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केंद्र ने पांच राज्यों से कोविड-19 के मामलों में बढ़ोतरी होने के बाद निगरानी बढ़ाने को कहा

भारत में पिछले कुछ दिनों में पांच राज्यों में संक्रमण के मामलों में रोजाना बढ़ोतरी होने से इस बात का भय उत्पन्न हो गया है कि कोरोना वायरस की दूसरी लहर आ सकती है।

भारत में पिछले कुछ दिनों में पांच राज्यों में संक्रमण के मामलों में रोजाना बढ़ोतरी होने से इस बात का भय उत्पन्न हो गया है कि कोरोना वायरस की दूसरी लहर आ सकती है। इसके साथ ही केंद्र ने इन राज्यों को निर्देश दिया है कि कड़ी निगरानी, निरूद्ध क्षेत्रों और आरटी-पीसीआर जांच पर ध्यान केंद्रित करें। 
महाराष्ट्र में रोजाना सबसे अधिक मामले सामने आ रहे हैं। रविवार को राज्य सरकार ने पूरे प्रदेश में सामाजिक, राजनीतिक और धार्मिक समारोहों पर रोक के अलावा पुणे और अमरावती जैसे जिलों में फिर से स्थानीय लॉकडाउन या पाबंदियां लगाने की घोषणा की है। 
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक महाराष्ट्र के साथ ही केरल, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और पंजाब तथा केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में रोजाना मामलों में बढ़ोतरी हुई है। इसने कहा कि 85.61 फीसदी नए मामले इन पांच राज्यों से हैं और वहां साप्ताहिक संक्रमण दर राष्ट्रीय औसत 1.79 फीसदी से अधिक है। 
महाराष्ट्र में सबसे अधिक संक्रमण दर 8.10 फीसदी है। 
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने लोगों से ‘‘कोविड के मुताबिक’’ उपयुक्त व्यवहार करने और सुरक्षा मानकों का पालन करने की अपील करते हुए कहा कि एक और लॉकडाउन लगाने से पहले वह एक हफ्ते से 15 दिनों तक इस पर नजर रखेंगे। 
उन्होंने टेलीविजन पर दिए संदेश में कहा, ‘‘राज्य में महामारी फिर से सिर उठाने लगी है लेकिन क्या यह दूसरी लहर है इस बारे में आठ से 15 दिनों के बीच पता चल पाएगा।’’ 
स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक रविवार को संक्रमण का इलाज करा रहे लोगों की संख्या 1,45,634 रही जिनमें 74 फीसदी से अधिक केरल और महाराष्ट्र के मामले हैं। 
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को पत्र लिखकर कोविड-19 के टीकाकरण में तेजी लाने की अपील की है जबकि विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि ‘‘अलग स्ट्रेन’’ की वजह से ‘‘सामूहिक प्रतिरोधक क्षमता’’ हासिल करना ‘‘काफी कठिन’’ है। 
भारत ने महामारी पर काफी हद तक नियंत्रण पा लिया है और मंत्रालय के अनुसार, 22 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में 24 घंटे में किसी भी कोविड​​-19 मरीज की मौत की सूचना नहीं है। 
सुबह आठ बजे तक के आँकड़ों के अनुसार, संक्रमण से 90 और मृत्यु होने से देश में इस महामारी में मरने वालों की संख्या बढ़कर 1,56,302 हो गई। 
बीमारी से ठीक हो चुके लोगों की संख्या बढ़कर 1,06,89,715 हो गई है, जिससे देश में कोविड-19 मरीजों के ठीक होने की दर 97.25 प्रतिशत हो गई है। वहीं, मृत्यु दर 1.42 प्रतिशत है। देश में कोविड-19 के उपचाराधीन मरीजों की संख्या 1.5 लाख के नीचे बनी हुई है। 
