सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा कि 1984 के सिख विरोधी दंगों से संबंधित मामले में कांग्रेस के पूर्व नेता सज्जन कुमार की जमानत याचिका पर अगस्त के प्रथम सप्ताह में सुनवाई की जायेगी। इस मामले में दिल्ली हाई कोर्ट द्वारा उम्र कैद की सजा सुनाये जाने के बाद से कांग्रेस का यह पूर्व सांसद जेल में है।
न्यायमूर्ति एास ए बोबडे और न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर की पीठ से सीबीआई ने कहा कि सज्जन कुमार को ‘नरसंहार’ जैसे गंभीर अपराध के लिये दोषी ठहराया गया है। हाई कोर्ट ने सज्जन कुमार को दक्षिण पश्चिम दिल्ली के छावनी इलाके के राज नगर पार्ट-1 में एक-दो नवंबर, 1984 को पांच सिखों की हत्या करने और राज नगर पार्ट-2 में एक गुरूद्वारे में आग लगाने की घटना के सिलसिले में दोषी ठहराया था।
सज्जन कुमार ने हाई कोर्ट ने 17 दिसंबर, 2018 के फैसले को चुनौती देने के साथ ही सुप्रीम कोर्ट से जमानत देने का भी अनुरोध किया है। सीबीआई की ओर से सोमवार को सालिसीटर जनरल तुषार मेहता ने पीठ से कहा कि सज्जन कुमार पर 1984 के सिख विरोधी दंगों से संबंधित एक अन्य मामले में पटियाला हाउस की कोर्ट में मुकदमा चल रहा है।
उन्होंने कहा कि इस मामले में साक्ष्य दर्ज करने की कार्यवाही चल रही है और 35 में से सात गवाहों के बयान अब तक दर्ज हो चुके हैं। सज्जन कुमार के वकील ने कहा कि इस समय चल रहे मुकदमे में हाई कोर्ट ने उनके मुवक्किल को अग्रिम जमानत दी थी और सुप्रीम कोर्ट ने इसकी पुष्टि की थी। इस पर पीठ ने कहा, ‘‘इस पर विस्तार से सुनवाई की आवश्यकता है।’’
कुमार के वकील ने जब यह कहा कि जमानत याचिका की सुनवाई में अधिक समय नहीं लगेगा तो मेहता ने कहा, ‘‘अपराध की गंभीरता को देखिये। यह नरसंहार था।’’ इसके बाद पीठ ने कहा कि वह जमानत याचिका पर अगस्त के पहले सप्ताह में सुनवाई करेगी। केन्द्रीय जांच ब्यूरो ने इससे पहले आठ अप्रैल को सज्जन कुमार की जमानत याचिका का विरोध करते हुए दावा किया था कि 1984 के सिख विरोधी दंगों के दौरान दिल्ली में हुए जघन्य अपराध के वह ‘‘सरगना’’ थे जिसमे सिखों का नरसंहार किया गया था।
तत्कालीन प्रधानमंत्री इन्दिरा गांधी की 31 अक्टूबर, 1984 को उनके ही दो सिख अंगरक्षकों द्वारा गोली मार कर हत्या किये जाने के बाद बड़े पैमाने पर हिंसा और अग्निकांड की घटनायें हुयी थी जिसमें बड़ी संख्या में सिखों की हत्या कर दी गयी थी।