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कृषि कानून को लेकर दो खेमे में बटे आंदोलनकारी किसान, फिर भी तेज और मजबूत हो रहा है प्रदर्शन

किसानों का एक धरा मानता है कि नए कृषि कानून से किसानों को फायदा होगा इसलिए वह केंद्र सरकार के समर्थन में है और काूनन को वापस नहीं लेने की मांग कर रहा है।

मोदी सरकार के कृषि सुधार कानून पर देश के किसानों में विभाजन की लकीर खिंची हुई है। किसानों का एक धरा मानता है कि नए कृषि कानून से किसानों को फायदा होगा इसलिए वह केंद्र सरकार के समर्थन में है और काूनन को वापस नहीं लेने की मांग कर रहा है जबकि दूसरा धरा कानून रद्द करवाने की मांग पर अड़ा है। इस विभाजन के बावजूद राजधानी दिल्ली की सीमाओं पर चल रहे किसानों का आंदोलन कमजोर नहीं हुआ है, बल्कि आंदोलन और तेज हो गया है।
मोदी सरकार के कृषि सुधार के पक्षधर देशभर के किसानों के संगठनों के प्रतिनिधि लगातार केंद्रीय कृषि एंव किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर से मिलकर नए कानूनों के समर्थन में एकजुट हो रहे हैं। इस सिलसिले में भारतीय किसान समन्वय समिति से जुड़े देशभर के किसान संगठनों के प्रतिनिधियों ने भी कृषि-भवन में सोमवार को कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर से मुलाकात की। इस दौरान उन्होंने एक स्वर में नए कृषि कानूनों का समर्थन करते हुए कहा कि देश में आजादी के बाद पहली बार किसानों के हित में क्रांतिकारी कदम उठाए गए हैं। 
इससे पहले भी कई अन्य किसान संगठनों के नेता कृषि मंत्री से मिलकर नये कानून को वापस नहीं लेने की मांग कर चुके हैं, जिनमें पंजाब और हरियाणा के किसान भी शामिल रहे हैं। उधर, नये कृषि कानूनों से किसानों के सामने खड़ी होने वाली समस्याओं को लेकर सरकार के साथ कई दौर की वार्ता कर चुके किसान नेताओं का कहना है कि जो लोग सरकार के समर्थन में आ रहे हैं वो पहले भी सरकार के ही साथ थे और उनको किसानों की समस्याओं से कोई मतलब नहीं है।
किसानों के समर्थन में जो लोग आ रहे हैं उनमें तमिलनाडु से लेकर उत्तराखंड और महाराष्ट्र से लेकर बिहार तक कई प्रांतों के किसान संगठन शामिल हैं जबकि आंदोलनरत किसानों में ज्यादातर पंजाब और हरियाणा के लोग हैं और इनके अलावा कुछ पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसान शामिल हैं। लेकिन प्रदर्शनकारी किसान संगठनों के नेता इसे पूरे देश का आंदोलन बताते हैं और उनका दावा है कि पूरे देश के किसान धीरे-धीरे इन कानूनों की खामियों से रूबरू हो रहे हैं और वे आंदोलन में जुड़ रहे हैं।
आंदोलनरत एक किसान संगठन के नेता ने कहा कि सरकार पहले उनके आंदोलन को बिचौलिया, विपक्ष और वामपंथी प्रेरित बताकर तोड़ने की कोशिश कर चुकी है और अब किसानों को खड़ा कर किसानों के आंदोलन को तोड़ने की कोशिश की जा रही है, लेकिन इसमें कामयाबी नहीं मिलेगी। पंजाब के किसान नेता और भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) के जनरल सेक्रेटरी हरिंदर सिंह ने कहा कि संयुक्त किसान मोर्चा के बैनर तले देशभर के किसानों के करीब 42 संगठन इस आंदोलन में शामिल है और इनकी चट्टानी एकता से किसी भी सूरत में नहीं दरक सकती है। 
उन्होंने कहा कि यह कहना सही नहीं है कि किसान आंदोलन पंजाब और हरियाणा तक ही सीमित है क्योंकि पूरा देश हमारे साथ है। उन्होंने कहा कि पंजाब और हरियाणा में आंदोलन पहले शुरू हुआ और अब धीरे-धीरे देश के अन्य प्रांतों के किसान भी इससे जुड़ते जा रहे हैं जिससे आंदोलन रोज तेज हो रहा है। उन्होंने कहा, ”जो लोग नये कानून के समर्थन में आ रहे हैं वे सरकार के लोग हैं और पहले भी वे समर्थन में ही थे।”

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