मंत्रालय ने कहा, ‘‘पिछले दिनों, यह देखा गया है कि छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश में भी प्रतिदिन सामने आने वाले मामलों में बढ़ोतरी हुई है। पंजाब और जम्मू कश्मीर में भी प्रतिदिन सामने आने वाले मामलों में वृद्धि देखी जा रही है।’’ 
मंत्रालय ने कहा कि नये मामलों में से 85.61 प्रतिशत पांच राज्यों से हैं। महाराष्ट्र में सबसे अधिक 6,281 नये मामले सामने आये हैं। इसके बाद केरल में 4,650 जबकि कर्नाटक में 490 नये मामले सामने आए हैं। 
महाराष्ट्र में अधिकतम 40 मरीजों की मौत हुई हैं। केरल में 13 लोगों की मृत्यु हुईं, जबकि पंजाब में आठ और मौतें हुई हैं। पिछले 24 घंटे की अवधि में केवल एक राज्य में 20 से अधिक मौतें हुई हैं जबकि 10 से 20 लोगों की मृत्यु सिर्फ एक राज्य में हुई है। 
जो पांच राज्य चिंता का कारण बने हुए हैं उन्हें केंद्र ने सलाह दी है कि जांच की संख्या बढ़ाएं। साथ ही ज्यादा संख्या में मौत के मामले सामने आने वाले राज्यों से क्लीनिकल प्रबंधन पर ध्यान देने के लिए कहा गया है। 
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री ठाकरे ने टेलीविजन पर दिए संबोधन में कहा, ‘‘मास्क पहनें, अनुशासन बनाए रखें और सामाजिक दूरी का पालन करें ताकि दूसरा लॉकडाउन नहीं लगाना पड़े।’’ 
पुणे जिला प्रशासन ने पाबंदियों की घोषणा की है जिनमें लोगों को रात 11 बजे से सुबह छह बजे तक गैर जरूरी गतिविधियों के लिए आवाजाही करने से रोका गया है। 
पुणे के संभागीय आयुक्त सौरभ राव ने संवाददाताओं से कहा कि स्कूल, कॉलेज और निजी कोचिंग कक्षाएं 28 फरवरी तक बंद रहेंगी जबकि होटल और रेस्तरां प्रतिदिन रात 11 बजे तक बंद हो जाएंगे। 
महाराष्ट्र के ही नासिक जिले में सोमवार से रात 11 बजे से सुबह 5 बजे तक कर्फ्यू लगाया गया है। 
इस बीच एम्स के निदेशक रणदीप गुलेरिया ने रविवार को दावा किया कि कोविड-19 के खिलाफ सामूहिक प्रतिरोधक क्षमता (हर्ड इम्युनिटी) को हासिल करना ‘‘काफी कठिन’’ है। साथ ही, भारत में ‘‘व्यावहारिक संदर्भ में’’ इस बारे में नहीं सोचना चाहिए, खासकर ऐसे समय में जब कोरोना वायरस के ‘‘अलग-अलग स्वरूप’’ सामने आ रहे हैं और प्रतिरोधक क्षमता घट रही है। 
अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स), दिल्ली के निदेशक ने कहा, ‘‘सामूहिक प्रतिरोधक क्षमता हासिल करना बहुत कठिन होने जा रहा है और यह ऐसा है जिसके बारे में व्यावहारिक संदर्भ में नहीं सोचना चाहिए…क्योंकि वायरस के अलग-अलग स्वरूप और समय के साथ प्रतिरोधक क्षमता में बदलाव से ऐसी स्थिति उत्पन्न हो सकती है, जिसमें लोग फिर से संक्रमित हो सकते हैं।’’ 
विशेषज्ञ कहते हैं कि सामूहिक प्रतिरोधक क्षमता आबादी के एक हिस्से में तभी बनती है, जब कम से कम उनमें से 50 से 60 फीसदी लोगों में सीरो सर्वेक्षण में एंटीबॉडी पाए जाएं। 
भारत में टीकाकरण की संख्या 1.10 करोड़ से अधिक हो गई है। 
बहरहाल, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को पत्र लिखकर कोविड-19 टीकाकरण की गति बढ़ाने की आवश्यकता पर जोर दिया है।

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