नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट में प्रमोशन में SC-ST रिजर्वेशन से जुड़े 12 साल पुराने नागराज जजमेंट पर सुनवाई चल रही है। जस्टिस दीपक मिश्रा की अगुवाई वाली पांच जजों की संविधान पीठ सरकारी नौकरियों में प्रोमोशन में रिजर्वेशन के संवैधानिक पहलुओं पर सुनवाई कर रही है जिसमें केंद्र सरकार का प्रोमोशन में एससी-एसटी आरक्षण को समर्थन बड़ा अहम साबित होगा। लिहाजा इस फैसले पर फिर से विचार की ज़रूरत है।
अटॉर्नी जनरल ने कहा कि इस फैसले में आरक्षण दिए जाने के लिए दी गई शर्तों पर हर केस के लिए अमल करना व्यवहारिक रूप से संभव नहीं है। केंद्र सरकार ने कहा कि 2006 में आए इस फैसले में कहा गया था कि प्रमोशन में रिजर्वेशन देने से पहले ये साबित करना होगा कि सेवा में SC/ST का पर्याप्त प्रतिनिधित्व नहीं है और इसके लिए डेटा देना होगा।
केंद्र सरकार की ओर से अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कहा कि SC/ST समुदाय सामाजिक और आर्थिक तौर पर पिछड़ा रहा है और SC/ST में पिछड़ेपन को साबित करने की ज़रूरत नहीं है। अटॉर्नी जनरल ने कहा कि 1000 साल से SC/ST जो भुगत रहे है, उसे संतुलित करने के लिए SC/ST को आरक्षण दिया है, ये लोग आज भी उत्पीड़न के शिकार हो रहे है। मामले की अगली सुनवाई 9 अगस्त को होगी।