बीते कई दिनों से जम्मू कश्मीर को लेकर चल रही गहमागहमी और असमंजस की स्थिति आज समाप्त हो गई। मोदी सरकार ने सोमवार को ऐतिहासिक फैसला लेते हुए जम्मू-कश्मीर से धारा 370 को समाप्त कर दिया है। वही, लद्दाख को जम्मू-कश्मीर से अलग कर दिया है। इस फैसले के साथ ही जम्मू-कश्मीर को 370 के जरिए जो विशेषाधिकार मिले हुए थे, वह भी खत्म हो गए हैं।
देश के गृह मंत्री अमित शाह ने मोदी सरकार की तरफ से राज्यसभा में अनुच्छेद 370 के सभी खंड लागू नही करने के संकल्प को पेश किया जिसे राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने मंजूरी दे दी है। अनुच्छेद 370 हटने से जम्मू कश्मीर को विशेषाधिकार समाप्त हो जाएंगे। आईये जानके है क्या है अनुच्छेद 370 और कौन-कौन विशेषाधिकार जम्मू कश्मीर को प्राप्त थे।
अनुच्छेद 370
अब तक जम्मू-कश्मीर में लागू रहे अनुच्छेद 370 से मिले विशेष अधिकार के अनुसार केंद्र सरकार सिर्फ -रक्षा, विदेश मामले और संचार के लिए कानून बना सकती थी। अन्य किसी मामले में कानून लागू करने के लिए राज्य सरकार की मंजूरी मिलना आवश्यक था।
अनुच्छेद 370 की जरूरत क्यों पड़ी
पहले इस धारा 370 को गोपालस्वामी आयंगर ने धारा 306-ए का प्रारूप पेश किया था। इस अनुच्छेद के तहत जम्मू-कश्मीर को देश के अन्य राज्यों से अलग कुछ विशेष अधिकार दिए गए। 1951 में राज्य को संविधान सभा अलग से बुलाने की अनुमति दी गई। नवंबर 1956 में राज्य के संविधान का कार्य पूरा हुआ। 26 जनवरी 1957 को राज्य में विशेष संविधान लागू कर दिया गया।
अनुच्छेद 370 के साथ जम्मू कश्मीर के पास थे ये विशेष अधिकार
1. केंद्र सरकार को जम्मू-कश्मीर में सिर्फ रक्षा, विदेश मामले और संचार के मामलों में ही कानून प्राप्त था।
2. अन्य मामलों में केंद्र को अगर जम्मू कश्मीर में कोई कानून लागू करना हो तो राज्य सरकार की सहमति लेनी पड़ती थी।
3. अनुच्छेद 370 के अनुसार राष्ट्रपति के पास जम्मू कश्मीर के संविधान को बर्खास्त करने का अधिकार नहीं था और राज्य में संविधान की धारा 356 लागू नहीं होती थी।
4. देश के अन्य राज के नागरिक जम्मू कश्मीर में जमीन नहीं खरीद सकते क्योंकि शहरी भूमि कानून (1976) भी जम्मू-कश्मीर पर लागू नहीं होता था।
अब जानिये धारा 370 की बड़ी बातें
-इस धारा के अनुसार जम्मू-कश्मीर की विधानसभा का कार्यकाल 6 साल होता था।
-जम्मू-कश्मीर में महिलाओं पर शरियत कानून लागू होता था।
– अगर जम्मू कश्मीर की महिला भारत के किसी अन्य राज्य के नागरिक से शादी करती है तो उसकी जम्मू-कश्मीर की नागरिकता खत्म हो जाती थी।
-अगर कोई कश्मीरी महिला पाकिस्तान में शादी करती है तो उसके पति को जम्मू-कश्मीर की नागरिकता मिल जाती थी।
-जम्मू-कश्मीर में कोई पंचायत अधिकार मान्य नहीं थे।
-देश में लागू अल्पसंख्यक कानून इस राज्य में लागू नहीं था और इस वजह से कश्मीर में अल्पसंख्यक हिंदुओं और सिखों को 16 फीसदी आरक्षण नहीं मिलता था।
-जम्मू-कश्मीर के नागरिकों के पास दोहरी नागरिकता थी और साथ इस राज्य का झंडा ही अलग था।
-जम्मू-कश्मीर में सुप्रीम कोर्ट के आदेश मान्य नहीं होते थे और भारत के राष्ट्रध्वज या राष्ट्रीय प्रतीकों का अपमान अपराध नहीं माना जाता था। ।
-धारा 370 के चलते कश्मीर में बसने वाले पाकिस्तानियों को भी भारतीय नागरिकता हासिल हो जाती थी।
-जम्मू कश्मीर में सूचना का अधिकार (आरटीआई) लागू नहीं होता था।
-धारा 370 के चलते यहां सीएजी (CAG) भी लागू नहीं था और शिक्षा का अधिकार (आरटीई) भी यहाँ मान्य नहीं है।