बिजली मंत्री आर के सिंह ने सौर और पवन ऊर्जा परियोजनाओं के सुचारू क्रियान्वयन को लेकर विवाद समाधान समिति (डीआरसी) गठित करने के प्रस्ताव को बुधवार को मंजूरी दे दी। तीन सदस्यीय समिति सौर या पवन ऊर्जा कंपनियों तथा सोलर एनर्जी कारपोरेशन आफ इंडिया (एसईसीआई) या सार्वजनिक क्षेत्र की बिजली कंपनी एनटीपीसी के बीच अनुबंध से जुड़े समझौतों से इतर अन्य विवादों को दूर करने पर गौर करेगी। आधिकारिक बयान में यह बताया गया।
नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय तथा कौशल एवं उद्यमिता मंत्री की भी जिम्मेदारी संभाल रहे सिंह ने इसे महत्वपूर्ण कदम बताते हुए कहा, ‘‘इससे देश में सौर/पवन ऊर्जा परियोजनाओं का क्रियान्वयन सुचारू रूप से हो सकेगा।’’
इस प्रणाली में वे सभी परियोजनाएं शामिल होंगी जिनका क्रियान्वयन एसईसीआई और एनटीपीसी के जरिये होगा।
सौर और पवन ऊर्जा उद्योग लंबे समय से इस प्रकार की विवाद निपटान प्रणाली स्थापित करने की मांग करता रहा है।
बयान में कहा गया है कि अनुबंध से जुड़े समझौतों के क्रियान्वयन के दौरान सौर/पवन ऊर्जा परियोजनाएं विकसित करने वाली कंपनियों और एसईसीआई / एनटीपीसी के बीच अप्रत्याशित विवादों और मसलों के समाधान के लिये एक पारदर्शी, निष्पक्ष विवाद समाधान प्रणाली की जरूरत महसूस की जा रही थी।
डीआरसी सदस्यों की अधिकतम उम्र 70 साल होगी और उसके सदस्यों का चयन राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में रहने वाले चर्चित लोगों में से किया जाएगा ताकि हवाई यात्रा और रहने के खर्च को टाला जा सके।
समिति के सदस्यों का चयन इस प्रकार किया जाएगा कि हितों का कोई टकराव नहीं हो। डीआरसी व्यवस्था सभी सौर या पवन ऊर्जा परियोजनाओं, कार्यक्रमों और परियोजनाओं के लिये लागू होगी जिसका क्रियान्वयन एसईसीआई और एनटीपीसी के जरिये की जा रही हों।
डीआरसी एसईसीआई द्वारा दिये गये निर्णय के खिलाफ अपील समेत उन सभी मामलों पर गौर करेगी जो उसके पास विचार के लिये भेजे जाएंगे।
आदेश के अनुसार डीआरसी की सिफारिशों के साथ एमएनआरई की टिप्पणी को नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री के पास अंतिम निर्णय के लिये रखा जाएगा।
इसमें कहा गया है कि निर्णय पर पहुंचने के लिये समिति मामले से जुड़े पक्षों के साथ बातचीत करने के लिये स्वतंत्र है। डीआरसी के समक्ष मामले को रखने के लिये वकील की अनुमति नहीं होगी।