संयुक्त राष्ट्र की सुरक्षा परिषद की जम्मू-कश्मीर पर मसले की मीटिंग के तुरंत बाद भारत ने पूरी दुनिया के सामने अपना रुख एक बार फिर साफ कर दिया है। संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी दूत सैयद अकबरूद्दीन ने कहा कि अनुच्छेद 370 हटाना भारत का आंतरिक मामला है और जम्मू-कश्मीर के विकास के लिए यह कदम उठाया गया है।
उन्होंने कहा कि सिर्फ भारत ही तय कर सकता है कि वो आंतरिक मसलों को कैसे हल करेगा। जहां तक कश्मीर में तनाव का सवाल है भारत ने बेहतरीन काम किया है और सोमवार से राज्य में सभी स्कूल-कॉलेज खुल जाएंगे।
सैयद अकबरूद्दीन ने कहा कि पाकिस्तान जिहाद की बात करके हिंसा को भड़का रहा है। अपना लक्ष्य पूरा करने के लिए वह आतंकवाद को बढ़ावा दे रहा है। कोई लोकतांत्रिक देश ऐसा नहीं करता है। हिंसा किसी समस्या का हल नहीं है। सभी समले द्विपक्षीय बातचीत और शांति से सुलझाए जाएंगे। हम शिमला समझौते को लेकर प्रतिबद्ध हैं। हम पाकिस्तान से बात तब करेंगे, जब वह आतंकवाद खत्म कर देगा। पहले आतंकवाद बंद करो और फिर बातचीत होगी।
अकबरूद्दीन ने कहा, ‘‘एक विशेष चिंता यह है कि एक देश और उसके नेतागण भारत में हिंसा को प्रोत्साहित कर रहे हैं और जिहाद की शब्दावली का प्रयोग कर रहे हैं। हिंसा हमारे समक्ष मौजूदा समस्याओं का हल नहीं है।’’
बैठक के बाद चीनी और पाकिस्तानी दूतों के मीडिया को संबोधित करने के बारे में अकबरूद्दीन ने कहा, ‘‘सुरक्षा परिषद बैठक समाप्त होने के बाद हमने पहली बार देखा कि दोनों देश (चीन और पाकिस्तान) अपने देश की राय को अंतरराष्ट्रीय समुदाय की राय बताने की कोशिश कर रहे थे।’’
उन्होंने कहा कि भारत कश्मीर में धीरे-धीरे सभी प्रतिबंध हटाने के लिए प्रतिबद्ध है। इससे पहले संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान की राजदूत मलीहा लोधी ने बैठक के बाद कहा कि बैठक में ‘‘कश्मीर के लोगों की आवाज सुनी’’ गई।
लोधी ने कहा कि यह बैठक होना इस बात का ‘‘सबूत है कि इस विवाद को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचाना गया ’’ है।
बैठक के बाद संयुक्त राष्ट्र में चीन के राजदूत झांग जुन ने भारत और पाकिस्तान से अपने मतभेद शांतिपूर्वक सुलझाने और ‘‘एक दूसरे को नुकसान पहुंचा कर फायदा उठाने की सोच त्यागने’’ की अपील की।
उन्होंने जम्मू-कश्मीर के मामले पर चीन का रुख बताते हुए कहा, ‘‘भारत के एकतरफा कदम ने उस कश्मीर में यथास्थिति बदल दी है जिसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक विवाद समझा जाता है।’’
कश्मीर का विशेष राज्य का दर्जा हटाने और लद्दाख को एक अलग केंद्रशासित प्रदेश बनाने के भारत के कदम का विरोध करते हुए उन्होंने कहा, ‘‘भारत के इस कदम ने चीन के संप्रभु हितों को भी चुनौती दी है और सीमावर्ती इलाकों में शांति एवं स्थिरता बनाने को लेकर द्विपक्षीय समझौतों का उल्लंघन किया है। चीन काफी चिंतित है।’’
रूस के उप-स्थायी प्रतिनिधि दिमित्री पोलिंस्की ने बैठक कक्ष में जाने से पहले संवाददाताओं से कहा कि मॉस्को का मानना है कि यह भारत एवं पाकिस्तान का ‘‘द्विपक्षीय मामला’’ है। उन्होंने कहा कि बैठक यह समझने के लिए की गई है कि क्या हो रहा है।
उल्लेखनीय है कि बंद कमरे में बैठकों का ब्यौरा सार्वजनिक नहीं होता और इसमें बयानों का शब्दश: रिकॉर्ड नहीं रखा जाता। विचार-विमर्श सुरक्षा परिषद के सदस्यों की अनौपचारिक बैठकें होती हैं।
संयुक्त राष्ट्र के रिकॉर्ड के मुताबिक, आखिरी बार सुरक्षा परिषद ने 1965 में ‘भारत-पाकिस्तान प्रश्न’ के एजेंडा के तहत जम्मू कश्मीर के क्षेत्र को लेकर भारत और पाकिस्तान के बीच विवाद पर चर्चा की थी।
हाल में पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने कहा था कि उनके देश ने, जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा समाप्त करने के भारत के फैसले पर चर्चा के लिए सुरक्षा परिषद की आपात बैठक बुलाने की औपचारिक मांग की थी।