राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल और चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने विशेष प्रतिनिधि वार्ता फ्रेमवर्क के तहत दशकों पुराने चीन-भारत सीमा मुद्दे पर शनिवार को बातचीत की। वांग इस वार्ता के लिए शुक्रवार की रात यहां पहुंचे। अधिकारियों ने बताया कि इस वार्ता के दौरान सीमा मुद्दे के कई पहलुओं पर चर्चा की गई और दोनों पक्ष 3,5000 किलोमीटर लंबी इस सीमा के आस-पास शांति एवं सौहार्द बनाए रखने के लिए दृढ़ संकल्पित रहे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग के बीच अक्टूबर में ममल्लापुरम में हुई दूसरी अनौपचारिक शिखर वार्ता के साथ ही प्रस्तावित क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक साझेदारी (आरसेप) में भारत के शामिल नहीं होने के बाद चीन की तरफ से हो रहा यह पहला उच्चस्तरीय दौरा है। डोभाल और वांग सीमा मुद्दे पर वार्ता करने के लिए दोनों देशों के निर्दिष्ट विशेष प्रतिनिधि हैं।
वांग को विशेष प्रतिनिधि स्तरीय इस वार्ता के लिए सितंबर में भारत आना था लेकिन उस वक्त दौरा टल गया था। विशेष प्रतिनिधि वार्ता रूपरेखा के तहत दोनों पक्ष पहले ही 21 चरण की वार्ता कर चुके हैं। यह रूपरेखा सीमा विवाद के जल्द समाधान को तलाशने के लिए तैयार की गई थी।
भारत-चीन सीमा विवाद 3,488 किलोमीटर लंबी वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएली) को लेकर है। चीन अरुणाचल प्रदेश को दक्षिणी तिब्बत का हिस्सा मानता है जबकि भारत इसका विरोध करता है। दोनों देश इस बात पर जोर देते हैं कि सीमा विवाद के अंतिम समाधान तक सीमावर्ती इलाकों में शांति एवं सौहार्द बनाए रखना जरूरी है।