वायुसेना और भारतीय सेना को लगभग 160 लाइट कॉम्बैट हेलीकॉप्टरों की आवश्यकता है। डिफेंस एक्यूजेशन काउंसिल ने शुरूआती चरण के लिए 15 लाइट कॉम्बैट हेलीकॉप्टरों के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। तकनीकी मूल्यांकन और कीमत को लेकर मोलभाव का काम संपन्न हो चुका है और एचएएल की तरफ से इसकी डिलिवरी जल्द ही देने की उम्मीद है।

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