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केन्द्र सरकार एससी-एसटी के प्रति संवेदनशील नहीं : जीतन राम मांझी

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पटना : पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने कहा कि मेरे मुख्यमंत्रितत्व काल में लिये गये 34 योजनाओं के फैसले में कुछ योजनाओं को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार तोड़-मरोड़ कर तथा नाम देकर अपना नाम कमाना चाहते हैं। आजादी के 70 वर्ष बाद भी सामान्य शिक्षा प्रणाली लागू नहीं हुई।

पूर्व मुख्यमंत्री अपने सरकारी आवास पर पत्रकारों को संबोधित कर कहा कि मैं अपने मुख्यमंत्रितत्व काल में 34 जनोपयोगी योजना लागू करने का फैसला लिया था जिसे न तो सहयोगी रहे एनडीए ने तब्बजों नहीं दिया और न ही नीतीश कुमार की सरकार ने। हम पार्टी हमेशा स भी वर्गों के गरीबों के उत्थान की बात करती रही है।

जनोपयोगी हित में लिये गये फैसले को लागू करने की शर्त पर महागठबंधन के साथ हुई है। इस कानून के तहत अधिकांश दलित व गरीब लोग जेल के अन्दर हैं। उन्होंने कहा कि एससी-एसटी अत्याचार अधिनियम पर भारत सरकार संवेदनशील नहीं है।

20 मार्च को सुप्रीम कोर्ट का निर्देश आया। भारत सरकार इस निर्देश पर पुर्नयाचिका दायर नहीं कर चुप बैठी रही है। लोगों के आक्रोश व भारत बंद के बाद भारत सरकार ने पुर्नयाचिका दायर यकी है। आज भी 50 प्रतिशत मुकदमा एससी-एसटी से जुड़े मामले को थाना में प्राथमिकी दर्ज नहीं होती है ।

न्यायपालिका में आरक्षण प्रणाली लागू नहीं होने से अधिकांश एससी-एसटी मामले में सही न्याय नहीं मिल पा रही है। बिहार में 29 नरसंहार हुए। इनमें अधिकांश जजमेंट गरीबों के विरूद्ध में ही हुआ।

पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि देश में सामान्य शिक्षा प्रणाली के साथ साथ खेती को उद्योग कादर्जा एवं डिग्रीधारी बेरोजगारों को 5 हजार रुपये प्रतिमाह बेरोजगार भत्ता के रूप में मिलना चाहिए। इस अवसर पर पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष वृषिण पटेल, पूर्व मंत्री महाचन्द्र प्रसाद, सचिव रामविलास प्रसाद, मीडिया प्रभारी अमरेन्द्र त्रिपाठी, दानिश रिजवान, अनामिका पासवान समेत अन्य उपस्थित थे।

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