नयी दिल्ली : वित्त मंत्री अरूण जेटली ने विपक्षी दलों के ‘‘महागठबंधन’’ को अव्यावहारिक और असंभव करार देकर उसे खारिज कर दिया । उन्होंने साथ ही कहा कि अगले आम चुनाव में भाजपा फायदे में रहेगी क्योंकि महत्वाकांक्षी समाज अशंकालिक राजनीतिक गठबंधन के पक्ष में वोट देकर ‘‘सामूहिक आत्महत्या ’’ नहीं करेगा। जेटली ने ‘‘2019 के लिए एजेंडा -मोदी बनाम अराजकता’’शीर्षक से एक फेसबुक पोस्ट में लिखा है कि 2019 के आम चुनाव के लिए विपक्षी दलों की दो तरह की रणनीति है । एक तो मोदी विरोधी एजेंडा को आगे बढ़ाना और दूसरा चुनावी गणित का फायदा उठाना ।
उन्होंने लिखा है कि अधिकतर राजनेता जैसा सोचते हैं, जनता उसके मुकाबले कहीं अधिक समझदार है। उन्होंने आगे लिखा कि जनता कभी भी अराजकता के विकल्प को नहीं चुनेगी। उन्होंने लिखा, ‘‘ भाजपा और राजग को सीधे मुकाबले में 50 फीसदी मतों की लड़ाई के लिए तैयार रहना होगा।कई राज्यों में अभी भी त्रिकोणीय मुकाबला होगा। अगर प्रधानमंत्री मोदी को दूसरी बार कमान सौंपना एक मुद्दा है तो भाजपा के लिए यह फायदे की बात है। ऐसे में चुनाव राष्ट्रपति प्रणाली की तरह अधिक होगा।’’ जेटली ने लिखा, ‘‘एक महत्वाकांक्षी राष्ट्र में यदि नकारात्मकता राजनीतिक प्रचार है तो यह बेकार जाएगा।अगर गणित एकमात्र उम्मीद है तो इस पर मोदी कैमिस्ट्री हावी हो जाएगी।’’ जेटली इस समय चिकित्सा जांच के लिए अमेरिका में हैं ।
1971 के आम चुनाव को याद करते हुए जेटली ने कहा कि तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के खिलाफ विपक्ष ने एक ‘‘महागठबंधन’’ बनाया था । 1971 के संदर्भ में उन्होंने कहा,‘‘हमारे : महागठबंधन : में ताकतवर नेता थे । इसके अलावा, कांग्रेस दो फाड़ हो चुकी थी …..नतीजों की घोषणा की गई, भारत ने नकारात्मकता को खारिज कर दिया। 2019 का भारत 1971 के भारत से काफी आगे बढ़ चुका है। महत्वाकांक्षी समाज कभी भी सामूहिक आत्महत्या नहीं करता है। वे लेमिंग सिंड्रोम से पीड़ित नहीं हैं।’’ लेमिंग सिंड्रोम एक ऐसी स्थिति होती है जहां लोगों की भीड़ एक दूसरे की ही नकल करती है, सिर्फ इसलिए कि वे यह देखते हैं कि उनके साथी भी वही कर रहे हैं । जेटली ने हैरानी भरे स्वर में कहा, ‘‘ क्या 2019, 1971 का प्रतिरूप होगा? यह मोदी बनाम अव्यावहारिक और असंभव अंशकालिक गठबंधन का मामला है या मोदी बनाम अराजकता का ?’’
उन्होंने इस बात को रेखांकित किया कि हर आम चुनाव की अपनी पटकथा होती है जिसे मौजूदा राजनीतिक माहौल लिखता है। जेटली ने कहा कि 2019 के चुनावी समर के लिए भारत के विपक्ष के पास दो तरह की रणनीति है।पहला मोदी विरोधी नकारात्मक एजेंडा और दूसरा चुनावी गणित से फायदे के लिए अफरा तफरी में राजनीतिक दलों का एक समूह में आना । विपक्ष की राजनीति के मंच पर प्रधानमंत्री पद के चार महत्वाकांक्षी हैं जो प्रधानमंत्री के खिलाफ ताल ठोंकने की इच्छा रखते हैं । जेटली ने लिखा है, ‘‘ जाहिर सी बात है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से लोगों के संतोष का स्तर बेहद ऊंचा है। अगर ऐसा नहीं होता तो उनके खिलाफ तरह तरह की बेसब्र ताकतों को झुंड बनाने की क्या जरूरत थी? यह केवल उनकी लोकप्रियता का भय है और सत्ता उनके ही हाथों में रहने की टंकार गूंज रही है जिसके चलते विरोधी एक जगह जुट गए हैं ।’’
उन्होंने कहा कि कोलकाता में विपक्षी दलों द्वारा आयोजित मोदी विरोधी रैली इस मायने में खास थी कि वह ‘‘राहुल गांधी विहीन रैली ’’थी। ‘‘ सभी चारों महत्वाकांक्षी राजनेता प्रधानमंत्री मोदी को हटाने के लिए तरह तरह की रणनीतियां बनाने में जुटे थे लेकिन इसमें भी कांग्रेस दुमछल्ला ही बनी रहेगी।’’ उन्होंने लिखा, ‘‘ कोलकाता की रैली में मंच पर मौजूद दो तिहाई नेता वे थे जो पूर्व में भाजपा के साथ काम कर चुके थे । इनमें से कुछ 80 साल की उम्र पार कर चुके हैं और वे ढलती उम्र में भी अपनी महत्वाकांक्षा को पूरा करने के लिए कोलकाता पहुंचे थे ।एक भी भाषण ऐसा नहीं था जिसमें कोई सकारात्मक बात कही गयी हो, एक भी ऐसी सकारात्मक सोच जिसे वे नेता भविष्य में प्रस्तावित करने वाले हों ।’’ उन्होंने कहा कि भाजपा, विपक्ष के इस नकारात्मक एजेंडे का स्वागत करती है।