सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) ने 2019 में लगभग 60 हजार कि. मी. सड़कों का निर्माण एवं विकास किया है। इनमें डोकलाम के पास 19.72 कि. मी. लंबी एक महत्वपूर्ण सड़क भी शामिल है, जहां 2017 में भारतीय व चीनी सेना के बीच दो महीने से अधिक समय तक तनातनी बढ़ी हुई थी।
भारत की सीमाओं पर सड़क नेटवर्क के रखरखाव और इसके विकास के लिए काम करने वाले बीआरओ ने कुछ अनुकूल पड़ोसी देशों में भी सड़क बुनियादी ढांचे का विकास किया है।
बीआरओ ने इस साल अब तक 1,123.46 कि. मी. सड़कों का निर्माण कार्य, 2,099.58 कि. मी. सड़कों की सरफेसिंग कार्य और 2,339.38 कि. मी. सड़कों पर रिसरफेसिंग का काम किया है।
बीआरओ ने 2019 में सड़कों के अलावा सीमावर्ती क्षेत्रों के पास कठिन और दूरदराज इलाकों में प्रमुख पुल, 19 एयरफील्ड और दो सुरंगों को भी विकसित किया है।
इस वर्ष बीआरओ की उपलब्धियों में 19.72 कि. मी. लंबी भीम बेस-डोकला सड़क का निर्माण करना रहा, जो भारतीय सेना को रणनीतिक तौर पर महत्वपूर्ण डोकला बेस तक पहुंचने में मदद करेगी। यह सिक्किम में विवादित डोकलाम पठार के किनारे पर है, जहां पहुंचने में अब महज 40 मिनट लगेंगे, जबकि पहले इसमें सात घंटे लगते थे।
यह सभी मौसम में चलनी वाली एक ऑल वेदर ब्लैक टैर्ड सड़क होगी, जिसकी भार वहन क्षमता पर कोई प्रतिबंध नहीं है।
जब भारतीय सेना 2017 में डोकलाम में चीनी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी के साथ तनावपूर्ण स्थिति में थी, तब भारतीय सुरक्षाबलों द्वारा यहां तक कम समय में पहुंच स्थापित करना संभव नहीं था। इस लिहाज से इस सड़क की अहमियत काफी बढ़ जाती है।
बीआरओ ब्रह्मपुत्र नदी में पानी के नीचे भी एक सुरंग विकसित कर रहा है।
इसके अलावा संगठन जम्मू एवं कश्मीर में 297 कि. मी. लंबी डबल लेन निम्मू-पदम-दरचा (एन-पी-डी) सड़क भी विकसित कर रहा है। यहां पर 257.55 कि. मी. सड़क का निर्माण हो चुका है।
बीआरओ अखनूर-पुंछ सड़क के साथ ही बलिपाड़ा, चारुदर और तवांग की ओर जाने वाली सड़क पर सी ला सुरंग भी विकसित कर रहा है।
बीआरओ को 61 भारत-चीन सीमा सड़कों का काम सौंपा गया था, जिनकी लंबाई 3,346 किमी है।