भारत को कतर, ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका के बाद अब रूस से भी प्राकृतिक गैस एलएनजी मिलनी शुरू हो गई है। पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने रूसी जहाज एलएनजी कानो पर पहुंचकर गुजरात के दाहेज पोर्ट पर इसे रिसीव किया। दुनिया की टॉप लिस्टेड नैचरल गैस कंपनी से गैस के आयात के साथ ही भारत ने अपनी ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने की दिशा में अहम सफलता हासिल की है। इसके अलावा भारत ने 25 अरब डॉलर की इस डील के जरिए अमेरिका के साथ ही रूस को भी साधा है।
The increase in bilateral trade & investments between India-Russia in the oil & gas sector has a win-win effect for either sides. While providing a major market to high volume gas reserves of Russia, It also helps India address it’s energy needs & establish a gas based economy. pic.twitter.com/aXZQgGcW7j
— Dharmendra Pradhan (@dpradhanbjp) June 4, 2018
गेल के साथ 20 साल के लिए हुई डील के तहत रूसी क्रायोजेनिक शिप एलएनजी की पहली खेप लेकर पहुंचा। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि मोदी सरकार देश को गैस आधारित अर्थव्यवस्था की ओर ले जाने की दिशा में आगे बढ़ रही है। प्रधान ने कहा कि हमने सबसे पहले कतर से आने वाले एलएनजी के दाम को लेकर नए सिरे से बातचीत की, उसके बाद ऑस्ट्रेलिया की आपूर्ति पर काम किया और अब रूस से नई शर्तों के तहत एलएनजी की आपूर्ति शुरू हुई है।
साथ ही उन्होंने कहा कि यह भारत के लिए ‘गोल्डन डे’ है। और भारत ने कतर से आने वाली एलएनजी के रेट को कम करने पर बात की, इसके बाद ऑस्ट्रेलिया से आपूर्ति की बात पक्की हुई और अब रूस से नई शर्तों पर गैस की आपूर्ति शुरू हो गई है। उन्होंने बताया कि भारत रूस से अगले 20 सालों के दौरान 25 अरब डॉलर की एलएनजी का आयात करेगा। कुछ साल पहले तक भारत सिर्फ कतर से ही एलएनजी का आयात कर रहा था, लेकिन अब ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका और रूस से भी एलएनजी का आयात हो रहा है। उन्होंने कहा कि भारत की इकोनॉमी में गैस का इस्तेमाल बढ़ाया जा रहा है। अभी भारत की इकनॉमी के एनर्जी बास्केट में गैस का योगदान 6.2 फीसदी है, जिसे बढ़ाकर 15 फीसदी करने का लक्ष्य है।
उन्होंने कहा कि भारत में पॉवर जेनरेशन से लेकर स्टील उत्पादन तक में इसका इस्तेमाल बढ़ाया जा सकता है। इससे कार्बन इमिशन में कटौती के लिए COP21 कमिटमेंट को पूरा करने में मदद भी मिलेगी। भारत अपनी जरूरत का 45 फीसदी गैस का अायात करता है। उन्होंने कहा कि रूस से एलएनजी के आयात के साथ ही ऑयल एंड गैस के क्षेत्र में द्विपक्षीय संबंधों को मजबूती मिलेगी। उन्होंने कहा कि रूस, भारत की हाइड्रोकार्बन जरूरतों को पूरा कर सकता है। गेल ने रूस की कंपनी गेजप्रोम के साथ एलएनजी को लेकर दोबारा बातचीत की थी।
इसके बाद नई शर्तों और रेट के साथ 20 साल के लिए एलएनजी आपूर्ति का कॉन्ट्रैक्ट किया है। कंपनी के चेयरमैन बीसी त्रिपाठी के अनुसार 0.5 MT की आपूर्ति 2018-19 में, 0.75 MT की आपूर्ति 2019-20 और 1.5 MT की आपूर्ति तीसरे साल 2020-21 में होगी। चौथे साल से गेल 2.5 MT एलएनजी का आयात करेगा।
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