देश में सामने आए कोरोना महामारी के आंकड़ों को देखते हुए देश भर के डॉक्टरों के लिए एक वर्चुअल प्लेटफॉर्म नेशनल ग्रैंड राउंड में डॉक्टरों द्वारा संवेदनशीलता और विभिन्न जांच परीक्षणों के उपयोग पर चर्चा करते हुए डेटा प्रस्तुत किया गया। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान के आंकड़ों के मुताबिक सभी आयु वर्गों में कोरोना वायरस महामारी (कोविड -19) से संक्रमित सभी व्यक्तियों में से लगभग 40% मरीजों में कोरोना के लक्षण नहीं दिखाई दिए है।
प्रस्तुत डाटा के मुताबिक 12 साल से कम उम्र के बच्चों में 73.5% बिना लक्षण वाले मामलों का उच्चतम अनुपात दर्ज किया गया था। वहीं 80 वर्ष की आयु से ऊपर के लोगों में केवल 38.4% मामलों में मरीज को बिना लक्षण के देखा गया। एम्स की माइक्रोबायोलॉजी विभाग की प्रोफेसर उर्वशी सिंह ने कहा कि “यह हमारे केंद्र का डेटा है। प्रासंगिकता तब आती है जब हम आरटी पीसीआर परीक्षण की वैधता पर सवाल उठाते हैं। जैसा कि कई रोगियों में कोई लक्षण नहीं होते हैं, हमें यह पता नहीं चलता है कि हम किस दिन उनका सैंपल ले रहे हैं”। केंद्र के आंकड़ों से पता चला कि कोविड -19 के सबसे आम लक्षणों में बुखार, थकान और सूंघने की क्षमता कम होना है।
इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि सीबीएनएएटी या ट्रूनाट जो चिप आधारित त्वरित आणविक परीक्षण हैं। शुरुआती स्तर के रोगियों में फायदेमंद हैं। एम्स के निदेशक रणदीप गुलेरिया ने कहा कि “आपातकाल के मामलों में व्यक्ति को यह सोचकर आगे बढ़ना चाहिए कि वह व्यक्ति कोरोना पॉजिटिव है और सभी सावधानियां बरतें। हालांकि, सेमी-इमरजेंसी के मामले में CBNAAT और TrueNat अच्छे परीक्षण हैं जो जल्दी से सटीक परिणाम दे सकते हैं।”